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मालेगांव में मुस्लिमों ने पुलिस पर किया हमला? वीडियो का सच जानिए

सोशल मीडिया पर किया गया ये दावा

क्विंट हिंदी
वेबकूफ
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सोशल मीडिया पर किया गया ये दावा
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सोशल मीडिया पर किया गया ये दावा
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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दावा

कोरोना वायरस लॉकडाउन के बाद से ही देशभर में पुलिस, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हमले की खबरों ने सरकार को परेशान कर दिया है. इसी बीच, अब एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि महाराष्ट्र के मालेगांव में एक पुल के पास कुछ मुस्लिम इकट्ठा हुए और जब पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की, तो उन्होंने पुलिस पर हमला किया.

वीडियो के साथ किए जा रहे दावे में लिखा है, “महाराष्ट्र के मालेगांव में एक समुदाय के लोग प्रार्थना करने के लिए इकट्ठे हुए. जब पुलिस उन्हें हटाने के लिए वहां गई तो उन्होंने पुलिसकर्मियों पर हमला करना शुरू कर दिया. महाराष्ट्र के हर हिस्से में जहां अल्पसंख्यक अधिक संख्या में हैं, वहां ये स्थिति है. महाराष्ट्र सरकार लॉकडाउन को लागू करने में असमर्थ है, इसलिए अब उनके लिए इस तरह के इलाकों में सेना बुलाने का अच्छा समय है, लेकिन वो ऐसा कैसे कर सकते हैं, जब बॉलीवुड हमारे सीएम को दुनिया का बेस्ट सीएम बताकर तारीफ कर रहा है... इसलिए सेना को बुलाना उनकी सरकार पर सवाल उठाएगा.”

(फोटो: स्क्रीनशॉट) 

ये ध्यान देने वाली बात है कि ट्वीट में महाराष्ट्र टाइम्स के इस पोस्ट को जानकारी का सोर्स बताया गया.

(फोटो: स्क्रीनशॉट) 

सच या झूठ?

ये दावा गलत है. क्विंट ये कंफर्म करता है कि मालेगांव में येलम्मा पुल पर 23 अप्रैल को एक घटना जरूर हुई, लेकिन सोशल मीडिया पर इसे गलत सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई.

लोग बड़ी संख्या में जरूरी सामान की कमी की शिकायत करने के लिए बाहर आए थे, न कि किसी धार्मिक कारण से.

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हमें जांच में क्या मिला?

पोस्ट को देखने के बाद, पहली बात जो हमने ध्यान दी, वो ये थी कि जानकारी महाराष्ट्र टाइम्स के ट्वीट के हवाले से दी गई थी. ट्वीट में पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच तनाव की बात जरूर की गई थी, लेकिन इसमें ये नहीं बताया गया था कि ऐसा क्यों हुआ.

इसे कंफर्म करने के लिए, क्विंट की वेबकूफ टीम ने मालेगांव के एडिशनल एसपी, संदीप घुगे से बात की. उन्होंने हमें बताया कि लोगों ने जरूरी चीजों की कमी के खिलाफ शिकायत करने के लिए लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए बाहर आए.

“इसमें कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं है. मुस्लिम या हिंदू प्रार्थना करने के लिए बाहर नहीं आए थे. बल्कि, लोग जरूरी सामान की कमी के बारे में बताने के लिए इकट्ठा हुए थे. शुरुआती जांच के आधार पर शिकायत दर्ज की गई है.”
संदीप घुगे, मालेगांव के एडिशनल एसपी

हमने वहां के लोकल जर्नलिस्ट प्रशांत बाग से भी बात की, जिन्होंने ये कंफर्म किया कि लोग सुबह करीब 8 बजे जरूरी सामान की कमी की शिकायत करने आए थे, जिसके कारण पुलिस और स्थानीय में तनाव हुआ.

हमें ABP मराठी का एक न्यूज बुलेटिन भी मिला, जिसमें ये कंफर्म किया गया है कि मालेगांव COVID-19 हॉटस्पॉट बन गया है.

इससे साफ होता है कि लोगों के लॉकडाउन का उल्लंघन करने की घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है.

आप हमारी सभी फैक्ट-चेक स्टोरी को यहां पढ़ सकते हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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