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उत्तर भारत के कई राज्यों में केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन जारी है. इसी बीच आंदोलन से जुड़ी कई भ्रामक सूचनाएं भी फैलाई जा रही हैं.
सोशल मीडिया पर लगातार हमें यूजर्स पड़ताल के लिए इस तरह के दावे भेज रहे हैं, इस दौरान हमने पाया कि नागरिकता संशोधन कानून ( CAA) के विरोध में हुए प्रदर्शन की कई तस्वीरों को भी किसान आंदोलन से जोड़कर शेयर किया जा रहा है. जानिए ऐसे ही दो दावों का सच.
पुलिस के प्रोटेक्टिव गियर्स पहने एक शख्स की फोटो वायरल हो रही है. ये शख्स वर्दी में नहीं है. दावा किया जा रहा है कि ये आरएसएस के स्वयंसेवक हैं और सिंघु बॉर्डर पर किसानों पर हमला करने के लिए पहुंचा है.
यही फोटो CAA प्रदर्शन के दौरान भी शेयर की गई थी. कुछ यूजर्स ने दावा किया था कि फोटो में दिख रहा शख्स अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का सदस्य है. जो कि जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों पर हमला करने के लिए पुलिस के प्रोटेक्टिव गियर्स पहनकर पहुंचा था.
द क्विंट ने 18 दिसंबर, 2019 को इस फोटो की पड़ताल की थी, जिसमें सामने आया था कि फोटो में दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल अरविंद कुमार दिख रहे हैं. अरविंद ने उस समय पत्रकारों को बताया था कि वे दिल्ली पुलिस की एंटी ऑटो थेफ्ट स्क्वाड ( AATS) का हिस्सा हैं.
एक वीडियो के जरिए दावा किया गया कि आरएसएस का सदस्य किसान आंदोलन में पुलिस की वर्दी पहनकर पहुंचा. यही वीडियो CAA विरोधी प्रदर्शन के दौरान भी शेयर किया गया था. द क्विंट की पड़ताल में सामने आया था कि ये दावा फेक है.
दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने हमें बताया कि वीडियो के स्क्रीनशॉट में कनॉट पैलेस इलाके के एसएचओ विनोद नारंग हैं. वहीं दूसरी फोटो में राजनीतिक बैनर पर जिस शख्स की फोटो है, वह नारंग नहीं हैं. द क्विंट से बातचीत में नारंग ने भी पुष्टि की कि वीडियो में वही हैं. नारंग ने ये भी बताया कि उनका किसी भी राजनैतिक पार्टी या संगठन से कोई जुड़ाव नहीं है.
मतलब साफ है कि CAA विरोधी प्रदर्शन की तस्वीरों को किसान आंदोलन के समय एक बार फिर गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
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