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सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उद्धव ठाकरे ने PM Cares Fund से पैसा आने के बावजूद दिल्ली व महाराष्ट्र में ऑक्सीजन प्लांट नहीं बनवाए. अभिनेत्री कंगना रनौत समेत कई सोशल मीडिया यूजर्स ने ये दावा किया.
ये दावा ऐसे वक्त पर किया जा रहा है जब ऑक्सीजन प्लांट लगने में हुई देरी को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला पहले ही शुरू हो चुका था. केंद्र का आरोप है कि दिल्ली सरकार की वजह से ऑक्सीजन प्लांट लगाने में देरी हुई, वहीं केजरीवाल सरकार ने आरोप का जवाब देते हुए कहा है कि ये काम केंद्र को करना था, राज्य को इसके लिए कोई राशि आवंटित नहीं हुई.
कंगना रनौत ने 24 अप्रैल को ट्विटर पर केजरीवाल और उद्धव ठाकरे की फोटो वाला एक ग्राफिक शेयर कर लिखा - खा गए PMcares का पैसा और अब ऑक्सीजन की मांग कर रहे हैं.. पैसा कहां गया? इन दोनों ने ऑक्सीजन प्लांट क्यों नहीं बनाया? क्यों? हमें उस पैसे का हिसाब चाहिए जो इन्हें आवंटित हुआ (हिंदी अनुवाद)
वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि राज्यों में पीएम केयर्स फंड की राशि से ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए राज्यों को कोई फंड नहीं दिया गया. देश भर में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का जिम्मा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली संस्था सेंट्रल मेडिकल स्टोर सोसायटी (CMSS) पर था.
हमें सरकारी एजेंसी PIB की 5 जनवरी, 2021 को जारी की गई प्रेस रिलीज मिली. इसके मुताबिक, पीएम केयर्स फंड से 201.58 करोड़ रुपए देश भर में 162 ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने के लिए अलॉट किए गए. इसमें दिल्ली के लिए 8 और महाराष्ट्र के लिए अलॉट किए गए 10 ऑक्सीजन प्लांट शामिल हैं. लेकिन, इस प्रेस रिलीज में स्पष्ट लिखा है कि ऑक्सीजन प्लांट से जुड़ी खरीदी का काम केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली संस्था CMSS करेगी.
पीआईबी की इस रिलीज के मुताबिक,
सेंट्रल मेंडिकल सर्विस सोसायटी (CMSS) ने ऑक्सीजन प्लांट के लिए ऑनलाइन टेंडर का नोटिफिकेशन भी जारी किया था. मतलब साफ है कि ऑक्सीजन प्लांट लगाने का जिम्मा राज्यों पर नहीं CMSS पर था.
पिछले साल अलॉट की गई राशि से देश भर में 162 ऑक्सीजन प्लांट शुरू होने थे. केंद्र ने दिल्ली में 10 और महाराष्ट्र में 8 प्लांट शुरू करने की योजना बनाई थी. लेकिन, जैसा की पड़ताल में सामने आ चुका है कि प्लांट शुरू करने का जिम्मा केंद्र सरकार के अंतर्गत काम करने वाली संस्था पर है, न की राज्यों पर.
CMSS ने 150 ऑक्सीजन प्लांट के लिए टेंडर ही अक्टूबर, 2020 में जारी किया गया था. यानी देश में पहला लॉकडाउन लगने के तकरीबन 7 महीने बाद. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 18 अप्रैल, 2021 को किए ट्वीट में बताया गया है कि 162 ऑक्सीजन प्लांट्स में से 33 इंस्टॉल हुए हैं.
Scroll वेबसाइट की रिपोर्ट में बताया गया है कि कॉन्ट्रैक्ट लेने वाली कंपनियों और अस्पताल एक दूसरे पर ऑक्सीजन प्लांट में देरी का ठीकरा फोड़ रहे हैं. मतलब साफ है कि इसके लिए राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराने वाला दावा तथ्यों की कसौटी पर खरा नहीं उतरता
दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को निर्देश दिए थे कि सरकार ये सुनिश्चित करे कि जो अस्पताल केंद्र की ऑक्सीजन प्लांट की योजना में सहयोग नहीं दे रहे हैं, वे जल्द ऐसा करें.
केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि दिल्ली के ऐसे दो अस्पतालों ने अब तक साइट क्लियरेंस उपलब्ध नहीं कराया है, जहां ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने थे. ये अस्पताल हैं ‘सत्यवादी राजा हरीषचंद्र अस्पताल’ और ‘वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज एवं सफदरगंज अस्पताल’.
दिल्ली सरकार ने केंद्र के आरोपों को गलत बताया है. केजरीवाल सरकार ने बयान जारी कर कहा है कि ऑक्सीजन प्लांट केंद्र सरकार को ही शुरू करने थे, इसके लिए राज्यों को एक रुपया भी नहीं दिया गया. दिल्ली सरकार का ये भी आरोप है कि 140 ऑक्सीजन प्लांट्स का ठेका सिर्फ 1 वेंडर को दिया गया. वेंडर की लापरवाही से दिल्ली के अस्पतालों में प्लांट नहीं लग सके.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 24 अप्रैल को दिए आदेश में केजरीवाल सरकार से कहा है कि वे खुद का ऑक्सीजन प्लांट शुरू करें.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में ये बताया गया है कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में उपलब्ध डेटा के मुताबिक 5 अस्पताल साइट क्लियरेंस दे चुके हैं, बाकी के 2 अस्पताल भी इसी सप्ताह ये काम पूरा कर देंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 अप्रैल को पीएम केयर्स फंड से 551 ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने के निर्देश दिए हैं. सरकारी एजेंसी PIB ने इसको लेकर एक रिलीज भी जारी की है. PIB की रिलीज के मुताबिक, पिछले साल भी 162 ऑक्सीजन प्लांट के लिए 201.58 करोड़ रुपए का फंड जारी किया गया था. PIB की रिलीज में ये उल्लेख कहीं भी नहीं है कि ऑक्सीजन प्लांट के लिए राज्यों को पैसा आवंटित किया गया.
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