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अमेरिका (USA) में राष्ट्रपति चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे हैं. 3 नंवबर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप और बाइडेन की चुनावी जंग शुरू हो गयी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और बाइडेन की 30 सितंबर को पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट (presidential debate) हुई. इस दौरान कोरोना महामारी, वैक्सीन, सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति, टैक्स विवाद समेत कई मुद्दों पर ट्रंप और बाइडेन की आपस में जुबानी जंग हुई और दोनों तरफ से जमकर दावे किए गए.
प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान किए गए दावों का फैक्ट चेक
महामारी के बारे में बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि बच्चे इस महामारी की मार से बचे हुए हैं . ट्रंप ने कहा-
क्विंट इस बात को खारिज करता है. युवाओं में कोरोना की मार अभी भी बरकरार है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से हुई 1,43,429 मौतों में 754 मौत 18 से 19 साल के बच्चों की हुई है. जिसमें से 89 मौतें 18 साल से कम उम्र के बच्चों की हुई .
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार युवाओं से कोरोना फैलने का ज्यादा खतरा है. महामारी जूनोसिस यूनिट की प्रमुख मारिया वान केरखेव ने एक प्रेस काफ्रेंस में कहा कि "आंकड़े ये बताते हैं कि कोरोना से हुई मौतों में नौजवान और बच्चों की संख्या ज्यादा है".
डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बाइडेन पर निशाना साधते हुए ट्रंप ने कहा कि 2009 में हुआ H1N1 वायरस सबसे ज्यादा भयावाह था.
17 अप्रैल 2009 को सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की प्रेस रिलीज के मुताबिक H1N1 से वही लोग प्रभावित हुए थे जो शुरूआत में रोगी के संपर्क में आए .
रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि "सीडीसी ने पीसीआर टेस्ट विकसित किया और नए वायरस की पहचान के बाद दो हफ्तों से कम समय में 28 अप्रैल 2009 को आपात उपयोग के प्रावधानों के तहत डायगनोसिक प्रयोगशालाओं ने इसके इस्तेमाल की अनुमति दे दी."
सितंबर 2009 को एचवन एनवन का टीका खोज लिया गया था और इसकी पहली खुराक 5 अक्टूबर 2009 को दिलाई गई. इसी संगठन के फरवरी में किए गए एक परीक्षण से पता चलता है कि आम जनता ने इस बीमारी के वक्त सरकार पर पूरा भरोसा दिखाया था.
ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन ने जिस तरह कोरोना को हैंडल किया उस पर डिबेट करते हुए बाइडेन ने कहा कि एक्सपर्ट्स का मानना है कि महामारी की शुरुआत से ही लोग अगर मास्क पहनते तो आज कोरोना का खतरा कम होता.
इस ट्रंप ने ये जवाब दिया कि डॉक्टर फौसी के मुताबिक मास्क अच्छे नहीं है. न ही इसके इस्तेमाल से कोई खास फायदा होता है. डॉक्टर फौसी नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेकशन डिजीज के डायरेक्टर हैं.
ट्रंप ने डॉक्टर फौजी की बात में थोड़ा उलट फेर कर बताया. कोरोना की शुरूआत में डॉक्टर फौजी ने ये कहा था कि लोगों का मास्क पहन के घूमना खतरनाक हो सकता है, लेकिन संक्रमण के अधिक फैलने के साथ फौसी ने ये सिफारिश की थी कि कोरोना से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल जरूरी है.
उन्होंने आगे कहा कि कोरोना के लिए बरते जाने वाले एहतियातों में फिजिकल डिस्टेंसिंग सबसे ज्यादा जरूरी है, लेकिन हर समय हम इसे फॉलो नहीं कर सकते. इसलिए मास्क मददगार साबित हो सकता है, मास्क की सहायता से हम लोगों के संपर्क में आने के साथ भी सावधानी बरत सकते हैं.
नागरिकों को शुरू से ही मास्क पहनने के लिए नहीं कहा गया था. उन्होंने कहा कि एन 95 और सर्जिकल मास्क सहित पीपीई किट कि शॉर्टेज को लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य समुदाय और आम लोग परेशान थे. हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि हेल्थ केयर वर्कर को पीपीई किट मिले और उन्हें किसी तरह का कोई भी खतरा न हो.
जुलाई में बीबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होनें मास्क को बेकार बताने वाले ट्रंप के दावों के बारे में कहा था कि कोविड 19 से लड़ने के लिए सिर्फ एक व्यक्ति का मास्क पहनना काफी नहीं है इस लड़ाई में जीत तब ही होगी जब दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति मास्क पहने.
आर्थिक वृद्धि पर चर्चा करते हुए बाइडेन ने ये दावा किया कि उन्होंने अपने बाद एक बेहतर अर्थव्यवस्था को छोड़ा था, लेकिन ट्रंप ने उसे बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है .
2018 में द न्यूयार्क टाइम में छपे एक लेख में ये जिक्र किया गया कि 2015 और 16 के बीच तेल की कीमतों में गिरावट के कारण व्यापार निवेश में काफी मंदी देखी गई थी .
