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ब्राजील में इस वक्त दुनिया के किसी भी दूसरे देश के मुकाबले कोविड-19 से ज्यादा मौतें हो रही हैं. रोज 3 हजार से ज्यादा. कुल मौतों की संख्या 3 लाख के पार जा चुकी है. कुल केस सवा करोड़ को पार कर गए हैं. चिंता की बात है कि जहां बाकी देशों में वैक्सीन को उम्मीद की किरण के तौर पर देखा जा रहा है, यहां काली लंबी सुरंग के आखिर में रोशनी तक नजर नहीं आ रही. इस भयावह स्थिति के जिम्मेदार हैं वहां के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो.
इस बीच, ब्राजील के विदेश मंत्री एर्नेस्टो अराजो ने इस्तीफा भी दे दिया है. स्पूतनिक ने स्थानीय मीडिया के हवाले से बताया है कि अराजो ने वैक्सीन की कमी को लेकर हो रही आलोचना के बाद इस्तीफा दिया है.
देश में कोरोना के अत्यधिक संक्रमित वेरिएंट के कारण कोविड-19 के नए मामले बढ़ रहे हैं. पहले की तुलना में युवा ज्यादा संख्या में संक्रमित हो रहे हैं. अस्पतालों का आलम ये है कि मरीजों को कुर्सियों पर बिठा कर, गलियारों में बिठाकर इलाज दिया जा रहा है. ये नौबत इसलिए आई है क्योंकि बेड नहीं बचे हैं.
डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स इन ब्राजील की एक्जीक्यूटिव डायेरक्टर Ana de Lemos कहती हैं कि इतने बड़े स्तर पर हमने स्वास्थ्य व्यवस्था को विफल होते हुए कभी नहीं देखा.
देश के 26 राज्यों में से 16 में बेड की कमी है. रियो डी सुल (पोर्टो अलेग्रे शहर शामिल) में बेड के लिए वेंटिग लिस्ट (240 गंभीर रूप रोगियों के लिए) पिछले दो हफ्तों में दोगुना हो गई है. पोर्टो अलेग्रे में स्थित हॉस्पिटल Restinga e Extremo Sul का आपातकालीन कमरा अब कोविड-19 वार्ड बन गया है, जहां कि बेड खाली न होने के कारण मरीजों का कुर्सी पर इलाज चल रहा है.
राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो शुरू से ही कोरोना वायरस के खतरे को नजरअंदाज करते रहे हैं. बोल्सोनारो कह चुके हैं कि तालाबंदी उस देश के लिए सही नहीं है जहां इतने लोग गरीबी में रह रहे हैं. कई राज्यों ने पिछले कुछ हफ्तों में व्यापार को बंद करने के आदेश जरूर दिए हैं, लेकिन बोल्सोनारो के समर्थक अस्पतालों के बाहर हॉर्न बजाकर इसका विरोध कर रहे हैं.
जब पूरी दुनिया वैक्सीन के लिए करार करने में जुटी थी तो बोल्सोनारो वैक्सीन का भी मजाक उड़ा रहे थे. कभी वो इस वायरस को मिजल्स कहते तो कभी मलेरिया की दवा लेने को कहते. उन्होंने एंटी पारासाइट को भी कोरोना की दवा बता दिया.
पिछले साल जब फाइजर ने बोल्सोनारो को करोड़ों वैक्सीन डोज ऑफर किए तो उन्होंने इससे गंभीरता से नहीं लिया. आज जिस कोरोनावैक पर ब्राजील निर्भर है, उसकी ट्रायल में नाकामी पर बोल्सोनारो ने मजाक उड़ाया था. कहा था - अगर वैक्सीन से लोग घड़ियाल बन जाएं तो दवा कंपनी जिम्मेदार नहीं होगी.
कुल मिलाकर ब्राजील के नेतृत्व ने पहले महामारी के खतरे को नकारा, फिर ऐहतियात नहीं बरती और आखिर में चमत्कारी दवाओं की पैरवी की. इससे जनता कन्फ्यूज हुई और कोरोना को हल्के में लिया, सड़कों पर निकली, भीड़ लगाई.
इस बीच फेक न्यूज ने और बुरा हाल किया है. कई लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि उन्होंने ऑनलाइन देखा है कि वैक्सीन वायरस से ज्यादा जानलेवा है. ऐसे में जिन्हें वैक्सीन मिल भी सकती है वो भी लेने को तैयार नहीं है.
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