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सोशल मीडिया में आरएसएस कार्यकर्ताओं की एक फोटो इस दावे के साथ वायरल हो रही है कि वो चमोली में ग्लेशियर फटने से हुई त्रासदी के बाद राहत कार्य में जुटे हुए हैं.
हमने जब इस फोटो की जांच की तो पता चला कि ये करीब 8 साल पुरानी फोटो है, जिसे गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है. ये फोटो साल 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के दौरान की है. जब आरएसएस कार्यकर्ताओं ने राहत कार्य में मदद की थी.
इस फोटो को ट्विवटर और फेसबुक पर कई यूजर्स इस दावे के साथ शेयर कर रहे हैं कि उत्तराखंड के चमोली में स्वयंसेवकों ने ग्लेशियर फटने की घटना के बाद राहत कार्य का काम किया है.
बॉलीवुड एक्टर परेश रावल ने भी इस फोटो को ट्वीट करते हुए लिखा है कि ''जब भी कोई आपदा आती है आरएसएस सबसे पहले मदद के लिए पहुंचता है और आखिर तक रहता है.''
जब हमने इस फोटो को रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमने पाया कि SAMVADA नाम के एक ब्लॉगपोस्ट के मुताबिक ये फोटो तब की है जब साल 2013 में उत्तराखंड में बाढ़ आई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक आरएसएस कार्यकर्ताओं ने इस दौरान राहत कार्य में मदद की थी.
इसके बाद जब हमने 'RSS helping in Uttarakhand flood' कीवर्ड सर्च करके देखा तो पाया कि इसी फोटो का इस्तेमाल India Documents नाम की एक और वेबसाइट की एक रिपोर्ट में भी किया गया था. इस रिपोर्ट में 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के दौरान आपदा प्रबंधन को लेकर आरएसएस की मदद के बारे में लिखा गया था.
इसके अलावा कई न्यूज रिपोर्ट्स हैं, जिनमें उत्तराखंड बाढ़ के दौरान आरएसएस कार्यकर्ताओं के राहत कार्य के बारे में बात की गई है.
मतलब साफ है कि साल 2013 में आई बाढ़ के दौरान खाने-पीने का और दूसरा जरूरी समान पहुंचाते आरएसएस कार्यकर्ताओं की यह फोटो पुरानी है. इसे 7 फरवरी की चमोली की घटना से जोड़कर गलत दावे के साथ पेश किया जा रहा है.
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