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सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का एक वीडियो वायरल है, जिसमें वो संसद में भाषण देते हुए कह रहे हैं ''मैं किसी भी तरह के आरक्षण को पसंद नहीं करता. और खासकर नौकरी में आरक्षण तो कतई नहीं. मैं ऐसे किसी भी कदम के खिलाफ हूं जो अकुशलता को बढ़ावा दे.''
दावा : वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि पीएम मोदी ने आरक्षण (Reservation) का विरोध किया.
क्या ये सच है ? : अधूरा वीडियो गलत संदर्भ में शेयर किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बात अपने विचार के तौर पर नहीं कही थी.
मोदी ने कांग्रेस पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का एक पत्र संसद में पढ़ा था.
हालांकि, जिस पत्र का मोदी ने जिक्र किया था उसमें नेहरू ने आगे पिछड़े सामाजिक वर्ग को शिक्षा में आरक्षण दिए जाने और स्कॉलरशिप दिए जाने का समर्थन भी किया था.
हमने ये सच कैसे पता लगाया ? : हमें बीजेपी के ऑफिशियल हैंडल से शेयर किया गया इस वीडियो का लंबा वर्जन मिला. यहां पीएम मोदी कहते हैं ''ये देश के प्रदानमंत्री पंडित नेहरू जी द्वारा उस समय के देश के मुख्यमंत्रियों को लिखी गई चिट्ठी है, ऑन रिकॉर्ड है, मैं अनुवाद पढ़ता हूं.'' इसके बाद मोदी वही बात कहते हैं, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.
नेहरू ने क्या कहा था ? : हमें Way Back Machine पर एक किताब का अर्काइव मिला जिसका नाम था Letters For A Nation: From Jawaharlal Nehru To His Chief Ministers .
27 जून 1961 के पत्र में उन्होंने जो लिखा था उसका हिंदी अनुवाद कुछ यूं होगा ''राष्ट्रीय एकता पर विचार करने के लिए हमारी यहां हुई बैठक में, जिसमें मुख्यमंत्री मौजूद थे, यह तय हुआ कि मदद आर्थिक आधार पर दी जानी चाहिए, न कि जाति के आधार पर.''
नेहरू ने आगे कहा,
नेहरू ने कहा कि पिछड़े समूहों की मदद करने का असली तरीका अच्छी शिक्षा के अवसर प्रदान करना है जिसमें तकनीकी शिक्षा भी शामिल है. उन्होंने कहा कि सरकार ने दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं - सार्वभौमिक मुफ्त प्रारंभिक शिक्षा और बहुत व्यापक पैमाने पर छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप).
निष्कर्ष : मतलब साफ है, सोशल मीडिया पर जिस वीडियो को पीएम मोदी का बयान बताकर शेयर किया जा रहा है. वो उन्होंने नेहरू की चिट्ठी का अनुवाद करते हुए कही थी.
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