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कुछ महिला प्रदर्शनकारियों की पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर आजकल खूब वायरल हो रही है, जिसे मौजूदा किसानों के प्रदर्शन से जोड़ा जा रहा है. सच्चाई ये है कि ये तस्वीर 2017 की है, जब जाट रिजर्वेशन के लिए हो रहे आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी रोहतक के जसिया गांव जा रहे थे.
ये तस्वीर कुछ सोशल मीडिया यूजर इस कैप्शन के साथ शेयर कर रहे हैं-, “ जब घर से औरतें और बच्चे तक निकल पड़े तो समझ लो संघर्ष कितना मजबूत है।”
स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की ऑल इंडिया ज्वाइंट सेक्रेटरी दीपसीता धर और इंडियन नेशनल लोकदल के रमन धाका ने ये तस्वीरें अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की हैं.
एक और यूजर ने इस तस्वीर को अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया है, जिसे ये आर्टिकल लिखे जाने तक 20 हजार लोगों ने लाइक किया है और 2500 लोगों ने शेयर भी किया है.
हकीकत में ये तस्वीर आजकल के प्रदर्शन की नहीं बल्कि 2017 की है, जिसे मौजूदा किसानों के प्रदर्शन से जोड़कर शेयर किया जा रहा है. एक रिवर्स इमेज सर्च के बाद हमें 6 फरवरी, 2017 को हिंदुस्तान टाइम्स का एक लेख मिला, जिसमें कैप्शन के साथ तस्वीर थी- ‘जाट महिला प्रदर्शनकारी रोहतक में आरक्षण के लिए आंदोलन के दौरान जसिया गांव के रास्ते पर"
हमने इस आर्टिकल को इसी कैप्शन से आउटलुक इंडिया पर भी देखा. जिसका क्रेडिट पीटीआई को दिया गया है.
हरियाणा में जाट समुदाय ने नौकरी में कोटा के लिए 2017 में एक विरोध प्रदर्शन शुरू किया था और 2016 में जाट आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए युवाओं को आंदोलन में मारे गए जाटों के परिजनों के लिए नौकरी देने की मांग की थी. द क्विंट ने उस समय रोहतक में रिपोर्टिंग की थी.
महिलाओं की वायरल तस्वीर इस प्रदर्शन की है. द वायर ने अपने रिपोर्ट में बताया था कि भटिंडा की एक महिला किसान हरिंदर बिंदू के नेतृत्व में पंजाब के 14 जिलों के कम से कम 10,000 महिला प्रदर्शनकारियों विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली रवाना हुई. इसी तरह, हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया था कि इन महिलाओं ने सभी प्रदर्शनकारियों के लिए खाना बनाया था.
अब 2020 में उस पुरानी तस्वीरो को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
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