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तमिलनाडु (Tamilnadu) में बिहार के प्रवासी मजदूरों के साथ मारपीट का बताकर फेक वीडियो शेयर करने वाले यूट्यूबर मनीष कश्यप (Manish Kashyap) से जोड़कर एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें जज पुलिस को फटकारते नजर आ रहे हैं.
क्या है दावा?: वायरल वीडियो के साथ शेयर हो रहा कैप्शन है 'मनीष कश्यप की गिरफ्तारी पर क्या बोले तमिलनाडु के जज'.
वीडियो को इस नैरेटिव से शेयर किया जा रहा है कि मनीष की गिरफ्तारी पर तमिलनाडु के जज ने पुलिस को फटकार लगाई है.
ये वीडियो यूट्यूब पर भी इसी दावे से शेयर किया गया है.
सच क्या है?: वायरल वीडियो का यूट्यूबर मनीष कश्यप की गिरफ्तारी से कोई संबंध नहीं है.
वायरल वीडियो नवंबर 2022 का है, जबकि मनीष कश्यप की गिरफ्तारी उसके 3 महीने बाद 18 मार्च 2023 को हुई थी.
वीडियो में दिख रहे जज तमिलनाडु नहीं, पटना हाईकोर्ट के जज राजीव रंजन प्रसाद हैं. वीडियो में जज राजीव रंजन बिहार के जमूई की एक महिला डॉक्टर की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस को फटकार लगाते दिख रहे हैं.
हमने सच का पता कैसे लगाया?: हमने वीडियो को ध्यान से सुनने पर पाया कि जज किसी महिला डॉक्टर की गिरफ्तारी को लेकर बात कर रहे हैं.
वीडियो में जज कोर्ट में हाजिर पुलिस अधिकारी से कहते दिख रहे हैं कि "60 साल के बाद जब वर्दी उतर जाएगी और आपके साथ आपकी ही जैसी वर्दी वाले लोग ऐसा करेंगे तब आपको पता चलेगा कि आपने सिस्टम को क्या दिया है."
जज आगे कहते हैं "आपकी वजह से इनकी क्लीनिक बंद हो गई."
हमें India.com पर 13 दिसंबर 2022 की एक रिपोर्ट में यही वीडियो मिला.
यहां इस्तेमाल किए गए वीडियो के की-फ्रेम निकालकर हमने उनमें से कुछ पर रिवर्स इमेज सर्च किया, तो हमें NEWJ नाम के एक वेरिफाइड फेसबुक पेज पर यही वीडियो मिला
वीडियो कैप्शन में बताया गया था कि पटना हाईकोर्ट के जज ने महिला डॉक्टर की गिरफ्तारी पर पुलिस को फटकारा.
पटना हाईकोर्ट के चैनल पर उपलब्ध है मामले का वीडियो:
हमने पटना हाईकोर्ट के यूट्यूब हैंडल पर जाकर देखा, तो हमें 30 नवंबर 2022 का एक लाइव प्रसारण का एक वीडियो मिला.
वीडियो में 4 घंटे 48 मिनट और 50वें सेकेंड के बाद से वायरल वीडियो वाला हिस्सा देखा जा सकता है. इसमें जज पुलिस अधिकारी को फटकारते नजर आ रहे हैं.
IndianKanoon.org की रिपोर्ट के मुताबिक, पटना हाईकोर्ट के जज राजीव रंजन प्रसाद ने बिहार के जमुई की एक महिला डॉक्टर की गिरफ्तारी पर पुलिस को फटकारा था. इस मामले में अदालत ने 2016 में दर्ज की गई एक FIR को निरस्त कर दिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, जमुई के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक भी कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए और उन्होंने स्वीकारा कि मामले से जुड़ी कार्रवाई में जल्दबाजी की गई थी.
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि फरियादी डॉक्टर हैं, इसलिए मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक गिरफ्तारी से पहले शुरुआती जांच होनी जरूरी थी. लेकिन, पुलिस पर गिरफ्तारी में जल्दबादी करने के आरोप थे.
क्या है मनीष कश्यप का मामला?: तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के साथ दुर्व्यवहार होने का दावा करते हुए यूट्यूबर मनीष कश्यप ने एक फेक वीडियो शेयर किया था. इस मामले में मनीष कश्यप को बिहार पुलिस ने गिरफ्तार किया था. बाद में मनीष को तमिलनाडु पुलिस की ट्रांजिट रिमांड में भेज दिया गया.
हाल में मनीष कश्यप पर NSA यानी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मनीष को तमिलनाडु की मदुरई कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
निष्कर्ष: साफ है कि बिहार के जमुई में एक महिला डॉक्टर की गिरफ्तारी से जुड़ा पटना हाईकोर्ट का पुराना वीडियो मनीष कश्यप मामले से जोड़कर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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