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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने 18 अप्रैल को एक ट्वीट कर दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने रूस यूक्रेन युद्ध के बीच भी खाने की चीजों पर महंगाई नहीं बढ़ने दी.
इस ट्वीट में सुशील मोदी के ही बयान की एक क्लिप भी है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि महंगाई काबू में रखने के लिए मोदी सरकार ने बजट में 2 लाख करोड़ की अतिरिक्त सब्सिडी का प्रावधान किया.
महंगाई पर नजर रखने वाले इकोनॉमिस्ट और जिंदल स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमेनिटीज के सेंटर फॉर न्यू इकोनॉमिक स्टडीज के डायरेक्टर दीपांशु मोहन ने भी क्विंट से बातचीत में बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सरकार की तरफ से महंगाई कम करने के लिए टैक्स में ऐसी कोई कटौती नहीं की गई, जिस आधार पर ये कहा जा सके कि सरकार ने महंगाई नहीं बढ़ने दी.
वहीं सुशील मोदी जिस 2 लाख करोड़ की अतिरिक्त सब्सिडी की बात कर रहे हैं वो भी सच नहीं है. केंद्र सरकार ने 2022-23 के बजट में लगभग 2.07 लाख करोड़ सब्सिडी जारी की है. लेकिन, ये कोई एक्स्ट्रा सब्सिडी नहीं, हर साल जारी होने वाली सब्सिडी है. बल्कि इस साल जारी की गई सब्सिडी पिछले साल सब्सिडी पर हुए खर्च से कम है.
सुशील मोदी ने 18 अप्रैल को अखबार की एक क्लिप ट्वीट करते हुए लिखा - ''रूस व यूक्रेन की लड़ाई के बाद भी पीएम ने नहीं बढ़ने दी खाद्य पदार्थों की की कीमत''
सुशील मोदी ने अखबार में छपा अपना जो बयान शेयर किया है उसमें और भी कई दावे किए गए.
पहला तो यही कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भी प्रधानमंत्री ने खाद्य पदार्थों की कीमत नहीं बढ़ने दी.
अगला दावा ये है कि कीमतें न बढ़ें, इसके लिए पीएम ने 2 लाख करोड़ की अतिरिक्त सब्सिडी का प्रावधान किया.
एक-एक कर इन दावों का सच जान लते हैं.
ये दावा पूरी तरह सच नहीं है. सुशील मोदी ने 18 अप्रैल को ट्विटर पर अपना बयान शेयर करते हुए ये दावा किया था. लिहाजा हमने यूक्रेन पर रूसी हमले के एक दिन पहले 23 फरवरी और 18 अप्रैल के दिन की प्रमुख खाद्य पदार्थों की कीमतों को देखा. ये जानने के लिए कि कीमतें बढ़ी या नहीं.
नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस की 12 अप्रैल, 2022 को जारी की गई रिपोर्ट बताती है कि इस साल फरवरी और मार्च के बीच खाद्य सामग्री पर महंगाई दर 1.40% बढ़ी.
गौर करने वाली बात ये है कि खाने-पीने की चीजों पर बढ़ी महंगाई (CFPI) ओवरॉल महंगाई दर (CPI) से ज्यादा है. फरवरी और मार्च के बीच ओवरॉल महंगाई दर 0.96% रही. ये आंकड़े ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में बढ़ी महंगाई दर के हैं.
हमने इकोनॉमिक एक्सपर्ट और खासतौर पर महंगाई (Inflation) पर नजर रखने वाले इकोनॉमिस्ट दीपांशु मोहन से बात की. ये समझने के लिए कि आखिर इस दावे को मापने का पैमाना क्या होगा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच खाने-पीने की चीजों पर बढ़ रही महंगाई कंट्रोल में थी या नहीं?
दीपांशु ने क्विंट से बातचीत में कहा
दीपांशु ने आगे कहा
हमने NSO की रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के जरिए कैल्कुलेट किया कि फरवरी और मार्च के बीच खाने की प्रमुख चीजों के दाम कितने बढ़े या घटे?
सुशील मोदी ने अपने ही बयान की जो क्लिप ट्वीट की, उसमें ये भी दावा है कि खाद्य सामग्री पर महंगाई कम रखने के लिए सरकार ने बजट में अतिरिक्त 2 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया.
केंद्रीय बजट 2022-23 में मोदी सरकार ने 2.06 लाख करोड़ रुपए की फूड सब्सिडी का प्रावधान किया है. लेकिन, सुशील मोदी जो दावा कर रहे हैं वो सच नहीं है. सुशील मोदी का दावा है कि खाने की चीजों पर महंगाई कम करने के लिए केंद्र सरकार ने 'अतिरिक्त' यानी एक्स्ट्रा बजट का प्रावधान किया, जबकि असलियत तो ये है कि ये सब्सिडी हर साल के बजट में जारी होती है.
हमने केंद्र सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर 2021-22 और 2022-23 में जारी की गई सब्सिडी के आंकड़े देखे. यहां उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 के बजट फूड सब्सिडी 242836 करोड़ रुपए थी वहीं 2021-22 की रिवाइज्ड सब्सिडी 286469.11 करोड़ रुपए रही. 2022-23 के बजट में फूड सब्सिडी 206831.09 करोड़ रुपए रही. यानी इस साल की फूड सब्सिडी पिछले साल की रिवाइज्ड फूड सब्सिडी से 79438.02 करोड़ रुपए कम है.
सुशील मोदी का ये दावा भ्रामक है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत में खाने की चीजों महंगाई नहीं बढ़ी. साथ ही 2 लाख करोड़ की 'अतिरिक्त सब्सिडी' का दावा भी भ्रामक है. ये सब्सिडी हर साल दी जाती है.
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