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केरल में गैर-हिंदू भी कर सकते हैं मंदिर को कंट्रोल?क्या है सच्चाई

फेसबुक, ट्विटर पर यूजर्स ने दावा किया है कि केरल सरकार ने इसे लेकर कानून पास किया है

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देवस्वोम रिक्रूटमेंट बोर्ड के अध्यक्ष राजगोपालन नायर ने क्विंट को बताया कि ऐसा कोई नियम नहीं है
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देवस्वोम रिक्रूटमेंट बोर्ड के अध्यक्ष राजगोपालन नायर ने क्विंट को बताया कि ऐसा कोई नियम नहीं है
(फोटो: Altered by Quint)

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एक वायरल फोटो में दावा किया गया है कि केरल सरकार ने आदेश दिया है कि मंदिर अब गैर-हिंदुओं द्वारा, जैसे मुस्लिम और ईसाई भी कंट्रोल कर सकते हैं.

हालांकि, देवस्वोम रिक्रूटमेंट बोर्ड के अध्यक्ष राजगोपालन नायर ने क्विंट को बताया कि ऐसा कोई नियम नहीं है. उन्होंने कहा कि कानून ये है कि मैनेजमेंट समेत कर्मचारी हिंदू धर्म से होने चाहिए.

(स्क्रीनशॉट: फेसबुक)

दावा

वायरल फोटो में दावा किया जा रहा है: "केरल सरकार ने बनाया कानून हिन्दू मंदिरों को अब मुस्लिम व इसाई भी करेंगे कंट्रोल, मंदिर का अध्यक्ष इसाई या मुसलमान भी हो सकेगा"

सुनील कुमार मित्तल नाम के एक फेसबुक यूजर ने इस फोटो को पोस्ट किया, जिसे ये स्टोरी लिखे जाने तक 1,400 यूजर शेयर कर चुके थे. कई फेसबुक यूजर्स ने इस फोटो को भी शेयर किया.

(स्क्रीनशॉट: फेसबुक)
(स्क्रीनशॉट: फेसबुक)
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हमें जांच में क्या मिला?

पहले ये समझिए कि केरल में मंदिरों को कौन कंट्रोल करता है.

Shodhganga में पब्लिश चैप्टर ‘Administration of Devaswom Boards and Temples in Kerala’ के मुताबिक, सभी मंदिरों को या तो सरकार द्वारा नियंत्रित देवस्वोम द्वारा संचालित किया जाता है, जो सामाजिक-धार्मिक ट्रस्ट हैं, या प्राइवेट संगठन/ परिवारों द्वारा. केरल में पांच अलग-अलग देवस्वोम बोर्ड हैं.

वायरल वीडियो में किए जा रहे दावे को लेकर, देवस्वोम रिक्रूटमेंट बोर्ड के अध्यक्ष राजगोपालन नायर ने क्विंट को बताया,

“केरल में मंदिरों को नियंत्रित करने वाले तीन कानून हैं. इन सभी कानून में, एक विशिष्ट प्रावधान है कि कर्मचारियों और मैनेजमेंट को भी हिंदू धर्म से होना चाहिए.”

उन्होंने कहा कि सभी पांच देवस्वोम बोर्ड इन नियमों का पालन करते हैं और उनमें हिंदू सदस्य हैं.

हालांकि, हम इस मामले से संबंधित किसी भी हाल के आदेश या कोई न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली, हमें द हिंदू का 2018 में पब्लिश हुआ एक आर्टिकल मिला है, जिसका टाइटल है 'Only Hindus will head Devaswom boards: gov', जिसका ट्रांसलेशन है: 'केवल हिंदू ही देवस्वोम बोर्डों के प्रमुख होंगे: सरकार.'