2016 में ओबामा का कार्यकाल खत्म हुआ. जिसका विपरीत प्रभाव ऊर्जा और कृषि क्षेत्रों पर देखा गया, इस वजह से पूरा आर्थिक विकास धीमा पड़ गया था.
बीबीसी के एक विश्लेषण के मुताबिक ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के पहले तीन सालों में अर्थव्यवस्था में 2.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धी देखी गई थी, रिपोर्ट में कहा गया कि ओबामा प्रशासन के आखिर 3 सालों में विकास का स्तर 2.3 की दर से सामान बना रहा, जिसने साल 2014 के मध्य में 5.5 की दर से उच्च स्तर की बढ़त हासिल की .
इस तरह बाइडेन का बेहतर अर्थव्यवस्था वाला दावा काफी हद तक गलत साबित होता है.
व्यापार सौदों पर बाइडेन ने ट्रंप पर आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका आज के दौर में चीन के साथ सौदों में पहले से कहीं ज्यादा नुकसान की स्थिति में है .
बाइडेन ने कहा ट्रंप के व्यापार सौदे से अमेरिका को फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा हो रहा है, ट्रंप सिर्फ बड़ी बातें करते हैं और बड़े व्यापार सौदे करते हैं. ट्रंप ये नहीं देखते कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान हो सकता है.
व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश का आयात उसके निर्यात के मूल्य से अधिक हो .
हमने अमेरिकी जनगणना ब्यूरो की वेबसाइट पर अपलोड किए गए दस्तावेज को स्कैन किया . जिसमें एक साल के भीतर किए गए आयात और निर्यात के मूल्यों के बीच के अंतर का पूरा खाका दिया गया था.
हमने ओबामा के कार्यकाल और पिछले तीन सालों के ट्रंप प्रसाशन के पहले चार सालों के कार्यकाल ( 2019) तक के आंकड़ों की तुलना की. अंतर से ये पता चला कि साल 2019 के लिए व्यापार घाटा 3,45,204.2 था, जबकि ओबामा के कार्यकाल के तीन सालों में ये आंकड़े कुछ इस तरह थे.
2016: 346,825.2
2015: 367,328.3
2014: 344,817.7
(सभी आंकड़े मिलियन अमेरिकी डॉलर में हैं, source: US Census Bureau)
आंकड़ों से ये साफ होता है कि 2015 और 2016 में साल 2019 की तुलना में थोड़ा अधिक व्यापार घाटा देखा गया, जबकि 2014 में 2019 की तुलना में लगभग सामान मात्रा में व्यापार घाटा देखा गया.
NYT के एक लेख के मुताबिक ट्रंप ने भले ही चीन के साथ व्यापार घाटे को कम किया हो लेकिन दूसरे देशों के साथ व्यापार घाटा बढ़ा है.
मॉडरेटर क्रिस वालेस ने दोनों नेताओं के चुनाव प्रचार के प्रति उनके दृष्टिकोण पर सवाल उठाए और कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप बड़ी भीड़ के साथ आउटडोर चुनाव रैलियां कर रहे हैं.
हालांकि ट्रंप की सभी रैलियां आउटसाइड नहीं थी. सीबीएस न्यूज के मुताबिक ट्रंप ने सितंबर में हेडरसन नेवादा में एक इनडोर रैली की. जिसमें कई लोग बिना मास्क के रैली में शामिल हुए थे.
कई पत्रकारों ने ट्विटर पर भी बताया कि ट्रंप ने इनडोर रैलियां की हैं.
ट्रंप बार बार कहते रहते हैं कि डाक के जरिए मतदान एक तरह की धोखाधड़ी है. यह एक आपदा से ज्यादा कुछ नहीं है. बहस में भी ट्रंप ने अपने इस दावे को दोहराया.
ट्रंप ने कहा - "जहां तक डाक मतपत्रों की बात है यह सिर्फ एक धोखा है, देश भर में मतपत्र भेजना एक धोखाधड़ी ही साबित होगा. ये एक तरह का ढोंग है. मतपत्र एक बेकार कागज की टोकरी साबित होगी."
मेल इन वोटिंग का मतलब सरल शब्दो में ये है कि अधिकारी मतदाताओं को उनके अनुरोध के आधार पर बैलट पेपर भेजते हैं, फिर मतदाता अपना वोट डाल कर वापिस उन अधिकारियों तक पहुंचा देते हैं. मतदान की यह प्रणाली अमेरिकी गृहयुद्ध के बाद से चली आ रही है. इसके तहत दोनों गुट के सैनिक अपने युद्धक्षेत्र से मतपत्र लाते थे और उनकी गिनती किया करते थे.
ये प्रक्रिया कितनी सुरक्षित?
इस तरह डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन ने पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान कई सारे गलत और बहकाने वाले दावे किए, जिनके पीछे की सच्चाई कई फैक्ट चैकर्स ने सामने लाई.
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