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सोशल मीडिया पर एक जख्मी शख्स की कुछ फोटो वायरल हो रही हैं. फोटो में शख्स की पीठ पर गहरे जख्म देखे जा सकते हैं. दावा किया जा रहा है कि फोटो किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की बर्बरता से जख्मी हुए किसान की है.
वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि फोटो 1 साल पहले दिल्ली के मुखर्जीनगर में हुई ड्राइवर-पुलिस के बीच झड़प की हैं. इनका किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है.
फेसबुक और ट्विटर पर फोटो अलग-अलग कैप्शन के साथ शेयर की जा रही है एक यूजर के कैप्शन का हिंदी अनुवाद है - भारत की नरेंद्र मोदी सरकार की बर्बरता देखिए, यू पूरी तरह शर्मनाक है. मानवाधिकार संस्थाएं कहां हैं. फोटो को किसान आंदोलन से जुड़े हैशटैग के साथ शेयर किया जा रहा है.
वेबकूफ की वॉट्सएप टिपलाइन पर भी कई यूजर्स ने ये फोटो पड़ताल के लिए भेजी
वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें 17 जून,2019 की एक फेसबुक पोस्ट में भी यही फोटो मिली. जिससे साफ होता है कि फोटो का किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है.
फेसबुक पोस्ट से क्लू लेकर हमने गूगल पर अलग-अलग कीवर्ड सर्च किए. आज तक के रीजनल विंग दिल्ली तक की एक रिपोर्ट हमें मिली. 17 जून, 2019 की इस रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के मुखर्जीनगर में ग्रामीण सेवा के ड्राइवर सरबजीत सिंह की दिल्ली पुलिस के साथ झड़प हुई थी. इस झड़प में सरबजीत सिंह और पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे.
ड्राइवर का आरोप था कि जब वो सवारी लेने के लिए खड़े थे, अचानक कुछ पुलिसकर्मी आए और अपशब्दों का इस्तेमाल करने लगे. कुछ देर बाद दोबारा उनकी गाड़ी रोकी और पिटाई शुरू कर दी. आज तक की रिपोर्ट में घटना के बारे में बता रहे ड्राइवर की फोटो को वायरल फोटो से मिलाने पर स्पष्ट हो रहा है कि दोनों एक ही शख्स हैं.
इस मामले में जहां एक तरफ सरबजीत सिंह के जख्मों की फोटो वायरल हुई थीं. वहीं दूसरी तरफ पुलिस के भी जख्मी होने की खबरें आई थीं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान एएसआई योगराज शर्मा के सिर पर चोट आई थी. पुलिस का आरोप था कि ड्राइवर सरबजीत सिंह ने अपनी तलवार निकालकर पुलिस पर हमला किया था.
मतलब साफ है कि सोशल मीडिया पर 1 साल पुरानी घटना से जुड़ी तस्वीरों को किसान आंदोलन से जोड़कर गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
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