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सोशल मीडिया पर कई तस्वीरों को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि वो पाकिस्तान के कराची में गृहयुद्ध जैसी स्थिति को दर्शाती हैं. हालांकि, हमने पाया कि जो तस्वीरें शेयर की जा रही हैं, वो न केवल पुरानी हैं, बल्कि उनमें से कुछ कराची से हैं भी नहीं.
हालांकि, ये रिपोर्ट किया गया है कि पाकिस्तान में एक पुलिस महानिरीक्षक (IGP) को कथित रूप से देश के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की कब्र के पास नारे लगाने के लिए मरियम नवाज शरीफ के पति, कैप्टन (रिटार्ड) सफदर अवान की गिरफ्तारी का आदेश देने के लिए मजबूर किए जाने के बाद विवाद हो गया.
तस्वीरों को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि कराची के राज्यपाल के घर के बाहर झड़प हुई. यूजर्स ने ये भी दावा किया कि कराची की सड़कों पर टैंक भी देखे गए.
कुछ और तस्वीरों को शेयर किया जा रहा है, जिसमें हिंसा और आगजनी देखी जा सकती हैं. इसके साथ लिखा है, "रातभर के गृहयुद्ध के बाद कराची की हालत."
इन तस्वीरों को फेसबुक पर भी इसी दावे के साथ शेयर किया गया.
क्विंट को इनमें से एक तस्वीर को लेकर ये सवाल उसकी WhatsApp हेल्पलाइन पर भी मिला.
हमने पाया कि इनमें से कोई भी फोटो पाकिस्तान के कराची की मौजूदा हालत को नहीं दिखाती है, और ये सभी तस्वीरें पुरानी हैं. एक-एक कर इनपर नजर डालते हैं:
गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर, हमें 2016 में पब्लिश हुआ CNN का एक आर्टिकल मिला, जिसमें लिखा है कि ये फोटो पूर्वी अलेप्पो (Aleppo) की है. इस तस्वीर का क्रेडिट Getty Images को दिया गया है.
हमने देखा कि ये फोटो Getty Images पर अपलोड की गई थी. इसके साथ लिखा था: “Syrian pro-government forces patrol Aleppo's eastern al-Salihin neighbourhood on 12 December 2016 after troops retook the area from rebel fighters.”
ट्रांसलेशन: "सीरियाई सरकार समर्थक सैनिकों ने 12 दिसंबर 2016 को विद्रोहियों से इलाका वापस हथियाने के बाद अलेप्पो के पूर्वी अल-सालिहिन क्षेत्र में गश्त की."
इससे साफ होता है कि ये फोटो पाकिस्तान की नहीं, बल्कि सीरिया के अलेप्पो की है.
हमने देखा कि China Daily में 2006 में पब्लिश हुए एक आर्टिकल में इस वायरल का इस्तेमाल किया गया है और इसका क्रेडिट रॉयटर्स को दिया गया है. आर्टिकल में लिखा है कि ये फोटो 2006 में हुए कराची बम हमले की है.
रॉयटर्स फोटोग्राफर ने ये तस्वीर 2 मार्च 2006 को खींची थी और एजेंसी ने इस कैप्शन के साथ इसे अपलोड किया था: “Smoke billows from burning vehicles after a bomb blast in Karachi, Pakistan 2 March 2006. Two blasts in quick succession killed at least two people outside a Marriott hotel in the southern Pakistani city of Karachi on Thursday, police and security officials said.”
ट्रांसलेशन: "पाकिस्तान के कराची में 2 मार्च 2006 को एक बम विस्फोट के बाद जलते वाहनों से निकलता धुआं. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि गुरुवार को दक्षिणी पाकिस्तानी शहर कराची में एक मैरियट होटल के बाहर दो विस्फोटों में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई."
इससे साफ होता है कि ये फोटो कराची से तो है, लेकिन हाल की नहीं है. ये फोटो 2006 की है.
गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 2009 में पब्लिश हुआ CNN का एक आर्टिकल मिला, जिसमें इसी फोटो का इस्तेमाल किया गया है. आर्टिकल का टाइटल है: "कराची सुसाइड हमले में मरने वालों की संख्या बढ़ी"
इस फोटो को भी 2009 में Getty Images पर अपलोड किया गया था. कैप्शन में लिखा था: “Pakistani security officials inspect the bomb blast site after the explosion during the religious procession in Karachi on 28 December 2009.”
ट्रांसलेशन: "28 दिसंबर 2009 को कराची में धार्मिक जुलूस के दौरान विस्फोट के बाद पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों ने बम विस्फोट स्थल का निरीक्षण किया."
इससे भी साफ हो गया कि कराची की पुरानी को हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है.
Independent में 2013 में पब्लिश हुए एक आर्टिकल में ये वायरल फोटो देखी जा सकती है. आर्टिकल में लिखा है कि फोटो पाकिस्तान के पेशावर में कार बम हमले की है.
CNN के आर्टिकल में भी इसी फोटो का इस्तेमाल किया गया, और इसका क्रेडिट एसोसिएटेड प्रेस (AP) को दिया गया.
न्यूज एजेंसी AP ने इस फोटो को 2013 में अपलोड किया था, और साथ में कैप्शन में लिखा था: “Injured Pakistani men are carried away from the site of a blast shortly after a car explosion in Peshawar, Pakistan, Sunday, 29 September 2013.”
ट्रांसलेशन: "रविवार, 29 जून 2013 पाकिस्तान के पेशावर में घायल पाकिस्तानी पुरुषों को एक कार विस्फोट के तुरंत बाद विस्फोट स्थल से दूर ले जाया जाता."
इससे भी साफ हो गया कि फोटो पाकिस्तान के पेशावर की है, कराची की नहीं.
गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने के बाद हमें पाकिस्तानी न्यूज संगठन Samaa TV का एक आर्टिकल मिला, जिसमें लिखा है कि फोटो 2009 अशुरा हमले की है.
इसके अलावा, हमें इसी हमले की एक फोटो AP पर भी मिली, जिसमें लिखा था कि घटना 2009 की है. हमनें वायरल फोटो की तुलना AP की तस्वीर के साथ और इसमें कई समानताएं पाईं
न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, ये फोटो 2009 में कराची पुलिस द्वारा कराची में हुए हमले के वीडियो से है.
इससे भी साफ होता है कि ये फोटो 2009 की है और हाल के पाकिस्तान से इसका कोई संबंध नहीं है.
जहां कई न्यूज रिपोर्ट्स पाकिस्तान में विवाद और तनाव की ओर इशारा कर रही हैं, वायरल हो रही इन तस्वीरों का मौजूदा हालात से कोई संबंध नहीं है.
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