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सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज पर फैसला सुनाया है. ऐसे में इसके तुरंत बाद, कई सोशल मीडिया यूजर्स ने पोस्ट शेयर कर दावा कि भले ही सेम सेक्स मैरिज (Same Sex Marriage) को कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी गई, लेकिन इस फैसले में ऐसे कपल को बच्चा गोद लेने की अनुमति दे दी गई है.
सच क्या है?: वायरल दावा झूठा है. सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) के उन नियमों को बरकरार रखा है, जिनमें समान लिंग वाले कपल को बच्चे गोद लेने की अनुमति नहीं दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा अपने फैसले में?: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट और पीएस नरसिम्हा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है कि विषमलिंगी परिस्थितियों में ट्रांसजेंडर को विवाह करने का अधिकार है. वहीं समलैंगिक जोड़ों यानी सेम सेक्स मैरिज को विवाह का अधिकार नहीं है, क्योंकि ''विवाह मौलिक अधिकार नहीं है''.
चीफ जस्टिस और जस्टिस कौल की राय में समान लिंग वाले कपल को सिविल यूनियन के रूप में मान्यता देने की बात की गई और बच्चों को गोद लेने के अधिकार की भी राय रखी गई. लेकिन ये राय अल्पमत थी.
वहीं बहुमत की राय, जिसमें जस्टिस भट, कोहली और नरसिम्हा शामिल थे. इसमें कहा गया कि CARA के नियमों को बरकरार रखते हुए समान लिंग वाले कपल को बच्चा गोद लेने का अधिकार नहीं दिया जा सकता.
Live Law ने X पर इस सुनवाई के संबंध में पोस्ट करते हुए इस बात को हाइलाइट किया है.
यहां आप जस्टिस भट को सेम सेक्स कपल को बच्चा गोद लेने से जुड़ी असहमति के बारे में बोलते हुए सुन सकते हैं.
निष्कर्ष: साफ है कि सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा ये दावा झूठा है कि सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज से जुड़े अपने फैसले में सेम सेक्स कपल को बच्चा गोद लेने की अनुमति दी है.
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