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3 कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं. इसी बीच सोशल मीडिया पर पत्रकार रवीश कुमार की एक फोटो वायरल हो रही है. जिसमें ये दावा किया जा रहा है कि रवीश कुमार बिरयानी खाने के लिए किसान आंदोलन में शामिल होने जा रहे हैं.
हालांकि ये फोटो साल 2018 के नवंबर महीने की है, जब रवीश कुमार किसान मुक्ति मार्च को एक रिपोर्टर के तौर पर कवर कर रहे थे.
रवीश कुमार की जो तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है उसमें दावा किया गया है कि वह किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान “बिरयानी” के लिए जा रहे हैं. दावे में लिखा है- “चलो जल्दी बिरयानी उधर मिल रही है.”
रवीश की उस तस्वीर में वो पैदल जा रहे हैं और उनके आगे-पीछे लोग ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) के झंडा पकड़े हैं. AIKS वाम दल CPIM की किसान विंग है. ट्वीटर के साथ-साथ फेसबुक पर भी इस फोटो को शेयर किया जा रहा है.
प्रासंगिक कीवर्ड के साथ एक रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 1 दिसंबर 2018 को 'यूपी खबर' नाम की एक वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख मिलती है. इस आर्टिकल में वही फोटो है, जो वायरल वायरल फोटो में दिख रही है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर कई यूजर ने भी इस फोटो को 30 नवंबर 2018 को ही शेयर किया था.
जब हमने YouTube पर "NDTV रवीश कुमार AIKS 2018" कीवर्ड से सर्च किया तो हमें 29 नवंबर 2018 की NDTV द्वारा अपलोड की गई एक वीडियो मिली. इस वीडियो में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) द्वारा आयोजित किसान मुक्ति मार्च की एक ग्राउंड रिपोर्ट थी.
अभी किसान आंदोलन में बिरयानी के नाम पर शेयर की जा रही वीडियो और एनडीटीवी के पुरानी वीडियो दोनों में ही रवीश कुमार एक ही कपड़े में साफ-साफ नजर आ रहे हैं.
द क्विंट ने भी 2018 में हुए किसान मार्च रैली को कवर किया था. नई दिल्ली के रामलीला मैदान तक देश भर के हजारों किसानों ने पैदल मार्च निकाला था.
किसानों के अधिकार समूह ने तब मांग की थी कि संसद एक विशेष सत्र बुलाए और दो बिलों को पारित करे. एक तो कर्ज से पीड़ित किसानों को राहत के रूप में एकमुश्त पूर्ण ऋण माफी और दूसरा फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजा मिले जैसी प्रमुख मांगें थीं.
कुल मिलाकर द क्विंट ने पहले भी किसान आंदोलन से जुड़ी गलत खबरों की जांच की है और उसे खारिज किया है. इस बार भी हमने हमारी जांच में पाया है कि गलत संदर्भ में रवीश कुमार की फोटो शेयर की जा रही है. साथ ही ये फोटो 2018 की है न कि अभी चल रहे किसान आंदोलन की.
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