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अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को अपने आठवें और अंतिम संबोधन में ओबामा ने कहा कि क्षेत्रीय संघर्षों में हमें सभी पक्षों से अपील करनी होगी कि वे इंसानियत-मानवता को समझें और देश हालात बिगाड़ने वाले छद्म युद्ध को बंद करें.
उन्होंने वार्निंग देते हुए कहा कि समुदायों को घुलने मिलने नहीं दिया जाएगा तो कट्टरवाद की आग जलती रहेगी और आतंकवाद से अनगिनत लोग पीड़ित होते रहेंगे.
ओबामा का ये बयान अमेरिकी विदेश मंत्री और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मुलाकात के बाद आया है. न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक जॉन केरी ने नवाज शरीफ से मुलाकात में कहा था कि पाकिस्तान अपने मुल्क में आतंकी गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई करे.
आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ अब अमेरिका का विरोधी रुख साफतौर पर देखा जा रहा है.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने भी की थी टिप्पणी ओबामा का बयान से एक दिन पहले 19 सितंबर को अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने भी पाक पर टिप्पणी की थी.
उन्होंने पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से कहा था कि वह आतंकवादियों को अपनी सरजमीं का सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर इस्तेमाल करने से रोकें.
उरी हमलों की गूंज यूएस कांग्रेस में भी सुनाई दी. यूएस सीनेटर टॉम कॉटन ने न सिर्फ इस हमले की भरपूर निंदा की, बल्कि पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया.
एक और यूएस कांग्रेसमैन टेड पो ने कहा कि यह पाकिस्तान की गैर जिम्मेदाराना नीतियों का ताजा उदाहरण है. पाकिस्तान की नीतियां न केवल आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली हैं, बल्कि जेहादी ग्रुप्स को ऑपरेशनल स्पेस भी मुहैया कराती हैं.
उन्होंने कहा कि इस मामले में पाकिस्तान का इस तरह का व्यवहार पड़ोसी देशों की सुरक्षा के लिए खतरा है और यह दुर्भाग्य है कि भारत को अक्सर इसकी कीमत चुकानी पड़ती है.
17 सितंबर को कश्मीर के उरी में सेना के एक बटालियन मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए. भारत ने हमले का जिम्मेदार पाकिस्तान को माना है.
भारत ने पाकिस्तान पर जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन देकर, हथियार और ट्रेनिंग देकर एक छद्म युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया है.
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