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सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में बुर्का पहने एक महिला सड़क पर उठक-बैठक करती नजर आ रही है. महिला के चारों ओर पुलिसकर्मी खड़े दिख रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो मध्य प्रदेश के खरगोन (Khargone) का है, जहां 10 अप्रैल को सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence) हुई थी.
खरगोन में रामनवमी (Ram Navami) जुलूस के दौरान पथराव और आगजनी हुई थी. इस हिंसा में इबरीश खान उर्फ सद्दाम की हत्या हो गई थी. पुलिस ने इस मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया है.
हालांकि, हमने पाया कि वीडियो गुजरात के सूरत का है और 2020 का है. तब कोरोना लॉकडाउन से जुड़े नियमों को न मानने की वजह से महिला से उठक बैठक लगवाई गई थी.
वीडियो को सोशल मीडिया पर इस दावे से शेयर किया जा रहा है, "बाबा से कम नहीं मामा कान पकड़ कर उठक बैठक करती हुई सलमा अब से पत्थर नही फेकेगी video मध्य प्रदेश के खरगौन का बताया जा रहा."
हमने वीडियो वेरिफिकेशन टूल InVid का इस्तेमाल कर वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और उनमें से कुछ पर रिवर्स इमेज सर्च किया.
Yandex पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 18 अप्रैल 2020 को S9 News नाम के वेरिफाइड यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया एक वीडियो मिला.
वीडियो के कैप्शन में गुजराती में लिखा था कि सूरत के कोट इलाके में पुलिस ने लगाया कर्फ्यू.
यहां से क्लू लेकर हमने कीवर्ड सर्च का इस्तेमाल कर घटना से जुड़ी रिपोर्ट देखीं.
हमें 2 साल पहले पब्लिश Divya Bhaskar की एक रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट के मुताबिक देशव्यापी कोरोना लॉकडाउन के दौरान सूरत के सलाबतपुरा मछली बाजार में कोरोना कर्फ्यू नियमों का उल्लंघन करने के लिए, एक महिला को उठक बैठक लगवाई गई जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.
इस वीडियो के संबंध में स्थानीय रिपोर्टर धर्मेश अमीन ने क्विंट से पुष्टि की कि वीडियो लॉकडाउन के दौरान का है और गुजरात के सलाबतपुरा का है.
मतलब साफ है, कि गुजरात में 2020 में कोरोना लॉकडाउन से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर महिला को उठक बैठक लगवाई गई थी, जिसे खरगोन का बता गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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