advertisement
मलिक ने हाल ही में दावा किया था कि 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे, उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उन्होंने कुछ खामियों की ओर इशारा किया था, लेकिन उन्हें चुप रहने के लिए कहा गया था।
स्वामी ने यहां कानून के छात्रों के एक सम्मेलन से इतर कहा, मैं 1977 से सत्यपाल मलिक को जानता हूं, वह बहुत वरिष्ठ नेता हैं। वह पूर्व सांसद, केंद्रीय मंत्री और तीन राज्यों केराज्यपाल भी रहे। उनकी राजनीतिक हैसियत बहुत ऊंची रही है। मैंने उन्हें कभी झूठ बोलते नहीं सुना। इसलिए केंद्र को इस पर ध्यान देना चाहिए कि उन्होंने पुलवामा हमले के बारे में क्या कहा।
स्वामी ने कहा, जांच एजेंसियां उनसे उनके दावों के सबूत के बारे में सम्मानपूर्वक पूछ सकती हैं, ताकि वे मामले में कार्रवाई कर सकें। उन्हें कोई खतरा नहीं होना चाहिए या उनके घर पर छापेमारी नहीं होनी चाहिए। पुलवामा हमला एक बहुत ही दर्दनाक घटना थी और यदि हमारी ओर से हुई कुछ चूक के कारण यह हादसा हुआ, तो इस मामले में कार्रवाई की जानी चाहिए। इसलिए उन्होंने जो कुछ भी कहा है, उस पर गौर करने की जरूरत है।
स्वामी ने राज्य में शराबबंदी का भी समर्थन करते हुए कहा कि सिर्फ सिगरेट पीने से कैंसर होता है, मगर शराब पीने से दिमाग खराब हो जाता है। उन्होंने शराब पीने वालों को देशद्रोही करार दिया।
दुर्योगवश, जब से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अप्रैल 2016 में शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाया है, तब से राज्य में अवैध शराब के सेवन से बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
स्वामी ने कहा, मैंने अपने पूरे जीवन में कभी भी सिगरेट या शराब को छुआ नहीं है। लोगों को शराब पीना छोड़ देना चाहिए और रसम पीना चाहिए। लोगों के लिए यह मानना गलत है कि शराब पुरुष होने का प्रतीक है। शराब पीना हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है।
नीतीश कुमार के बारे में पूछे जाने पर स्वामी ने कहा, नीतीश कुमार और एनडीए में एक ही डीएनए है। मैं सोच रहा हूं कि क्या वह एनडीए में वापस आएंगे। मुझसे मिलने के बाद वह अपना विचार बदल सकते हैं।
--आईएएनएस
एसजीके
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)