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अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सोमवार (9 मार्च) को अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण किया. इसके साथ ही उनके प्रतिद्वंद्वी नेता अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली है. इस घटना से तालिबान के साथ वार्ता की अमेरिका की योजना पर संकट गहरा गया है जिसे तालिबान के साथ उसकी शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के बारे में सोचना है.
अमेरिका-तालिबान के बीच कुछ दिन पहले हुए समझौते को अफगानिस्तान में संघर्ष समाप्त करने के अमेरिका के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा था.
एक ही समय पर दो अलग-अलग समारोह आयोजित किये गये. एक समारोह राष्ट्रपति भवन में गनी के लिए आयोजित किया गया वहीं पास में ही स्थिति सापेदार पैलेस में अब्दुल्ला ने शपथ ली. दोनों के समर्थक भी बड़ी संख्या में अपने अपने चहेते नेता के शपथ ग्रहण के लिए जुटे.
गनी के समारोह में अमेरिका के शांति दूत जलमाय खलीलजाद, अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों के प्रमुख जनरल ऑस्टिन एस मिलर के साथ अमेरिकी दूतावास के चार्ज डिअफेयर्स समेत बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान और संयुक्त राष्ट्र महासभा के अफगानिस्तान में निजी प्रतिनिधि तादामिची यामामोतो के शामिल होने से उन्हें अंतरराष्ट्रीय समर्थन की पुष्टि हुई. इसका प्रसारण सरकारी टीवी पर किया गया.
निजी टोलो टीवी पर प्रसारित अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण में तथाकथित ‘जिहादी’ कमांडर भी उपस्थित थे. इनमें वे भी थे जिन्होंने 2001 में तालिबान को खदेड़ने के लिए अमेरिकी नीत गठबंधन के साथ हाथ मिलाया था.
अफगानिस्तान के चुनाव आयोग ने सितंबर में हुए मतदान में राष्ट्रपति अशरफ गनी को विजयी घोषित किया था. गठबंधन सरकार में उनके पूर्व साझेदार अब्दुल्ला और चुनाव शिकायत आयोग ने भी कहा कि परिणामों में अनियमितताएं हैं. नतीजतन दोनों ने खुद को विजयी घोषित कर दिया.
अब्दुल्ला पक्ष के वरिष्ठ सदस्य बशीर सालंगी ने स्थानी अफगान चैनल टोलो टीवी से कहा कि अमेरिकी शांति दूत ने दोनों पक्षों ने गतिरोध समाप्त करने के लिहाज से शपथ-ग्रहण समारोहों को तीन दिन तक टालने की सलाह दी है. खबरों के मुताबिक अब्दुल्ला ने कहा कि वह तैयार हैं, लेकिन अगर गनी अपना कार्यक्रम नहीं टालते तो वह सोमवार को शपथ लेंगे.
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