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सोशल मीडिया पर एक वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि पेट्रोल पर केंद्र सरकार से ज्यादा राज्य सरकार टैक्स वसूल रही हैं. ये दावा उस वक्त किया जा रहा है जब देश के कई हिस्सों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गई हैं. जाहिर है महंगे पेट्रोल को लेकर इस समय केंद्र सरकार निशाने पर है. इसी बीच एक मैसेज शेयर कर दावा किया जा रहा है कि महंगे पेट्रोल के पीछे जिम्मेदार केंद्र नहीं बल्कि राज्य हैं.
वायरल मैसेज में दावा है कि केंद्र सरकार एक लीटर पेट्रोल पर सिर्फ 16 रुपए टैक्स लेती है. जबकि राज्य सरकारें एक लीटर पेट्रोल पर 40 रुपए से ज्यादा टैक्स लेती हैं. वेबकूफ की पड़ताल में ये दावा फेक निकला.
सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा मैसेज है - भी पेट्रोल पंप पर इस तरह का बोर्ड होना चाहिए
मूल दर - 30.90 रु
केंद्रीय सरकार - 16.50 रु
राज्य सरकार - 40.55 रु
वितरण करनेवाला - 6.50 रु
कुल- ₹94.45 प्रति लीटर
तब लोगों की समझ में बेहतर आएगा कि कौन जिम्मेदार है।
दावे की सत्यता जांचने के लिए हमने इंटरनेट पर ऐसी रिपोर्ट सर्च करनी शुरू कीं, जिनमें पेट्रोल पर लगने वाले टैक्स के संबंध में जानकारी हो. लाइव मिंट वेबसाइट पर 19 फरवरी, 2021 की एक रिपोर्ट हमें मिली. इसके मुताबिक, मौजूदा दरों के हिसाब से पेट्रोल की कुल कीमत में से 67% टैक्स शामिल होता है. इसमें केंद्र और राज्य दोनों के टैक्स शामिल हैं.
पड़ताल में आगे हमने ये पता लगाना शुरू किया कि 67% टैक्स में से केंद्र सरकार का कितना हिस्सा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने पिछले एक साल में पेट्रोल पर लगने वाला टैक्स दोगुना बढ़ा दिया है. 2020 की शुरुआत में केंद्र सरकार एक लीटर पेट्रोल पर 19.98 रुपए एक्साइज ड्यूटी ले रही थी. 2021 में एक्साइज ड्यूटी बढ़कर 32.98 रुपए प्रति लीटर हो गई है.
क्विंट हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर साल 2014 से तुलना करें तो उस वक्त पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपये था, और डीजल पर सिर्फ 3.56 रुपये.
मतलब साफ है कि इस समय 1 लीटर पेट्रोल पर 32.98 रुपए केंद्र सरकार का टैक्स है. यानी वायरल मैसेज में किया गया ये दावा झूठा है कि केंद्र सरकार को एक लीटर पेट्रोल पर सिर्फ 16 रुपए टैक्स मिल रहा है.
हमें भारत पेट्रोलियम की वेबसाइट पर 16 फरवरी, 2021 को अपलोड किया गया एक पीडीएफ भी मिला. जिसमें पेट्रोल कीमतों पर लगने वाले टैक्स ब्रेकअप के बारे में बताया गया है. इसके मुताबिक डीलर को पेट्रोल 32.11 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से दिया जाता है. इसपर 32.90 रुपए एक्साइज ड्यूटी ( केंद्र सरकार का टैक्स) होता है. 3.67 रुपए डीलर का कमीशन और 20.61 रुपए वेट (राज्य सरकार का टैक्स) होता है. इस तरह दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 16 फरवरी को 89.29 रुपए प्रति लीटर थी.
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में पेट्रोल की कीमतें सबसे ज्यादा देखी गईं. यहां कीमतें 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में पेट्रोल पर सबसे ज्यादा वेट लिया जाता है, राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा वेट लिया जाता है.
लाइव मिंट की 23 फरवरी की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के गंगानगर में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपए प्रति लीटर पहुंचने के बाद राज्य सरकार ने वेट टैक्स 38 प्रतिशत से घटाकर 36 प्रतिशत कर दिया है.
दावे की पुष्टि के लिए हमने पेट्रोल रिटेलर हेमंत सिरोही से संपर्क किया. उन्होंने वायरल मैसेज में किए जा रहे दावों को फेक बताते हुए कहा कि कोई भी राज्य सरकार पेट्रोल पर केंद्र से ज्यादा टैक्स नहीं ले रही है. वर्तमान में सबसे ज्यादा वेट राजस्थान सरकार (36%) ले रही है. हेमंत ने वेबकूफ को बताया कि डीलर को इस समय 31 -33 रुपए प्रति लीटर की दर से पेट्रोल दिया जा रहा है. अलग-अलग कंपनी की बेस प्राइज अलग होती हैं.
अगर बेस प्राइज (लगभग 33 रुपए प्रति लीटर) + एक्साइज ड्यूटी (32.90 रुपए) + डीलर कमीशन (लगभग 4 रुपए) है= 69.90 रुपए है, तो इस लिहाज से राजस्थान सरकार 25 रुपए वेट 1 लीटर पेट्रोल पर वसूल रही है. यानी सबसे ज्यादा टैक्स वसूलने वाले राज्य राजस्थान में भी पेट्रोल पर 40 रुपए प्रति लीटर टैक्स नहीं लिया जा रहा.cv
मतलब साफ है - सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा झूठा है कि महंगे पेट्रोल के पीछे केंद्र से ज्यादा राज्य का टैक्स जिम्मेदार है, असल में पेट्रोल की कीमत का सबसे बड़ा हिस्सा सरकार की एक्साइज ड्यूटी ( लगभग 33 रुपए प्रति लीटर) ही है.
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