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कंगना झूठ बोल रही हैं- शिवसेना को वोट देने के लिए मजबूर नहीं थीं

BJP समर्थक होने पर भी शिवसेना को वोट देने के लिए “मजबूर” नहीं थीं कंगना  

क्विंट हिंदी
वेबकूफ
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BJP समर्थक होने पर भी शिवसेना को वोट देने के लिए “मजबूर” नहीं थीं कंगना  
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BJP समर्थक होने पर भी शिवसेना को वोट देने के लिए “मजबूर” नहीं थीं कंगना  
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

Times Now को दिए एक हालिया इंटरव्यू में, बॉलीवुड एक्टर कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने कहा कि वो चुनाव में BJP समर्थक होने के बावजूद शिवसेना को वोट देने के लिए "मजबूर" थीं क्योंकि उनके गठबंधन के कारण ईवीएम पर BJP का बटन नहीं था.

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फिर वो कहती हैं कि उन्होंने शिवसेना को वोट दिया और अब उनके साथ इस तरह का बर्ताव किया जा रहा है, वो संजय राउत के साथ चल रहे विवाद के संदर्भ में ये बातें कह रहीं थीं.

मजेदार बात ये है कि कंगना का खुद का अनुभव फेक्चुअली गलत है क्योंकि चुनाव के दौरान उनके निर्वाचन क्षेत्र से कोई शिवसेना उम्मीदवार खड़ा नहीं था. अब क्योंकि इंटरव्यू में उन्होंने ये नहीं बताया कि वो किन चुनावों की बात कर रही थी. इसलिए हम आपको 2009 से 2019 तक. विधानसभा और संसदीय चुनावों के आंकड़े बताएंगे, जिसमें साफ नजर आता है कि उनके पास कभी शिवसेना को चुनने की मजबूरी नहीं रही.

तथ्य ये है कि, 2014 विधानसभा चुनाव को छोड़कर. 2009 से 2019 के बीच अधिकांश चुनावों में, शिवसेना और BJP का गठबंधन था, तो, कंगना कब शिवसेना को "वोट देने के लिए मजबूर" थीं?

ये पता लगाने के लिए, हमने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध वोटर कंगना की जानकारी जुटाई और ये पाया कि उनका संसदीय क्षेत्र मुंबई नार्थ सेंटर्ल (Mumbai North-Central) है और उनका विधानसभा क्षेत्र बांद्रा वेस्ट (Vandre West) है

फिर उनके दावे की जांच करने के लिए हमने 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों के डिटेल्स देखें

सबसे पहले हम लोकसभा के आंकड़ों पर नजर डालते हैं

2019 के लोकसभा चुनावों में, BJP और शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और कंगना के कोंस्टीटूएंसीमें BJP से पूनम महाजन चुनावी मैदान में थीं और चुनाव भी उन्होंने ही जीता था

2014 में भी, दोनों दल गठबंधन में थे और महाजन को मैदान में उतारा गया था और इस बार भी BJP ही चुनाव जीती थी. इसी तरह 2009 के लोकसभा चुनावों में भी, कंगना के निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना का कोई उम्मीदवार नहीं था

अब, विधानसभा चुनाव पर नजर डालते हैं

2019 के विधानसभा चुनाव में, दोनों दलों ने फिर से एक साथ चुनाव लड़ा था और चुनावी रण में फिर से बीजेपी उम्मीदवार की ही जीत हुई थी.

2009 में भी, समझौते के मुताबिक ये सीट बीजेपी को ही मिली और फिर से शिवसेना का कोई उम्मीदवार यहां खड़ा नहीं था

2014 में, बीजेपी और शिवसेना में गठबंधन नहीं था. बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, उस चुनाव में शिवसेना के विलास चावरी बीजेपी के आशीष शेलार से चुनाव हार गए थे

साफ तौर पर, पिछले 10 सालों में कंगना के कोंस्टीटूएंसीके सभी चुनावों में, शिवसेना और बीजेपी गठबंधन में हमेशा बीजेपी का ही उम्मीदवार होता था. इस तरह उसका दावा गलत है. जब इंडिया टुडे के डिप्टी एडिटर कमलेश सुतार ने कंगना के दावों का पर्दाफाश करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया, तो मामला और खराब हो गया, उन्हें कानूनी परिणामों की धमकी दी गई

अब delete कर दिए गए ट्वीट्स की एक series में, कंगना ने सुतार पर हमला बोला था और कहा था कि वो लोकसभा चुनावों की बात कर रही थीं, न कि विधानसभा चुनावों की. हालांकि, जैसा कि हमने पहले ही बताया, वो भी मायने नहीं रखता

मुंबई प्रेस क्लब ने कंगना की धमकी का संज्ञान लिया और उनके इस व्यवहार की निंदा की. अगर कोई ऐसा वीडियो, तस्वीर या जानकारी है जिसे आप वेरिफाई करना चाहते हैं, तो हमें 9643651818 पर WhatsApp करें या फिर हमें webqoof@thequint.com पर लिखें. तब तक क्विंट हिंदी को like, share, subscribe करें और WebQoof न बनें!

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