advertisement
अशरफ गनी ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति पद की एक बार फिर से शपथ ले ली है. पिछले महीने अफगानिस्तान के चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे जारी किए थे. अशरफ गनी इस चुनाव में विजयी हुए थे. हाल ही में यूएस और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ था. उम्मीद थी कि इसके बाद देश के हालात बदलेंगे. लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा क्योंकि गनी के शपथ ग्रहण के दौरान ही प्रेसिडेंशियल पैलेस के पास कई ब्लास्ट हुए.
अशरफ गनी शपथ ले रहे थे और तभी प्रेसिडेंशियल पैलेस के पास कई ब्लास्ट हुए. सुरक्षा बलों ने दौड़कर गनी को घेर लिया था. अशरफ गनी इस दौरान मंच पर ही रहे और लोगों से बैठे रहने का इशारा करते रहे.
एक तरफ प्रेसिडेंशियल पैलेस में अशरफ गनी का शपथ ग्रहण हुआ, तो वहीं सिपेदार पैलेस में भी एक शपथ ग्रहण का आयोजन हुआ. यहां गनी के मुख्य विरोधी अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने खुद से ही राष्ट्रपति पद की शपथ का आयोजन कर लिया था. अब्दुल्लाह ने राष्ट्रपति चुनाव में गनी की जीत को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था. अब्दुल्लाह ने चुनाव में वोटर फ्रॉड का आरोप लगाया था.
हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय समर्थन गनी को ही हासिल हुआ है. अशरफ गनी का शपथ ग्रहण अफगानिस्तान के सरकारी चैनल पर प्रसारित किया गया. शपथ ग्रहण में अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमय खलीलजाद, अफगानिस्तान में अमेरिकी सेनाओं के प्रमुख जनरल ऑस्टिन मिलर जैसे कई विदेशी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
अब्दुल्लाह ने अपने शपथ ग्रहण को रद्द करने के संकेत दिए थे. अब्दुल्लाह ने कहा था कि वो ऐसा तभी करेंगे जब अशरफ गनी भी शपथ ग्रहण का आयोजन नहीं करते हैं. लेकिन गनी ने शपथ लेने का फैसला किया, जिसके बाद अब्दुल्लाह ने भी शपथ ली.
अमेरिका और तालिबान ने 29 फरवरी को कतर के दोहा में ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते के मुताबिक, अमेरिका और उसके सहयोगी अफगानिस्तान से 14 महीनों के अंदर अपनी पूरी फोर्स वापस बुला लेंगे, अगर तालिबान समझौते का पालन करता है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि तालिबान से हुआ समझौता तभी कारगर साबित होगा, जब तालिबान पूरी तरह से शांति कायम करने की दिशा में काम करेगा.
हालांकि, इस समझौते के कुछ दिन के अंदर ही इस पर संकट के बदल छा गए थे. तालिबान ने अफगानिस्तान सरकार से बातचीत करने को मना कर दिया था. तालिबान का कहना था कि पहले सरकार 5000 तालिबानी बंदियों को रिहा करे, उसके बाद ही बातचीत संभव है. इसके अलावा अफगानिस्तान की सेना पर तालिबानी लड़ाकों ने हमला कर दिया था, जिसमें अमेरिका ने एयर स्ट्राइक कर हस्तक्षेप किया था और अफगानिस्तानी जवानों को बचाया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)