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सोशल मीडिया पर एक पोस्टर वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोगों के चेहरे दिखाई दे रहे हैं.
दावा: कथित बदमाशों को 'गुलबर्गा और बीदर ईरानी गिरोह' का बताते हुए पोस्ट में कई चेहरे दिखाए गए हैं. दावा किया गया है कि गिरोह के सदस्य दिन में कंबल विक्रेता बनकर लोगों से संपर्क करते हैं, घर का सर्वेक्षण करते हैं और फिर घर को लूट लेते हैं.
क्या यह दावा सही है ? नहीं, यह दावा सही नहीं है. यह पोस्टर हालिया नहीं है बल्कि 2019 का है. यह पोस्टर 2019 में भी इस दावे से वायरल हुआ था कि इसे मुंबई पुलिस ने जारी किया है.
इस पोस्टर को मंगलुरु पुलिस ने साल 2019 में जारी किया था, न की मुंबई पुलिस ने.
यह पोस्टर अलग-अलग राज्यों की पुलिस द्वारा जारी किए जाने का बताकर वायरल किया गया है.
हमनें सच का पता कैसे लगाया ? हमने गूगल पर ‘Irani gang members’ कीवर्ड का इस्तेमाल करके सर्च किया जिसमें हमें 29 जुलाई को Daijiworld का यह आर्टिकल मिला.
इस आर्टिकल का टाइटल यह था - ‘मंगलुरु: पुलिस ने लूटपाट करने वाले कुख्यात ‘ईरानी गिरोह’ के बारे में लोगों को सचेत किया’ (अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद)
इस आर्टिकल में यही पोस्टर था जिसमें दावा किया गया था कि यह मंगलुरु के बाजपे पुलिस स्टेशन का है.
यह गिरोह कथित तौर पर चिकमंगलुरु और जिले के कई अन्य इलाकों में ‘सक्रिय’ था.
मंगलुरु पुलिस का बयान: साल 2019 में बाजपे पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने द क्विंट को बताया था कि यह पोस्टर पुलिस स्टेशन से जारी किया गया था और इस पर संदिग्ध लुटेरों के चेहरे थे.
मंगलुरु सिटी पुलिस के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने द क्विंट को बताया कि ईरानी गिरोह के सदस्य दोपहिया वाहनों पर आते हैं और चेन स्नैचिंग जैसे अपराध करते हैं. उन्होंने कहा, "इन गिरोहों का बेंगलुरु, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु में संबंध थे. "
इस पोस्टर को लेकर वायरल हुए दावों पर हमारी पुरानी फैक्ट-चेक रिपोर्ट को आप यहां पढ़ सकते हैं.
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