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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें एक शख्स गोहत्या का विरोध करता दिख रहा है. दावा किया जा रहा है कि विरोध करने वाला शख्स कश्मीरी पंडित है. हालांकि, हमारी पड़ताल में ये दावा भ्रामक निकला. वीडियो बनाने वाले और वीडियो में गोहत्या का विरोध कर रहे शख्स का नाम आरिफ जन है. आरिफ ने बताया कि वे कश्मीरी पंडित नहीं हैं. वे गोहत्या का विरोध साफ-सफाई के कारणों से कर रहे थे. क्यों ये काम उनके घर के नजदीक ही होता है.
वीडियो के साथ शेयर हो रहा कैप्शन है - कश्मीरी पंडित ने कई मुस्लिम कसाई के खिलाफ कश्मीर में गाय का वध करने के लिए आप सभी हिंदुओं द्वारा प्यार और समर्थन। सभी हिंदुओं को केवल वीडियो को RT करके इस अज्ञात पंडित का समर्थन करना चाहिए।"
कई फेसबुक यूजर्स ने भी वीडियो को इसी दावे के साथ शेयर किया. ऐसे अन्य पोस्ट्स के अर्काइव, यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
वायरल वीडियो को इनविड टूल के जरिए अलग-अलग कीफ्रेम्स में बांटकर हर फ्रेम को हमने गूगल पर रिवर्स सर्च किया. हमें अंकुर शर्मा नाम के यूजर का 5 अगस्त को किया एक ट्वीट मिला. इस ट्वीट के साथ यही विजुअल शेयर किए गए थे. साथ ही बताया गया कि घटटना श्रीनगर की है. जहां एक शख्स साफ-सफाई को लेकर बूचड़खाने का विरोध कर रहा था.
फेसबुक पर इससे जुड़े कीवर्ड सर्च करने से हमें आरिफ जन नाम के यूजर का एक पोस्ट मिला. यही वीडियो पोस्ट करते हुए आरिफ ने दावा किया है कि चूंकि वो जगह उनके किचन से बिल्कुल नजदीक थी, इसलिए वे बूचड़खाने का विरोध कर रहे थे.
क्विंट की वेबकूफ टीम से हुई बातचीत में आरिफ ने बताया कि ये वीडियो उन्होंने 2 महीने पहले ईद-उल-अधा के दौरान बनाई थी. आरिफ ने कहा - ''दावा किया जा रहा है कि वीडियो बना रहा बूचड़खाने का विरोध कर रहा शख्स हिंदू है, कश्मीरी पंडित है, लेकिन ये सही नहीं है. मैं एक मुस्लिम हूं.''
आरिफ ने आगे कहा कि वे आपत्ति इसलिए कर रहे थे क्योंकि जानवरों का खून और कई सारी चीजें उसी जगह छोड़ दी जाती हैं, जिससे उनके परिवार को परेशानी होती है.
हमने वायरल वीडियो से देखकर ये पुष्टि भी कि कि वीडियो बना रहे शख्स आरिफ जन ही हैं. हालांकि, आरिफ के निवेदन पर हम उनकी तस्वीर नहीं दिखा रहे हैं.
फलह बहवूद कमेटी के चेयरमैन गुलाम रसूल कारा ने फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज से कहा कि कुर्बानी होने की जगह का मामला 2 महीने पहले ही सुलझा दिया गया है.
गुलाम रसूल ने कहा - ''मामले का निपटारा 2 महीने पहले ही हो चुका है. मुद्दा कुर्बानी होने की जगह को लेकर था. आरिफ की मांग जायज थी. मैं कहना चाहूंगा कि आमतौर पर इस तरह के टकराव नहीं होते. कमेटी ने कहा है कि इस तरह बड़े पैमाने पर होने वाली जानवरों की कुर्बानी वहां आसपास न हो.
मतलब साफ है कि सोशल मीडिया पर ये वीडियो भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
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