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सोशल मीडिया पर फेसबुक को लेकर एक पोस्ट वायरल है. इस पोस्ट में लिखा जा रहा है कि फेसबुक (Facebook) ने नया नियम शुरू किया है, जिसके तहत अब फेसबुक यूजर्स की तस्वीरों का इस्तेमाल कर सकता है.
इसमें ये भी लिखा गया है कि यूजर्स का डेटा इस्तेमाल करने पर ''फेसबुक को निजता के अधिकार के उल्लंघन के लिए दंडित किया जा सकता है. इसलिए आग्रह है कि सभी यूजर्स इस दावे को आगे भी शेयर करें. इसके लिए, इसी मैसेज को कॉपी पेस्ट करें."
इसके अलावा, इसी टेक्स्ट मैसेज में ये भी बताया गया है कि फेसबुक का ये नियम 'कल' से लागू होगा, इसलिए इसके खिलाफ आज से ही इस मैसेज को शेयर करें, ताकि आपके डेटा का इस्तेमाल फेसबुक न कर सके.
फेसबुक की सेवा की शर्तों (Terms of Service) के मुताबिक, लोगों के पास उनके कंटेंट से जुड़े इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (बौद्धिक संपदा) अधिकार हैं. और फेसबुक किसी यूजर की व्यक्तिगत प्राइवेसी सेटिंग के मुताबिक ही उसके कंटेंट यानी सामग्री को शेयर या वितरित कर सकता है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?:
वायरल दावे का सच जानने के लिए हमने फेसबुक के Terms of Service पर जाकर देखा. यहां हमने पाया कि फेसबुक की नीतियों के मुताबिक, यूजर फेसबुक पर जो कुछ भी कंटेंट क्रिएट करते हैं या शेयर करते हैं, उससे जुड़े अधिकार यूजर के पास ही होते हैं.
इसके अलावा, यहां ये साफ-साफ बताया गया है कि यूजर कंपनी को प्राइवेसी एंड एप्लिकेशन सेटिंग के अनुरूप, उसके कंटेंट का इस्तेमाल करने, वितरित करने, उसे सार्वजनिक तौर पर दिखाने के लिए ''नॉन एक्सक्लूसिव, नॉन ट्रांसफरेबल, सब लाइसेंसेबल, रॉयल्टी फ्री वर्ल्डवाइड लाइसेंस देता है.
इसके बाद, फेसबुक की वेबसाइट पर जाकर फेसबुक की डेटा से जुड़ी नीति देखी.
यहां हमें मेटा की घोषणा से जुड़ा एक ब्लॉग मिला. इसमें बताया गया था कि कंपनी की संरचना मेटा के तहत नहीं बदली जाएगी.
इसमें ये भी बताया गया था कि इस घोषणा से ये भी नहीं बदलेगा कि कंपनी डेटा का इस्तेमाल कैसे करती है या उसे शेयर कैसे करती है. यानी डेटा के इस्तेमाल से जुड़े पुराने नियम ही लागू रखे जाएंगे.
इसके अलावा, हमने फेसबुक से जुड़े ऐसे किसी नियम के बारे में जानने के लिए न्यूज रिपोर्ट्स भी चेक कीं, लेकिन हमें ऐसी कोई भी रिपोर्ट नहीं मिली.
ये मैसेज 2012 से वायरल है. हर बार मैसेज में यही लिखा होता है कि कल से नया नियम लागू होगा, जिसका कोई तुक नहीं है. क्योंकि ये 'कल' की कोई तारीख नहीं बताई जाती.
अगर ऐसा कुछ होता तो ये इंटरनेशनल मीडिया की हेडलाइन होती, सिर्फ फेसबुक पर ही शेयर नहीं हो रहा होता.
साफ है कि ये भ्रामक दावा पिछले 10 सालों से भी ज्यादा समय से अलग-अलग तरीके से किया जाता रहा है. और इसमें यूजर्स को फेसबुक पर किसी भी तरह की सामग्री न डालने का आग्रह किया जाता रहा है.
(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं)
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