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Hapur Lynching : पढ़ाई - रोजगार छूटा, अफवाह का नुकसान आज भी झेल रहा परिवार

द क्विंट की इस खास सीरीज में देखिए, अफवाह के शिकार हुए लोगों की कहानियां

सिद्धार्थ सराठे
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>अफवाह के शिकार हुए लोगों की कहानी</p></div>
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अफवाह के शिकार हुए लोगों की कहानी

फोटो : Quint Hindi

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किसी अफवाह को आगे बढ़ाने का खामियाजा कितना खतरनाक हो सकता है? अफवाह अब सिर्फ इंटरनेट की समस्या नहीं है, जमीनी स्तर पर इसका असर दिखने लगा है. लोगों की जानें तक अफवाह से जा रही हैं. ऐसी कहानियां आप तक पहुंचाने के लिए द क्विंट की फैक्ट चेकिंग टीम वेबकूफ लाई है ये खास सीरीज 'एक अफवाह की कीमत'. इस सीरीज में पहली कहानी है उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के हापुड़ से. 18 जून 2018 को हापुड़ के पिलखुवा गांव में रहने वाले कासिम की गौकशी की अफवाह के चलते हत्या कर दी गई थी.

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कासिम बकरी पालन से जुड़ा काम कर रहे थे, पास के ही गांव में बकरी के बच्चों को लेकर जा रहे थे, तभी अफवाह उड़ी की कासिम गाय काट रहे हैं. घटना स्थल पर मौजूद नजदीकी गांव मधापुरा के किसान समीउद्दीन ने भीड़ को समझाने की कोशिश की, कि गौकशी की बात झूठ है, पर भीड़ ने किसी की एक ना सुनी. उलटा समीउद्दीन के साथ भी बेरहमी से मारपीट हुई.

ये घटना इस बात का जीता जागता उदाहरण है, कि अफवाहें कितनी खतरनाक हो सकती हैं. हमने अपनी इस ग्राउंड रिपोर्ट में कासिम के परिवार से और समीउद्दीन से बात की है. और ये समझने की कोशिश की है कि 6 साल बाद भी अफवाह का कैसा असर ये लोग झेल रहे हैं. द क्विंट की इस खास सीरीज को आप सपोर्ट भी कर सकते हैं हमारे मेंबर बनकर.

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