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विवेक अग्निहोत्री ने US के 'रोड आइलैंड' स्टेट का लेटर,गलत दावे से शेयर किया

अग्निहोत्री ने सर्टिफिकेट शेयर कर लिखा ''32 साल बाद US के स्टेट ने 'कश्मीर में हिंदुओं के कत्लेआम की घटना को माना''

अभिलाष मलिक
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>विवेक अग्निहोत्री ने US के रोड आइलैंड स्टेट का सर्टिफिकेट शेयर किया</p></div>
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विवेक अग्निहोत्री ने US के रोड आइलैंड स्टेट का सर्टिफिकेट शेयर किया

फोटो : Altered by Quint

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फिल्म मेकर विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) ने एक फोटो शेयर कर दावा किया कि अमेरिका के एक स्टेट रोड आइलैंड ने फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' देखने के बाद घाटी पर 1990 में हुए हिंदुओं के नरसंहार की घटना को माना.

फोटो ऐसे वक्त पर शेयर हुई जब कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स थिएटरों में लगी हुई है. इस फिल्म को कई बीजेपी नेताओं ने प्रमोट किया है, बीजेपी शासित राज्यों में फिल्म को टैक्स फ्री भी किया गया है.

हालांकि, हमारी पड़ताल में ये दावा भ्रामक निकला. विवेक अग्निहोत्री ने जो फोटो शेयर की है, उसमें सिर्फ रोड आइलैंड में फिल्म को रिलीज करने की अनुमति भर है. उस दस्तावेज में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि अमेरिका के राज्य रोड आइलैंड को फिल्म देखने के बाद कश्मीरी पंडितों पर हुए सुलूक के बारे में पता चला. या फिर स्टेट ने फिल्म देखने के बाद इस घटना को माना.

सर्टिफिकेट जारी करने वाले अमेरिकी राज्य रोड आइलैंड के प्रतिनिधि ब्रायन कैनेडी ने भी क्विंट से बातीचत में ये पुष्टि की कि भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक की दरख्वास्त पर उन्होंने ये सर्टिफिकेट जारी किया था. ये सर्टिफिकेट सिर्फ फिल्म के प्रीमियर को मान्यता देने के लिए था.

दावा

फोटो के साथ किए गए विवेक अग्निहोत्री के ट्वीट का हिंदू अनुवाद कुछ यूं होगा - 32 साल में पहली बार, दुनिया का कोई राज्य, यूएसए का डेमोक्रैटिक और लिबरल राज्य रोड आइलैंड, आधिकारिक तौर पर कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को जान पाया, इस घटना को उसने रिकॉगनाइज किया. पढ़ें और तय करें कि अत्याचारी कौन है और किसे सजा मिलनी चाहिए. यही है #NewIndia

पोस्ट का अर्काइव यहां देखें

सोर्स : स्क्रीनशॉट/ट्विटर

रिपोर्ट लिखे जाने तक विवेक अग्निहोत्री के ट्वीट को 13,000 से ज्यादा बार रीट्वीट किया जा चुका है.

ट्विटर और फेसबुक पर कई यूजर्स ने इसे शेयर किया. कई बॉलीवुड एक्टर, वैरिफाइड अकाउंट्स और बीजेपी नेताओंं ने भी यही दावा किय.

पड़ताल में हमने क्या पाया?

विवेक अग्निहोत्री की शेयर की गई फोटो को देखने पर पता चला कि उसमें ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि फिल्म देखने के बाद कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार का पता चलता है.

इस सर्टिफिकेट में लिखा है कि '' द कश्मीर फाइल्स के प्रीमियर को मान्यता. फिल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचारों पर बनाई गई है. उन घटनाओं को याद करके, जब आतंकवाद और अतिवाद से ग्रस्त होकर इस्लामिक गिरोहों ने कश्मीर घाटी में 500,000 कश्मीरी हिंदुओं को जातीय आधार पर प्रताड़ित किया और शरणार्थियो की तरह रहने पर विवश किया. ''

सर्टिफिकेट में ऐसा नहीं लिखा है कि राज्य ने कश्मीरी फाइल्स देखे के बाद कश्मीर में पंडितों पर हुए अत्चातार को माना.

ट्वीट का लिंक यहां है

सोर्स : ट्विटर/स्क्रीनशॉट

हमें स्वतंत्र पत्रकार राकिब हमीद का ट्वीट भी मिला, जिसमें उन्होंने विवेक अग्निहोत्री के दावे को गलत बताया है.

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राकिब हमीद ने अपने ट्वीट में कहा है कि उन्होंने प्रतिनिधि ब्रायन कैनेडी (अमेरिकी राज्य रोड आइलैंड के प्रतिनिधि) से संपर्क किया. ब्रायन ने राकिब को बताया कि ये सर्टिफिकेट रोड आइलैंड कॉलेज में फिल्म के प्रीमियर की अनुमति के लिए जारी किया गया था. राज्य ने आधिकारिक तौर पर इस बात से सहमति नहीं जताई है या मान्यता नहीं दी है कि ''कश्मीर में हिंदुओं का कत्लेआम'' हुआ था.

द क्विंट ने भी ब्रायन कैनेडी से संपर्क किया. हमें दिए बयान में कैनेडी ने कहा ''दिसंबर 2021 में मुझसे ईस्ट ग्रीनविच में रहने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक ने विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के लिए ये सर्टिफिकेट जारी करने के लिए संपर्क किया था. ये फिल्म रोड आइलैंड कॉलेज में 9 दिसंबर 2021 को दिखाई गई थी.''

''राज्य की तरफ से जारी किया गया ये सर्टिफिकेट महज फिल्म के प्रीमियर को मान्यता देने के लिए जारी हुआ था. न मैं फिल्म के डायरेक्टर से मिला, न मैंने फिल्म देखी. हालांकि, मैंने फिल्म के कुछ सीन देखे थे, जो मुझे प्रीमियर के पहले भेजे गए थे.''

''प्रतिनिधि ब्रायन कैनेडी ने आगे अपने बयान में स्पष्ट किया ''ये सर्टिफिकेट महज स्पेशल ईवेंट को लेकर दी गई मान्यता जैसा था, इसकी तुलना सदन के एक सदस्य की मान्यता से नहीं की जा सकती. ये सर्टिफिकेट फिल्म के डायरेक्टर को फिल्म के प्रीमियर के लिए दिया गया था, इससे ज्यादा ये कुछ नहीं था.''

पत्रकार राकिब हमीद नाइक ने अपने ट्वीट में बताया है कि उन्होंने रोड आइलैंड के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के स्टाफर से संपर्क किया था, स्टाफर के जोसेफ शेकार्ची ने बताया कि सदन के सभापति (स्पीकर) को इस सर्टिफिकेट की जानकारी नहीं थी.

द क्विंट की वेबकूफ टीम ने के जोसेफ शेकार्ची से भी संपर्क किया है, उनका जवाब आते ही इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं )

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