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बच्चों की एक बड़ी तादाद खराब खानपान और गलत खाद्य प्रणाली के कारण कुपोषण से ग्रस्त है. यूनिसेफ ने बच्चे, भोजन और पोषण पर एक नई रिपोर्ट में चेतावनी दी है. यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट 'द स्टेटस ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2019' : चिल्ड्रन फूड एंड न्यूट्रीशन में ये पाया है कि पांच साल से कम उम्र के 3 बच्चों में से 1 यानी पूरी दुनिया में 200 मिलियन बच्चे या तो कुपोषण या अधिक वजन से ग्रस्त हैं.
छह महीने से दो साल की उम्र के लगभग 3 में से 2 बच्चों को वो भोजन नहीं दिया जाता है, जो उनके तेजी से बढ़ते शरीर और दिमाग के लिए आवश्यक है. इससे उन्हें मस्तिष्क के कम विकास, कम प्रतिरोधक क्षमता, संक्रमण में वृद्धि और कई मामलों में मृत्यु तक का खतरा भी होता है.
यूनिसेफ के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरिकेटा ने कहा:
ये रिपोर्ट 21वीं सदी के बाल कुपोषण का सबसे व्यापक मूल्यांकन करती है. इसमें कुपोषण (malnutrition) के तीन बड़े कारण बताए गए हैं.
पूरी दुनिया के आंकड़ों की अगर बात करें, 149 मिलियन बच्चे अपनी उम्र से कम विकसित होते हैं. 50 मिलियन बच्चे अपनी एवरेज हाइट से ज्यादा कमजोर होते हैं. 340 मिलियन बच्चे यानी की हर 2 में 1 बच्चा जरूरी विटामिन और पोषक तत्वों- जैसे विटामिन ए और आयरन की कमी से पीड़ित है. 40 मिलियन बच्चे ज्यादा वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं.
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वो अनहेल्थी खाना ज्यादा खाते हैं. ये बहुत हद तक विज्ञापन से प्रेरित होता है, शहरों के साथ साथ दूर-दराज के क्षेत्रों में भी फास्ट फूड और मीठे पेय पदार्थों की मांग बढ़ी है.
उदाहरण के लिए, रिपोर्ट बताती है कि कम और मध्यम आय वाले देशों में 42 प्रतिशत स्कूल जाने वाले बच्चे दिनभर में कम से कम एक बार कार्बोनेटेड शुगर वाले सॉफ्ट ड्रिंक पीते हैं और 46 प्रतिशत लोग हफ्ते में कम से कम एक बार फास्ट फूड खाते हैं. उच्च-आय वाले देशों के बच्चों के लिए यह दरें क्रमशः 62 प्रतिशत और 49 प्रतिशत तक हैं.
रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि अपने सभी रूपों में कुपोषण सबसे ज्यादा गरीब और सबसे अधिक हाशिए वाले समुदायों के बच्चों में है. सबसे गरीब घरों में छह महीने से दो साल तक के बच्चों में 5 में 1 बच्चा पर्याप्त आहार लेता है. यहां तक कि ब्रिटेन जैसे उच्च आय वाले देशों में ओबेसिटी दो गुना से अधिक है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जलवायु से संबंधित आपदाएं गंभीर खाद्य संकट पैदा करती हैं. उदाहरण के लिए, सूखा कृषि में होने वाले नुकसान, बच्चों और परिवारों के लिए भोजन उपलब्धता और भोजन की गुणवत्ता की स्थिति निर्धारित करता है.
फोर ने कहा:
इस बढ़ते कुपोषण संकट को दूर करने के लिए यूनिसेफ, सरकारों, निजी क्षेत्र, परिवारों और व्यवसायियों को एकसाथ आना पड़ेगा.
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