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(ये स्टोरी पहली बार 21 मार्च 2021 को पब्लिश हुई थी. हालांकि, इसे क्विंट के आर्काइव से निकालकर फिर से पब्लिश किया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने 18 अप्रैल 2023 को लखनऊ में PM MITRA योजना के लॉन्च के दौरान ऐसा ही दावा फिर से किया. हालांकि, NCRB के आंकड़े बताते हैं कि उत्तरप्रदेश में 2021 में दंगों के 5302 मामले दर्ज हुए हैं.)
उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार के चार साल पूरे होने पर 19 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई. जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ ने सरकार की सफलताएं गिनाईं. इस दौरान योगी ने फिर ये झूठा दावा किया कि उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद से दंगे का कोई मामला सामने नहीं आया.
योगी आदित्यनाथ ने यही दावा जनवरी, 2019 में भी किया था. द क्विंट की वेबकूफ टीम समेत कई फैक्ट चेकिंग वेबसाइट्स की पड़ताल में ये दावा झूठा साबित हुआ था.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के साल 2019 के डेटा के मुताबिक यूपी में एक साल में 5,714 दंगों के मामले सामने आए. महाराष्ट्र और बिहार के बाद दंगे के मामले में यूपी तीसरे स्थान पर रहा. साल 2018 में यूपी दंगे के 8,908 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर और साल 2017 में दंगों के 8,990 मामलों के साथ बिहार के बाद दूसरे स्थान पर रहा.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 11 दिसंबर, 2018 को लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि साल 2017 में सांप्रदायिक घटनाओं के मामले में यूपी पहले स्थान पर रहा. 2014-16 के बाद राज्य में इस तरह के सबसे ज्यादा मामले सामने आए.
2018 की कुछ मीडिया रिपोर्ट्स पर ही एक नजर डालें तो सीएम योगी का दावा साफतौर पर भ्रामक नजर आता है. जनवरी 2018 में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच हुए टकराव से तनाव बढ़ गया था. तीन दुकानें दो बसें और एक कार आगजनी का शिकार हुईं. 112 लोगों की गिरफ्तारी हुई और इस तनाव ने एक शख्स की जान भी ले ली थी.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे 135 लोगों पर आजमगढ़ के बिलारियागंज इलाके में दंगा करने के आरोप में मामला भी दर्ज किया था.
उत्तर प्रदेश विधानसभा में एसपी सांसद राकेश प्रताप सिंह के फरवरी 2020 में हुए सीएए आंदोलन से जुड़े एक सवाल का योगी आदित्यनाथ ने लिखित जवाब दिया था. ये जवाब ही योगी के हालिया दावे को झूठा साबित करता है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उस समय योगी आदित्यनाथ ने बताया था कि, पिछले छह महीने में दंगों में 21 लोगों की जान गई.
योगी आदित्यनाथ ने कहा था-
ये दावा तथ्यों की कसौटी पर खरा नहीं उतरता क्योंकि त्योहारों के दौरान भी हिंसा की कई खबरें सामने आई हैं. पीलीभीत में मार्च 2019 में होली के दौरान दो समुदायों के बीच टकराव का मामला सामने आया. इस टकराव में 1 शख्स की जान गई और चार घायल हो गए थे.
सितंबर 2018 में मोहर्रम के दौरान गोरखपुर में भीड़ और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई. इसमें कई लोग घायल भी हुए थे. डेक्कन हैराल्ड की खबर के मुताबिक पथराव कर रही हिंसक भीड़ से निपटने केे लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा था.
मतलब साफ है - मीडिया रिपोर्ट्स और सरकार के ही आंकड़े ये साबित करते हैं कि यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का दावा झूठा है.
लखनऊ में पीएम मित्र पार्क के लॉन्च के दौरान संबोधन में सीएम योगी ने फिर से दावा किया कि राज्य में 2017 के बाद से कोई दंगा नहीं हुआ है.
गैंग्स्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में 15 अप्रैल को पुलिस हिरासत में हत्या कर दी गई. इसके कुछ समय बाद ही सीएम योगी ने ये बयान दिया है.
हालांकि, NCRB की 2021 की रिपोर्ट राज्य में दंगों के 5302 रजिस्टर्ड मामले दर्शाती है.
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