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रविंद्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार ब्रिटिश हुकूमत ने नहीं दिया

ऐश्वर्या वर्मा
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>रविंद्र नाथ टैगोर से जुड़ा दावा वायरल है</p></div>
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रविंद्र नाथ टैगोर से जुड़ा दावा वायरल है

फोटो : Quint Hindi

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दिवंगत एक्टिविस्ट राजीव दीक्षित (Rajiv Dixit) का एक वीडियो वायरल है, जिसमें वो भारत के राष्ट्रगान और रविंद्र नाथ टैगोर के योगदान को लेकर एक कुछ दावे किए जा रहे हैं.

वीडियो में क्या है ? : राजीव दीक्षित कहते हैं कि टैगोर ने राष्ट्रगान उस वक्त के भारत के ब्रिटिश शासक किंग जॉर्ज पंचम की तारीफ में लिखा था.

  • दीक्षित के बयान के मुताबिक, अंग्रेजी हुकूमत राष्ट्रगान से इतने खुश हुए कि उन्होंने टैगोर को साहित्य में नोबेल पुरस्कार देने का फैसला लिया. क्योंकि वही नोबेल कमेटी के चेयरमैन थे.

  • दावे में दीक्षित कहते हैं कि महात्मा गांधी ने टैगोर से अपील की थी कि वो 1919 में हुए जलियावालां बाग नरसंहार के विरोध में अपना पुरस्कार वापस कर दें, पर टैगोर ने ऐसा करने से मना कर दिया.

पोस्ट का अर्काइव यहां देखें

सोर्स : स्क्रीनशॉट/इंस्टाग्राम

दावा करते अन्य पोस्ट्स के अर्काइव यहां और यहां देखें

पर ...?. ये दावा सच नहीं है

  • टैगोर ने राष्ट्र गान अंग्रेजी हुकूमत के लिए नहीं लिखा था और उन्होंने 1911 में ऐसी अफवाह उड़ने के चलते एक आधिकारिक पत्र में इसका स्पष्टीकरण भी दिया था.

  • यही नहीं, किंग जॉर्ज पंचम 1913 में उस स्वीडिश अकादमी के चेयरमैन नहीं थे, जिसकी तरफ से साहित्य में नोबेल पुरुस्कार दिया जा रहा था.

  • टैगोर ने अपना नोबेल पुरस्कार नहीं लौटाया ये सच है. लेकिन, ये जान लेना भी जरूरी है कि ये पुरस्कार अंग्रेजों ने नहीं दिया था. उन्होंने 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद अपनी उपाधि रद्द करने के संबंध में एक पत्र लिखा था.

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हमें कैसे पता चला?: अब हमने भारत के राष्ट्रगान जन गण मन से जुड़ी जानकारी देखना शुरू की. 2011 में भारत के राष्ट्रगान को 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बीबीसी पर एक रिपोर्ट छपी थी. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राष्ट्रगान को लेकर विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब किंग जॉर्ज पंचम के कोलकाता आगमन पर उनके सामने इसे गाया गया था.

  • इसमें जिक्र है कि ''कोलकाता में अंग्रेजी प्रेस के एक तबके ने ये रिपोर्ट किया था कि टैगोर का राष्ट्रगान अंग्रेजी हुकूमत को एक नज़राना है.''

  • 1939 में लिखे टैगोर के पत्र के हवाले से यहां बताया गया है कि "मुझे इसे अपना अपमान मानना चाहिए अगर मैं उन लोगों को जवाब देने की परवाह करता हूं जो मुझे ऐसी असीम मूर्खता के लिए सक्षम मानते हैं."

  • यानी टैगोर ने इस पत्र में साफ बताया है कि टैगोर ने खुद इस दावे को गलत बताया.

रिपोर्ट में बताया गया है कि जॉर्ज पंचम की यात्रा के दौरान यह गाना विवादों में आया था 

सोर्स : स्क्रीनशॉट/बीबीसी

हमें यही जानकारी किताब 'Our National Songs' के पेज नं 3 पर मिली. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से प्रकाशित किताब में ये पुष्टि की गई है कि टैगोर ने ये गाना ब्रिटिश सरकार के लिए नहीं लिखा था.

निष्कर्ष : भारत का राष्ट्रगान किंग जॉर्ज पंचम के लिए नहीं लिखा गया था. ये दावा भी सच नहीं है कि ब्रिटिश शासन की तरफ से टैगोर को साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया. टैगोर ने पुरस्कार वापस करने से मना भी नहीं किया था.

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