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सोशल मीडिया पर घरेलू सामान की एक रेट लिस्ट वायरल हो रही है. इसमें तुअर दाल, शक्कर, आटा आदि की कीमतें लिखी हुई हैं. मैसेज में यूपीए 2 सरकार के समय ग्रॉसरी की कीमतों की तुलना 2021 (मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल) से की गई हैं.
लिस्ट के मुताबिक, साल 2021 में इन सभी चीजों की कीमत 2014 के मुकाबले काफी कम हैं. वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि वायरल मैसेज में बताई गई सभी वस्तुओं की 2014 की कीमतें गलत हैं. असल में 2021 में तुअर दाल. उड़द दाल. मूंग दाल और शक्कर की कीमतें 2014 की तुलना में ज्यादा ही हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा मैसेज है -
I was going through the grocery price list & compared it with 2014 figures
*Tur Dhal*
2014 - Rs 210
2021 - Rs 94
*Urud Dhal*
2014 - Rs 178
2021 - Rs 115
*Moong Dhal*
2014 - Rs 180
2021 - Rs 110
*Sugar*
2014 - Rs 45
2021 - Rs 38
*Chana Dhal*
2014 - Rs 125
2021 - Rs 64
*Wheat Flour (Un branded)*
2014 - Rs 36
2021 - Rs 30
हिंदी अनुवाद
घरेलू सामान की लिस्ट देखते हुए साल 2014 की कीमतों से तुलना की.
*तअर दाल*
2014 - 210 रुपए
2021 - 94 रुपए
*उड़द दाल*
2014 - 178 रुपए
2021 - 115 रुपए
*मूंग दाल*
2014 - 180 रुपए
2021 - 110 रुपए
*शक्कर*
2014 - 45 रुपए
2021 - 38 रुपए
*चना दाल*
2014 - 125 रुपए
2021 - 64 रुपए
*गेहूं का आटा *
2014 - Rs 36
2021 - Rs 30
केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स की प्राइज मॉनिटरिंग डिवीजन (PMD) सभी वस्तुओं की कीमतों का डेटा एकत्रित करती है. वेबसाइट पर हर रिटेल आइटम की प्रति माह की राज्यवार ऐवरेज रिपोर्ट होती है.
हमने हर राज्य के हर महीने की ऐवरेज रिपोर्ट को कैल्कुलेट कर शक्कर, तुअर दाल, अरहर दाल, गेहूं और चना दाल की साल 2014 की सालाना औसत कीमत निकाली. ये कीमत वायरल मैसेज में दिए गए आंकड़ों से बिल्कुल अलग है.
वायरल मैसेज के मुताबिक 2014 में अरहर दाल की कीमत 210 रुपए किलो थी, जबकि असल में 2014 में अरहर दाल की औसत कीमत 75.82 रुपए प्रति किलो रही. वायरल मैसेज के मुताबिक 2021 में अरहर दाल की कीमत 94 रुपए प्रति किलो है, जबकि असल में फरवरी तक की कीमतों का औसत 104.98 रुपए प्रति किलो है. वायरल मैसेज में दी गई कीमतें और असली कीमतों का पूरा फर्क इस टेबल में देखा जा सकता है.
मतलब साफ है - वायरल मैसेज में साल 2014 और 2021 की गलत कीमतें बताकर सोशल मीडिया पर ये झूठा दावा किया जा रहा है कि यूपीए-2 के कार्यकाल में ग्रॉसरी आइटम की कीमत 2021 से भी ज्यादा थीं. Factly वेबसाइट पर भी इस दावे की पड़ताल की जा चुकी है.
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