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संयुक्त राज्य अमेरिका में साल 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल की. उन्होंने 20 जनवरी 2017 को अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली.
ट्रंप के लिए फैसलों से अमेरिका ही नहीं, दुनिया के कई देश दुखी हैं. यहां तक कि कुछ अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को फिर से राष्ट्रपति बनाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि यह संभव नहीं है क्योंकि ओबामा दो बार लगातार राष्ट्रपति पद संभाल चुके हैं. अमेरिकी संविधान तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की इजाजत नहीं देता.
ट्रंप को राष्ट्रपति बने तीन हफ्ते बीतने जा रहे हैं लेकिन उनके और अमेरिका के साथ ऐसा कुछ हो रहा, जैसा किसी ने भी अंदाजा नहीं लगाया होगा. राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने के बाद ट्रंप के साथ क्या 9 बड़ी बातें हुईं. देखिए..
एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के खिलाफ अमेरिका के 17 राज्यों में 52 केस दर्ज हुए हैं. यह आंकड़ा शपथ लेने के दो हफ्ते बाद तक का है. ऐसा पहले किसी राष्ट्रपति के साथ नहीं हुआ.
ट्रंप का सात मुस्लिम देशों के नागरिकों का अमेरिका में आने से रोक के फैसले को अमेरिकी अदालत ने रविवार को बहाल कर दिया.
ट्रंप के सात देशों पर प्रतिबंध वाले फैसले को जस्टिस डिपार्टमेंट के वकीलों ने सैन फ्रांसिस्को स्थित अमेरिका की निचली अदालत में चुनौती दी थी. जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया.
चीन ने ट्रंप सरकार को दलाई लामा का इस्तेमाल न करने की वॉर्निंग दी है. चीन की तरफ से शनिवार को कहा गया है कि अगर अमेरिका ऐसा करता है तो उसे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
ट्रंप ने शपथ लेने के बाद ईरान के बलिस्टिक मिसाइल के टेस्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था. उसी पर ईरान ने कहा, वह मिसाइलों का टेस्ट करेगा और अगर ईरान पर कोई खतरा मंडराया, तो वह अमेरिका के खिलाफ भी मिसाइलों का इस्तेमाल कर सकता है.
ट्रंप चुनावों के पहले से ही नारा दे रहे है- ‘अमेरिका फर्स्ट’. इस पर यूरोपियन देश नए नए वीडियो बनाकर ट्रंप की खिल्ली उड़ा रहे हैं और ये पूछ रहे हैं कि अगर अमेरिका फर्स्ट, तो ‘सेकंड कौन’ ?
सीएनएन सर्वे के मुताबिक, अमेरिका के 53 फीसदी लोग ट्रंप के शपथ लेने के बाद किए काम से नाखुश हैं. केवल 44 फीसदी ने ट्रंप का काम से सहमत हैं.
ट्रंप का सात मुस्लिम देशों का अमेरिका में प्रतिबंध लगाने के बाद दुनिया भर के देश उनका विरोध कर रहे हैं और सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें लंदन, पेरिस और हॉन्ग-काॅन्ग जैसे देश भी शामिल हैं.
ट्रंप के शपथ लेने के बाद महिला अधिकारों के समर्थन और अमेरिका राष्ट्रपति के विरोध में दुनियाभर से महिलाओं ने मार्च निकाला. इस मार्च में करीब 10 लाख महिलाएं शामिल हुईं.
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