द हिंदू  के आर्टिकल के मुताबिक, केरल सरकार ने केरल हाईकोर्ट को बताया था कि त्रावणकोर्ट देवस्वोम बोर्ड, जो कि 1950 के त्रावणकोर-कोच्चि हिंदू धार्मिक संस्था एक्ट XV (TCHRI) के तहत गठित एक ऑटोनॉमस बॉडी है, और कोच्चि देवस्वोम बोर्ड बोर्ड, बोर्ड में कमिश्नर पद पर केवल हिंदुओं को नियुक्त करेगा.

कोर्ट तब बीजेपी नेता पीएस श्रीधरन पिल्लई द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने त्रवणकोर-कोच्चि हिंदू धार्मिक संस्था एक्ट, 1950 में उन संशोधनों को चुनौती दी थी जिसमें गैर-हिंदुओं को देवस्वोम कमिश्नर के रूप में नियुक्त करने की अनुमति दी थी.

2018 विवाद के बारे में, राजगोपालन ने कहा, "उस संशोधन में एक कंफ्यूजन था, कुछ लोगों ने जानबूझकर भ्रम पैदा किया, लेकिन बोर्ड ने खासतौर पर कहा था कि कमिश्नर समेत सभी कर्मचारी हिंदू होने चाहिए और कमिश्नर नियुक्त करने के लिए किए गए प्रावधानों में, इस तरह के शब्दों पर ध्यान नहीं दिया गया था. हालांकि ये बिल्कुल अनावश्यक है, क्योंकि मुख्य प्रावधानों में उन सभी कर्मचारियों के बारे में कहा गया था, जो कमिश्नर का भी ध्यान रखते हैं.

PS Sreedharan Pillai vs State of Kerala में केरल हाईकोर्ट का फैसला(स्क्रीनशॉट: Mnaupatra)

26 अक्टूबर 2018 को केरल हाईकोर्ट के एक फैसले में कहा गया है, "उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में, हम ये घोषित करना पूरी तरह से जस्टिफाइड समझते हैं कि TCHRI एक्ट के तहत देवस्वोम कमिश्नर का पद, देवस्वोम विभाग का एक हिस्सा है और जाहिर तौर पर, धारा 29 (1) के तहत, ऐसा अधिकारी होगा जो हिंदू धर्म का हो.

बोर्ड के एक करीबी सूत्र ने क्विंट को बताया कि वायरल फोटो में दावा गलत है और केरल में सभी मंदिर केवल हिंदुओं ही कंट्रोल करते हैं. देवस्वोम कमिश्नर के बारे में, सूत्र ने कहा कि मौजूदा कमिश्नर भी हिंदू ही हैं.

कानून क्या कहता है?

त्रावणकोर कोच्चि हिंदू धार्मिक संस्था एक्ट 1950 की धारा 29 (1) में कहा गया था कि देवस्वोम विभाग में हिंदू अधिकारी ही होंगे.

इसमें कहा गया है, "1097 में गठित देवस्वोम विभाग जारी रहेगा और इसमें बोर्ड द्वारा समय-समय पर निर्धारित किए जाने वाले हिंदू अधिकारियों और अन्य सेवकों की संख्या होगी."

इसके अलावा, नॉमिनेशन के लिए योग्यता के बारे में, एक्ट की धारा 6 में कहा गया है, “कोई शख्स बोर्ड के सदस्य के रूप में नामिनेशन या चुनाव के लिए योग्य नहीं होगा, जब तक कि वो त्रावणकोर-कोच्चि राज्य का स्थायी निवासी नहीं है और हिंदू धर्म को मानता है और उसकी उम्र 35 साल हो चुकी है तो.

पहले भी वायरल हो चुकी है ये तस्वीर

इस वायरल फोटो जनवरी में भी शेयर की जा रही थी.

(स्क्रीनशॉट: फेसबुक)
(स्क्रीनशॉट: ट्विटर)

इसे साफ होता है कि केरल सरकार का नया कानून बनाने का दावा गलत है.

आप हमारी सभी फैक्ट-चेक स्टोरी को यहां पढ़ सकते हैं.

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