Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019गुलजार अहमद कौन हैं, जिनका नाम इमरान ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए बढ़ाया है

गुलजार अहमद कौन हैं, जिनका नाम इमरान ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए बढ़ाया है

गुलजार अहमद उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने पनामा पेपर लीक मामले में पूर्व पीएम नवाज शरीफ को दोषी करार दिया था.

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<div class="paragraphs"><p>गुलजार अहमद कौन हैं, जिनका नाम इमरान ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए बढ़ाया है</p></div>
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गुलजार अहमद कौन हैं, जिनका नाम इमरान ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए बढ़ाया है

फोटो-क्विंट हिंदी

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पाकिस्तान में राजनीतिक संकट (Pakistan Political Crisis) के बीच तेजी से घटनाक्रम बदल रहा है. इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने और संसद भंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनावई कर रहा है. तो दूसरी तरफ इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए राष्ट्रपति को गुलजार अहमद का नाम सुझाया है. ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर में ये गुलजार अहमद कौन हैं.

दरअसल, इमरान खान की पार्टी ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए जिस नाम को राष्ट्रपति को सुझाया है वो पाकिस्तान के पूर्व चीफ जस्टिस रह चुके हैं. गुलजार अहमद पाकिस्तान के 27वें चीफ जस्टिस रह चुके हैं.

गुलजार अहमद 21 दिसंबर 2019 से लेकर 1 फरवरी 2022 तक पाकिस्तान के चीफ जस्टिस रहे. पाकिस्तान के चीफ जस्टिस के लिए राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने उन्हें नियुक्त किया था.

बता दें, ये वही गुलजार अहमद हैं, जो उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने पनामा पेपर लीक मामले में पूर्व पीएम नवाज शरीफ को दोषी करार दिया था.

पाकिस्तान के कार्यवाहक PM चुने जाने की प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे शहबाज शरीफ

उधर, पाकिस्तान में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने कार्यवाहक पीएम चुनने के लिए प्रक्रिया में शामिल होने से इंकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि असंवैधानिक तरीके से अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किया गया और संसद को भंग किया गया है, इसलिए वह इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे.

शहबाज शरीफ ने कहा कि इमरान खान ने कानून और संविधान का उल्लंघन किया है. अगर सब कुछ कानून और संविधान के अनुसार होता तो इमरान और उनकी पार्टी को नुकसान होता, इसका वे सामना नहीं कर सकते थे. इसलिए, उन्होंने लोकतंत्र को चोट पहुंचाई और संविधान का उल्लंघन किया.

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