Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Webqoof Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019UP के लड़के ने बनाया Signal,बंद हो जाएगा WhatsApp?दावे का सच जानिए

UP के लड़के ने बनाया Signal,बंद हो जाएगा WhatsApp?दावे का सच जानिए

वेबकूफ की पड़ताल में वायरल मैसेज फेक निकला

क्विंट हिंदी
वेबकूफ
Updated:
i
null
null

advertisement

सोशल मीडिया पर मैसेंजर एप सिग्नल और वॉट्सएप से जुड़े दावे करता एक मैसेज वायरल हो रहा है. मैसेज में जहां सिग्नल एप को यूपी के रहने वाले गांव के लड़के का अविष्कार बताया गया है. वहीं वॉट्सएप के 6 महीने बाद बंद होने का दावा भी किया गया है.  हमारी पड़ताल में सामने आया कि वायरल मैसेज में किए गए सभी दावे फेक है.

दावा

वायरल मैसेज में सभी भारतीयों से देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिग्नल एप इस्तेमाल करने की अपील की गई है. दावा है कि सिग्नल एप उत्तरप्रदेश के गांव में रहने वाले गरीब लड़के ने बनाया है, जो आईआईटी से ग्रेजुएट है. वायरल मैसेज में यह भी कहा गया है कि नासा और यूनेस्को जैसी संस्थाओं ने भी सिग्नल एप को 2021 का सबसे बेहतर एप घोषित किया है. मैसेज में सिग्नल को दुनिया का इकलौता एप बताया गया है, जिसकी कोडिंग में संस्कृत का इस्तेमाल हुआ है.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें 
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें 
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें 

पड़ताल में हमने क्या पाया

वेबकूफ की पड़ताल में वायरल मैसेज में किए जा रहे सभी दावे फेक निकले. एक-एक कर जानिए हर दावे की सच्चाई.

यूपी के गांव में रहने वाले लड़के ने बनाया सिग्नल

हमने सिग्नल की ऑफिियल वेबसाइट पर बोर्ड में शामिल सदस्यों के नाम देखे. सदस्यों के नाम ब्रायन एक्टन, मोक्सी मारलिंस्पाइक हैं.

वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ब्रायन एक्टन ने मोक्सी मारलिंस्पाइक के साथ सिग्नल एप की शुरुआत की थी. ऐसी कोई जानकारी हमें नहीं मिली, जिससे पुष्टि होती हो कि एप की शुरुआत करने वाले मोक्सी और ब्रायन का उत्तरप्रदेश से कोई संबंध है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

एप को नासा और यूनेस्को से अवॉर्ड मिला

वायरल मैसेज में दावा है कि सिग्नल एप को नासा और यूनेस्को की तरफ से 2021 का सबसे बेहतर एप होने का अवॉर्ड मिला है. हमें इन दोनों संस्थाओं की तरफ से दिए जाने वाले ऐसे किसी अवॉर्ड की जानकारी नहीं मिली.

यूनेस्को की ऑफिशियल वेबसाइट पर हमने संस्था द्वारा दिए जाने वाले अवॉर्ड की लिस्ट चेक की. लिस्ट में उस नाम का कोई अवॉर्ड नहीं मिला, जिसका वायरल मैसेज में जिक्र है.

एप की कोडिंग के लिए संस्कृत का इस्तेमाल

सिग्नल की ऑफिशियल वेबसाइट पर सॉफ्टवेयर लाइब्रेरी की लिस्ट देखी जा सकती है. इस लिस्ट में सिग्नल प्रोटोकॉल जावा लाइब्रेरी, सिग्नल प्रोटोकॉल सी लाइब्रेरी, सिग्नल प्रोटोकॉल जावा स्क्रिप्ट लाइब्रेरी शामिल हैं.

कहीं भी संस्कृत का जिक्र नहीं है. सिग्नल एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है और इसके कोड पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हैं. हमने सिग्नल एप की Github लिंक चेक की, जहां एप में उपयोग हुए लैंग्वेज कोड देखे जा सकते हैं. यहां जावा, ऑब्जेक्टिव -सी, रस्ट, सी एंड स्विफ्ट का इस्तेमाल किया गया है.

सिग्नल एंड्रॉइड एप की ट्रांसलेशन लिस्ट भी हमने चेक की. किसी भी कोड का ट्रांसलेशन संस्कृत में नहीं मिला. बंगाली, कन्नड़, हिंदी, मलयालम, मराठी, तेलुगु, पंजाबी और गुजराती में कोड का ट्रांसलेशन जरूर किया गया है.

टेक एक्सपर्ट करण सैनी ने वेबकूफ टीम से हुई बातचीत में बताया - किसी अन्य भाषा में कोड का ट्रांसलेशन सिर्फ उसे समझने के लिए किया जाता है. कोड का असली वर्जन इग्लिश में ही होता है

कोडिंग का ट्रांसलेशन असल में सिर्फ डिस्प्ले के लिए होता है. जिससे पता चल सके कि किन-किन भाषाओं का इस्तेमाल करने वाले लोग एप इस्तेमाल कर रहे हैं. ये ट्रांसलेशन वॉलेंटियर्स करते हैं. इस साल की शुरुआत में कई लोगों ने सिग्नल के एंड्रॉइड यूआई का हिंदी, मलयालम, गुजराती समेत कई भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन किया था.

कोडिंग में संस्कृत को लेकर करण ने बताया - सिग्नल 100 से ज्यादा अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध है. जिससे हर रीजन के लोग इसका इस्तेमाल कर सकें. लेकिन, इन 100 भाषाओं में संस्कृत शामिल नहीं है. संस्कृत का आईएसओ कोड 'sa_IN' है. ये कोड हमें सर्च करने पर कहीं भी नहीं मिला, जिसका मतलब है कि Debian OS settings को छोड़कर किसी भी ऑनलाइन सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट में संस्कृत का इस्तेमाल नहीं किया गया है.

करण के मुताबिक, ये संभव है कि हिंदी ट्रांसलेशन (hi_IN) में संस्कृत के भी शब्द शामिल हों. लेकिन, अलग से संस्कृत भाषा का इस्तेमाल कोडिंग में नहीं किया गया है.

6 महीने में बंद हो जाएगा वॉट्सएप


वायरल मैसेज में दावा किया गया है कि वॉट्सएप 6 महीने बाद बंद हो जाएगा. इस दावे की पुष्टि के लिए हमने वॉट्सएप से संपर्क किया. कंपनी ने जवाब में कहा - ये झूठा दावा है, हम लोगों को अपने परिवार और दोस्तों से बात करने का एक सुरक्षित माध्यम देने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे.

मतलब साफ है कि सिग्नल और वॉट्सएप से जुड़े दावे करता वायरल मैसेज पूरी तरह फेक है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 12 Jan 2021,12:42 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT