advertisement
(पहली बार 14 फरवरी, 2022 को पब्लिश हुई इस स्टोरी को हम अपने अर्काइव से दोबारा पब्लिश कर रहे हैं. 4 जुलाई 2022 को योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर फिर सीएम योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि 2016-17 में उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी दर 18% थी, जो कि घटकर 2% हो गई है)
उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) में दूसरे चरण के मतदान के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर दावा किया था कि 2017 से पहले यूपी में बेरोजगारी 17.6% थी, वहीं 2017 के बाद बेरोजगारी दर सबसे निचले स्तर पर 3% हो गई. हालांकि, CM का ये दावा तथ्यों की कसौटी पर खरा नहीं उतरता.
योगी आदित्यनाथ के ट्वीट में 2017 के पहले के एक महीने के आंकड़े को और 2017 के बाद के एक महीने को आंकड़ो को बेरोजगारी की पूरी स्थिति की तरह पेश किया गया है. उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी अपने उच्चतम 21.5% पर योगी सरकार के कार्यकाल में ही पहुंची थी. स्वशासी संगठन CMIE बेरोजगारी के आंकड़े हर महीने जारी करता है.
ये सच है कि उत्तरप्रदेश में अगस्त 2016 में बेरोजगारी दर 17.6% पर पहुंच गई थी, लेकिन इसके बाद जनवरी, 2017 आते-आते बेरोजगारी दर गिरकर 3% पर भी आ गई थी. उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा अप्रैल 2020 में (योगी सरकार के दौरान ही) देखी गई थी. जब बेरोजगारी दर 21.5% पर पहुंच गई थी.
CM योगी ने इस ट्वीट में बेरोजगारी को लेकर दावा किया था
सीएम योगी के दावों को दो हिस्सों में बाटा जा सकता है पहला ये कि UP में योगी सरकार आने से पहले यानी 2017 से पहले बेरोजगारी दर 17.6% थी. दूसरा ये कि योगी सरकार आने के बाद बेरोजगारी 3.0% हो गई. एक-एक कर इन दोनों दावों का सच जान लेते हैं.
ये सच है कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के डेटा के मुताबिक, अगस्त 2016 में उत्तरप्रदेश में 17% बेरोजगारी थी, लेकिन इसके बाद जनवरी 2017 में ही बेरोजगारी दर गिरकर 3.7% हो गई थी. यानी बीजेपी सरकार आने से पहले ही उत्तरप्रदेश की बेरोजगारी दर गिरकर उतनी हो गई थी, जितनी CM योगी के ट्वीट में बताई गई है.
हमने CMIE के 2016 में जारी किए गए हर महीने के बेरोजगारी के आंकड़े का औसत निकाला, तो पता चला कि इस साल में उत्तरप्रदेश में वित्तीय वर्ष अप्रैल 2016 से मार्च 2017 के बीच बेरोजगारी का औसत 10.28% रहा था.
CMIE के ही आंकड़ों के मुताबिक 2016 के जून में बेरोजगारी दर 18% पहुंच गई थी. लेकिन, इसके बाद हर महीने बेरोजगारी दर कम होती गई. जनवरी 2017 में बेरोजगारी दर 3.7% थी. फरवरी 2017 में 3.0% थी, लेकिन बेरोजगारी दर में उछाल के बाद आ रही ये गिरावट बीजेपी सरकार आने से पहले ही हुई. सरकार आने के बाद नहीं, जैसा की सीएम योगी के ट्वीट में बताने की कोशिश की गई है.
उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी अपने उच्चतम स्तर पर योगी सरकार के दौरान ही रही. जब अप्रैल 2020 में बेरोजगारी दर 21.5% पर पहुंच गई थी. हालांकि, ये कोरोना महामारी का समय था जिसका असर देश भर की अर्थव्यवस्था और रोजगार पर पड़ा था.
हमने CMIE के डेटा के जरिए योगी सरकार के कार्यकाल में उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी का पांचों सालों का औसत निकाला. इसके मुताबिक, यूपी में साल 2017-18 में बेरोजगारी दर 3.93%, 2018-19 में 8.59%, 2019-20 में 9.85%, 2020-21 में 8.66 और 2021-22 में 5.14 रही.
CMIE के डेटा के मुताबिक, योगी सरकार के पूरे कार्यकाल में बेरोजगारी की औसत दर निकालें तो ये 7.23% होता है.
हमने हर साल जारी होने वाले 'पीरियॉडिकल लेबर फोर्स सर्वे' (PLFS) के आंकड़े भी चेक किए. इनके मुताबिक, साल 2017-18 में उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी दर 6.4% रही. वहीं साल 2018-19 में बेरोजगारी दर 5.7% रही. 2019-20 में ये आंकड़ा 4.5% रहा.
कोरोना महामारी शुरू होने के बाद उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी के आंकड़ों का पीक देखा गया. लेकिन, कोरोना से पहले भी वर्तमान सरकार के दौरान ऐसी कई रिपोर्ट्स आईं, जिनसे साबित होता है कि उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही थी.
जून 2019 में आई NSO की रिपोर्ट में सामने आया था कि उत्तरप्रदेश के शहरी इलाकों में देश भर की तुलना में सबसे ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी है. ये आंकड़े दिसंबर 2018 में खत्म होने वाली तिमाही के थे. रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी में सबसे कम वृद्धि गुजरात और सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश में हुई थी. उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी दर 15.8% बढ़ी थी.
2018 से 2020 के बीच उत्तरप्रदेश में बेरोजगारों की संख्या 12 लाख से ज्यादा बढ़ी थी. 30 जून, 2018 तक ये संख्या 21.39 लाख थी, जबकि 14 फरवरी 2020 को विधानसभा में एक सवाल के जवाब में यूपी सरकार ने बताया कि पोर्टल पर रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या 33.93 लाख हो गई.
मतलब साफ है - आंकड़े यही कहते हैं कि 2017 के बाद भी उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी लगातार बढ़ी है. CM योगी ने जो 3% बेरोजगारी दर अपने ट्वीट में बताई, वो सच नहीं है. .
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)