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अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे से पश्चिमी देश हैरान और परेशान रह गए हैं. अमेरिका और NATO की सेना वापसी के बीच तालिबान का पूरे देश पर काबिज हो जाना चिंता का सबब बन गया है. अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) आलोचना झेल रहे हैं, तो ब्रिटेन में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) को सवालों के जवाब देने पड़ रहे हैं. अब जॉनसन 18 अगस्त को अफगानिस्तान की स्थिति पर सांसदों के सवालों का सामना करेंगे.
बोरिस जॉनसन तालिबान के कब्जे पर ब्रिटिश प्रतिक्रिया का बचाव करते और अफगानिस्तान से ब्रिटिश और अफगान नागरिकों को सुरक्षित निकालने के अभियान पर जानकारी देते नजर आ सकते हैं.
यूनाइटेड किंगडम ने अफगानिस्तान से 3000 ब्रिटिश और देश की सेना के साथ काम कर चुके लगभग इतने ही अफगान नागरिकों को सुरक्षित निकालने के सैनिक काबुल भेजे हैं. ब्रिटेन के लड़ाकू सैनिक 2014 में ही अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं.
अफगानिस्तान में मानवीय आपदा बढ़ने के बाद ब्रिटेन ने अफगानिस्तान के 20,000 लोगों को यूके में शरण देने की एक नई योजना का ऐलान किया है. ये हजारों लोग दीर्घकालिक योजना के तहत ब्रिटेन में शरण पाएंगे.
व्हाइट हाउस ने 17 अगस्त को बताया कि जो बाइडेन और बोरिस जॉनसन ने अफगानिस्तान पर चर्चा की है और इस संकट पर G7 नेताओं की एक वर्चुअल बैठक का ऐलान किया है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "दोनों नेता अगले हफ्ते G7 नेताओं की बैठक पर राजी हुए हैं ताकि एक रणनीति और रवैये पर चर्चा हो सके."
G7 की इस साल अध्यक्षता ब्रिटेन कर रहा है. ये दुनिया की सात बड़ी अर्थव्यवस्थाओं- ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका का समूह है.
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