Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Webqoof Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019किसानों ने लाल किले पर नहीं फहराया खालिस्तानी झंडा

किसानों ने लाल किले पर नहीं फहराया खालिस्तानी झंडा

लाल किले पर खालिस्तान का नही सिखों का धार्मिक झंडा और किसानों का झंडा फहराया गया

दिव्या चंद्रा & Kritika
वेबकूफ
Published:
i
null
null

advertisement

वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

26 जनवरी को, 'किसान गणतंत्र परेड' के दौरान राजधानी दिल्ली के कई हिस्सों में किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच हुई झड़प हुई. हज़ारों की संख्या में प्रदर्शनकारी किसान लालकिले के अंदर घुस गए. हमने किसानों को लाल किले में झंडे फहराते हुए भी देखा, जिन्हें सोशल मीडिया पर कई यूजर्स, कुछ टीवी चैनलों और यहां तक कि नेताओं ने भी "खालिस्तानी झंडा" बताया.

यहां तक कि कई वीडियो के जरिए ये दावा किया जाने लगा कि लाल किले पर प्रदर्शनकारियों ने तिरंगा हटाकर खालिस्तानी झंडा लहरा दिया. लेकिन जब हमने विजुअल को वेरिफाई किया, तब हमें पता चला कि न तो विजुअल और न ही ग्राउंड पर मौजूद रिपोर्टर्स इस दावे को सही बता रहे हैं.

मौके पर मौजूद क्विंट के रिपोर्टर शादाब मोइजी ने हमें बताया कि जिन दो झंडों को फहराया गया था, वे खालिस्तान के झंडे नहीं थे. एक सिखों का धार्मिक झंडा निशान साहिब था और दूसरा झंडा किसानों का था. आज तक की पत्रकार, नवजोत रंधावा, जो कि लाल किले में मौजूद थीं, उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की.

फिर हमने निशान साहिब के साथ वायरल तस्वीरों और वीडियो में दिख रहे केसरिया झंडे की तुलना की, जो धार्मिक जगहों पर आसानी से देखा जा सकता है और हमें पता चला कि वे एक जैसे हैं. जबकि, लाल किले में देखे गए झंडों और खालिस्तानी झंडों के बीच तुलना से पता चलता है कि उनके बीच कोई समानता नहीं है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

हमने अमनदीप संधू से भी बात की, जिन्होंने पंजाब पर काफ़ी कुछ लिखा है, और उन्होंने हमें बताया कि "चाहे पीला हो या केसरिया, खंड - दो तलवारों के साथ त्रिकोणीय झंडे - सिख झंडे हैं"

26 जनवरी को प्रसारित किए गए बुलेटिन में, ज़ी न्यूज ने दावा किया कि तिरंगे को हटा दिया गया था, और प्रदर्शनकारियों ने लाल किले की मीनारों के ऊपर अपने खुद के झंडे लहराए. लेकिन प्रदर्शनकारियों के सामने की तस्वीरों से पता चलता है कि मीनार पर कोई तिरंगा नहीं था. और जिस झंडे को प्रदर्शनकारी फेंकते हुए दिख रहा है वो उजला और हरा झंडा है न कि तिरंगा झंडा.

इसके अलावा, जमीन पर मौजूद पत्रकारों ने हमें बताया की प्रदर्शनकारियों ने वहां पर अपना झंडा लहराया, जहां प्रधानमंत्री हर साल स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराते हैं. उसके बाद, उन्होंने मीनारों पर अपने झंडे लहराए.

इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले में हिंसा और अराजकता फैल गई थी. लेकिन, घटना के कई वीडियो और तस्वीरें किसानों के विरोध को बदनाम करने के लिए बिना किसी कॉन्टैक्स्ट के सर्कुलेट किए जा रहे हैं. हम पहले दिन से ही विरोध प्रदर्शनों के दौरान फैलाई जा रही गलत जानकारियों का पर्दाफाश कर रहे हैं. अगर आप चाहते हैं कि किसी भी जानकारी को वेरिफाई किया जाए, तो हमें 9643651818 पर WhatsApp पर भेजें या webqoof@thequint.com पर हमें लिखें. तब तक हमारे सभी फैक्ट चेक रिपोर्ट पढ़ने के लिए Facebook और Twitter पर WebQoof को फॉलो करें और WebQoof न बनें

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT