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राहुल और सोनिया गांधी के पीछे लगी वायरल तस्वीर ईसा मसीह की नहीं है

यह रूसी चित्रकार निकोलस रोएरिच की 'मैडोना ओरिफ्लेमा' नाम की पेंटिंग है.

ऐश्वर्या वर्मा
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>राहुल और सोनिया गांधी के पीछे लगी वायरल तस्वीर ईसा मसीह की नहीं है</p></div>
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राहुल और सोनिया गांधी के पीछे लगी वायरल तस्वीर ईसा मसीह की नहीं है

(Altered by Quint Hindi)

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के छठे चरण के लिए मतदान करने के बाद अपनी और सोनिया गांधी की एक सेल्फी शेयर की. यह तस्वीर सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से शेयर की गई.

दावा: तस्वीर शेयर करने वालों ने राहुल गांधी पर खुद को 'जनेऊधारी ब्राह्मण' (धागा पहनने वाला ब्राह्मण) कहने पर कटाक्ष किया, इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि उनके कमरे में ईसा मसीह की तस्वीर थी, लेकिन हिंदू देवताओं की कोई तस्वीर नहीं थी

  • इसे शेयर करने वालों में X (पूर्व में ट्विटर) यूजर 'MrSinha_' भी शामिल है, जो पहले भी कई बार फेक-न्यूज फैला चुका है.

इस पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

(सोर्स: X/स्क्रीनशॉट)

(सोशल मीडिया पर अन्य दावों के अर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं.)

लेकिन...?: फोटो में यीशु नहीं दिख रहे हैं.

यह रूसी चित्रकार निकोलस रोएरिच (Nicholas Roerich) की 'मैडोना ओरिफ्लेमा' ('Madonna Oriflamma') नाम की पेंटिंग है, जहां पेंटिंग में महिला शांति का बैनर पकड़े हुए है.

हमनें सच का पता कैसे लगाया ?: हमने देखा कि बैकग्राउंड में फोटो में एक व्यक्ति को तीन लाल पॉइंट्स वाला एक बैनर पकड़े हुए दिखाया गया है, जो एक लाल घेरे से घिरा हुआ है.

पेंटिंग में एक महिला को बैनर पकड़े हुए दिखाया गया है.

(सोर्स: X/Altered by The QUINT)

  • इस जानकारी को ('person holding red circle with three dots painting') कीवर्ड के रूप में इस्तेमाल करने पर हमें इसी तस्वीर के साथ 2017 का ब्लॉग पोस्ट मिला.

  • इसमें तस्वीर की पहचान 1932 में निकोलाई रोएरिच की 'मैडोना ओरिफ्लेमा' नाम की पेंटिंग के रूप में की गई थी.

यह तस्वीर 'मैडोना ओरिफ्लेमा' नाम की एक पेंटिंग दिखाती है.

(सोर्स: ब्लॉगस्पॉट/स्क्रीनशॉट)

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इसमें यह भी बताया गया है कि यह ज्यामितीय कला (Geometrical art) रोएरिच (Roerich) की रचना थी, जिसे उन्होंने बैनर के प्रतीकवाद पर विस्तार से बताते हुए 'शांति का बैनर' कहा था.

पेंटिंग में महिला के हाथ में 'शांति का बैनर' है.

(सोर्स: ब्लॉगस्पॉट/स्क्रीनशॉट)

हमने पेंटिंग का नाम ढूंढा और इसे इंटरनेट पर कई वेबसाइटों पर पाया.

इन परिणामों में से एक में पेंटिंग का Wikiart Page शामिल था, जिसे आखिरी बार 2013 में अपडेट किया गया था, जिसमें बताया गया था कि यह आर्ट न्यूयॉर्क के Nicholas Roerich Museum में प्रदर्शित की गई थी.

यह पेंटिंग न्यूयॉर्क में प्रदर्शित है.

(सोर्स: विकिआर्ट/स्क्रीनशॉट)

म्यूजियम के फेसबुक पेज ने 2021 में इसके अर्थ और प्रतीकवाद पर चर्चा करते हुए इस पेंटिंग की तस्वीर भी शेयर की थी.

इसके सिवा Roerich की वेबसाइट पर इसके माध्यम और आयामों के विवरण के साथ पेंटिंग का एक दृश्य भी है, जिसमें बताया गया है कि यह 1960 से संग्रहालय के लिए लोन पर है.

पेंटिंग का नाम मूल रूप से रूसी में रखा गया था.

(सोर्स: Roerrich.org/Screenshot)

पेंटिंग के दोबारा बनाये गए और प्रिंट किए गए संस्करण भी इंटरनेट पर आसानी से खरीदे जा सकते हैं. जैसा कि यहां, यहां और यहां देखा जा सकता है.

निष्कर्ष: राहुल और सोनिया गांधी की तस्वीर में दिख रही पेंटिंग ईसा मसीह की नहीं है. यह दावा झूठा है.

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