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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि पिछले सात सालों में पेपर लीक होने का कोई सबूत नहीं है.
धर्मेंद्र प्रधान ने क्या कहा?: 8:50 मिनट पर उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, "माननीय सदस्य ने पिछले सात सालों में 70 बार प्रश्नपत्र लीक होने के बारे में सवाल उठाया है. महोदय, मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ सदन के सामने यह कहना चाहता हूं कि पिछले सात सालों में पेपर लीक होने का कोई सबूत नहीं है." इसके बाद धर्मेंद्र प्रधान ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे NEET मामले का जिक्र किया.
क्या यह दावा सच है? नहीं, पिछले सात सालों में पेपर लीक की कई घटनाएं हुई हैं और पुलिस ने मामले भी दर्ज किए हैं और लोगों को गिरफ्तार भी किया है.
UGC-NET 2024 पेपर लीक के बारे में: रिपोर्ट्स के मुताबिक जून 2024 की यूजीसी-नेट (University Grants Commission - National Eligibility Test) परीक्षाएं आयोजित होने के एक दिन बाद ही रद्द कर दी गईं. यूजीसी को इनपुट मिले थे कि परीक्षा की सत्यनिष्ठा से 'समझौता' किया गया था.
20 जून को धर्मेंद्र प्रधान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और कहा कि UGC के अध्यक्ष को अधिकारियों से जानकारी मिली है कि डार्क नेट (07:00 मिनट) पर कुछ प्रश्न लीक हो गए हैं.
उन्होंने बताया कि ये प्रश्न राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा तैयार किए गए असल प्रश्न पत्र से मेल खाते थे.
धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि जब यह सुनिश्चित हो गया कि दोनों प्रश्न एक जैसे हैं, तो परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया और मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को भेज दिया गया.
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि परीक्षाओं को इस साल 21 अगस्त से 4 सितंबर के बीच आयोजित करने के लिए पुनर्निर्धारित किया गया था.
UGC-NET हिंदी पेपर 2021: India Today की इस रिपोर्ट के मुताबिक 26 दिसंबर को आयोजित UGC नेट हिंदी परीक्षा का पेपर लीक हो गया था और इसके बाद, हरियाणा पुलिस की एक टीम मामले से जुड़े CRPF कांस्टेबल को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही थी.
UGC को घटनाक्रम की जानकारी देने के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) की कॉपी भी भेजी गई थी.
Indian Express ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पेपर लीक की सूचना मिलने के बाद जींद और भिवानी जिलों से करीब नौ लोगों को अलग-अलग छापेमारी में गिरफ्तार किया गया.
रिपोर्ट में बताया गया है कि गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस को बताया कि इन आरोपियों में से विकास ने परीक्षा शुरू होने से करीब छह घंटे पहले उन्हें व्हाट्सएप पर प्रश्नपत्र भेजा था.
इसमें एक अधिकारी के हवाले से कहा गया, "आरोपियों ने दावा किया है कि वे हिंदी परीक्षा के पेपर के 150 प्रश्नों को पहले ही एक्सेस करने में सफल रहे थे. हमें ये प्रश्न उनके सेलफोन पर भी मिले. लेकिन फिर भी हम यूजीसी अधिकारियों से इसकी पुष्टि करवाना चाहते हैं."
NEET 2021 पेपर लीक: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक न्यूज रिपोर्ट में कहा गया है कि एक व्यक्ति द्वारा तस्वीर खींचकर सीकर में अन्य लोगों को भेजने के बाद नीट प्रश्नपत्र लीक हो गया.
जयपुर पुलिस ने राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (RIET) के परीक्षा केंद्र से एक लड़की समेत करीब आठ लोगों को गिरफ्तार किया था.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपी दिनेश्वरी कुमार, उसके चाचा, परीक्षा निरीक्षक राम सिंह और परीक्षा केंद्र की प्रशासन इकाई के प्रभारी मुकेश को गिरफ्तार किया गया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि राम सिंह और मुकेश ने जयपुर के चित्रकूट इलाके में दो व्यक्तियों को प्रश्नपत्र की तस्वीरें भेजीं, जिन्होंने फिर इसे सीकर में अन्य लोगों को भेज दिया.
इसमें जयपुर की डीसीपी (पश्चिम) ऋचा तोमर के हवाले से कहा गया है, "लोगों (सीकर में) ने उत्तर कुंजी (Answer sheet) चित्रकूट में दो लोगों को भेजी, जिन्होंने फिर इसे मुकेश को भेजा. मुकेश ने फिर इसे राम सिंह को भेजा. राम सिंह ने उत्तर कुंजी (answer sheet) की मदद से दिनेश्वरी को पेपर हल करने में मदद की थी."
परीक्षा में धांधली के अन्य मामले: सितंबर 2021 में CBI ने हरियाणा के सोनीपत में एक एग्जाम सेंटर से रिमोट एक्सेस के माध्यम से उम्मीदवारों के प्रश्नपत्र हल करने के लिए एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड, उसके निदेशकों, कर्मचारियों और अन्य के खिलाफ मामले दर्ज किए थे.
CBI ने अक्टूबर 2022 में मिखाइल शार्गि नाम के एक रूसी हैकर को कथित तौर पर उस सॉफ्टवेयर को हैक करने के आरोप में गिरफ्तार किया था जिस पर परीक्षा आयोजित की गई थी.
इसके बाद एजेंसी ने मार्च 2023 में विनय दहिया को गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर 2021 JEE मेन्स परीक्षा पेपर लीक मामले का मास्टरमाइंड था.
The Quint ने हाल ही में एक स्टोरी रिपोर्ट की थी जिसमें NTA द्वारा आयोजित परीक्षाओं के दौरान पेपर लीक और कदाचार के उदाहरणों को एक स्टोरी में रिपोर्ट किया था. आप इसे यहां पढ़ सकते हैं
हमने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के कार्यालय से टिप्पणी के लिए संपर्क किया है और उनसे जवाब मिलने पर इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.
निष्कर्ष: यह स्पष्ट है कि धर्मेंद्र प्रधान द्वारा दिया गया बयान भ्रामक है, क्योंकि पिछले सात वर्षों में पेपर लीक के कई मामले सामने आए हैं.
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