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लाल किले पर किसानों ने नहीं फहराया खालिस्तानी झंडा, झूठा है दावा

वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि एक झंडा सिख धर्म के निशान का है, वहीं दूसरा झंडा किसानों का है

दिव्या चंद्रा & कृतिका गोयल
वेबकूफ
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26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में शामिल किसानों ने लाल किले पर चढ़कर झंडा फहराया. दिल्ली के कई हिस्सों में प्रदर्शनकारी किसानों और सुरक्षा बलों के बीच तीखी झड़प देखने को मिली.

इस बीच सोशल मीडिया पर ये दावा किया जा रहा है कि लाल किले पर फहराया गया झंडा खालिस्तान का है. हालांकि, ग्राउंड पर मौजूद द क्विंट के रिपोर्टर ने ये पुष्टि की है कि झंडा खालिस्तान का नहीं है. एक झंडा सिख धर्म से जुड़े निशान साहिब का है. वहीं दूसरा किसान संगठन का है.

दावा

1 लाख फॉलोअर्स वाले ट्विटर यूजर अंकित जैन ने दावा किया कि तिरंगे को हटाकर खालिस्तान का झंडा लगाया गया है.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करेंसोर्स : (स्क्रीनशॉट/ ट्विटर) 

‘Pakistan First’ नाम के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से भी यही दावा किया गया

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करेंसोर्स : (स्क्रीनशॉट/ ट्विटर) 

फिल्म क्रिटिक और ट्रेड एनालिस्ट सुमित कडेल ने भी एएनआई के विजुअल्स शेयर करते हुए लाल किले पर फहराए गए झंडे को खालिस्तान का बताया.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करेंसोर्स : (स्क्रीनशॉट/ ट्विटर) 

कई अन्य वेरिफाइड अकाउंट्स यूजर्स ने भी झंडे को खालिस्तान का बताया. पोस्ट यहां और यहां देखे जा सकते हैं.

फेसबुक पर भी यह दावा किया गया

सोर्स: (स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

पड़ताल में हमने क्या पाया

घटना के दौरान लाल किले पर मौजूद द क्विंट के संवाददाता शादाब मोईज़ी ने हमें बताया कि दोनों में से कोई भी झंडा खालिस्तान का नहीं है. पहला झंडा ( केसरिया रंग ) सिख धर्म से जुड़े निशंक साहिब का है. वहीं दूसरा झंडा (पीला रंग) किसानों का है.

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हमने लाल किले पर लगाए गए झंडे की फोटो का निशंक साहिब के झंडे की फोटो से मिलान किया. जिसमें साफ हुआ कि दोनों एक ही हैं.

(दाईं तरफ) लाल किले पर लगे झंडे की फोटो ; (बाईं तरफ) निशान साहिब के झंडे की  फोटोफोटो सोर्स: (पीटीआई/गूगल/क्विंट द्वारा ऑल्टर्ड)

दोनों झंडों का खालिस्तान के झंडे से मिलान करने पर भी ये साफ हो रहा है कि लाल किले पर खालिस्तान का झंडा नहीं है.

ये पुष्टि नहीं हो सकी कि पीला झंडा किस किसान संगठन का है. लेकिन, ये साफ हो गया कि खालिस्तान का नहीं है.  हमने पंजाब से जुड़े मुद्दों पर लिखने वाले अमनदीप सिंह संधू से भी बात की. उन्होंने वेबकूफ को बताया - त्रिकोण आकार का दिख रहा पीला या केसरिया झंडा सिख धर्म से संबंंधित है. ये खालिस्तान का झंडा नहीं है. वास्तव में खालिस्तान का कोई विशेष झंडा है ही नहीं.

उन्होंने आगे कहा - लाल किले पर झंडा फहराना प्रतीकात्मक था, लेकिन इसका आव्हान नहीं किया गया था. न ही ये किसान यूनियन के प्रोग्राम का हिस्सा था.

लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज हटाए जाने का दावा भी झूठा है. ये विजुअल्स इसका सुबूत हैं.

(सोर्स: शादाब मोइज़ी/द क्विंट)  

कुछ पत्रकारों ने ट्विटर पर बताया सच

दिल्ली के कई हिस्सों से किसान ट्रैक्टर रैली को लेकर हिंसा की खबरें आई हैं. लेकिन, इस बीच किया जा रहा लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराए जाने का दावा झूठा है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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