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BRICS देशों यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेता मंगलवार, 22 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के जोहान्सबर्ग में हो रहे 15वें शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं. इस दौरान ग्रुप में सदस्यता बढ़ाने पर भी विचार किए जाने की उम्मीद है क्योंकि कुछ सदस्य पश्चिमी देशों से मुकाबला करने के लिए BRICS को और ज्यादा मजबूत करने की वकालत कर रहे हैं. इस बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी शामिल हो रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि BRICS क्या है, इसकी शुरुआत कैसे हुई और यह ऑपरेट कैसे होता है? BRICS के दायरे में दुनिया भर की कितनी आबादी और GDP आती है? 2023 के लिए इसका क्या एजेंडा है? ग्लोबल स्तर पर BRICS की क्या भूमिका रही है? और BRICS में कौन से देश शामिल होना चाहते हैं?
साल 2001 में गोल्डमैन सैक्स के ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ'नील (Jim O’Neill) ने अपने एक शोध पत्र में 'BRIC' शब्द गढ़ा था, जो निवेशकों के हित के नजरिए से उस वक्त की चार उभरती अर्थव्यवस्थाओं - ब्राजील, रूस, भारत और चीन देशों के नाम के शुरुआती अक्षरों को मिलाकर बनाया गया था.
साल 2010 में BRIC ग्रुप में दक्षिण अफ्रीका को शामिल किया गया. उसके बाद से ही इसका नाम BRIC से बदलकर BRICS हो गया.
रूस ने BRICS को बनाने की शुरुआत की. 20 सितंबर 2006 को रूस ने पहली BRICS की मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की. यह बैठक न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सेशन के इतर तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा प्रस्तावित की गई थी. बैठक में रूस, चीन और ब्राजील के विदेश मंत्री और भारत के रक्षा मंत्री ने हिस्सा लिया.
रूस की पहल पर 16 मई, 2008 को सदस्य देशों ने रूस के येकातेरिनबर्ग में BRICS विदेश मंत्रियों की एक बैठक की मेजबानी की. बैठक के बाद सामयिक वैश्विक विकास (Topical Global Development) पर एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी की.
9 जुलाई, 2008 को BRICS ने एक और अहम कदम उठाया. तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने जापान के टोयाको में G8 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्राजील के तत्कालीन राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा, भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ के साथ बैठक शुरू की.
16 जून 2009 को रूस के येकातेरिनबर्ग (Yekaterinburg) में शिखर सम्मेलन हुआ. ये इस गुट का शिखर सम्मेलन था, जिसको रूस ने होस्ट किया था. इस दौरान BRIC नेताओं ने गुट के लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए एक ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी किया. इस दौरान BRIC देशों के बीच पारदर्शी, खुले और सक्रिय तरीके से सहयोग और संवाद को बढ़ावा देने का संकल्प लिया गया.
बीते दिनों में भारत और अन्य एशियाई और अफ्रीकी देशों ने संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों और संस्थानों में यूरोपीय और पश्चिमी देशों के प्रभुत्व की आलोचना की है. उन्होंने तर्क दिया है कि इससे 'ग्लोबल साउथ' की आवाजों में प्रतिनिधित्व की कमी हो जाती है, यह शब्द उन देशों को संदर्भित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो परंपरागत रूप से अंतरराष्ट्रीय एजेंडा-सेटिंग के केंद्र में नहीं रहे हैं.
यह 1991 में USSR के पतन के बाद एकमात्र महाशक्ति के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थिति के मजबूत होने और इसके प्रभाव का मुकाबला करने के एहसास के बीच भी आया.
इसी तरह, BRICS इन पांच देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए बनाया गया था. इसमें बैठकों के जरिए राजनीतिक सहयोग और न्यू डेवलपमेंट बैंक के जरिए आर्थिक सहयोग के पहलू शामिल हैं. इसका उद्देश्य बुनियादी ढांचों और अन्य परियोजनाओं के लिए विकासशील बाजारों को फाइनेंसियल मदद देना है.
मौजूदा वक्त में BRICS में पांच अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं, जो दुनिया की 42% आबादी, 30% भौगोलिक क्षेत्र, 23% वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और लगभग 18% विश्व व्यापार का प्रतिनिधित्व करती हैं.
Economic Times की रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में BRICS की खरीदने की शक्ति में वर्ल्ड GDP यानी वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 27% हिस्सा था.
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आधार पर BRICS साझेदारों के संबंध बनते हैं. वे मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानून के मानदंडों का भी पालन करते हैं. साल 2011 के शिखर सम्मेलन के दौरान सभी सदस्य देश इन सिद्धांतों पर अपनी सहमति दर्ज कर चुके हैं.
एकजुटता
खुलापन
व्यवहारवाद
तटस्थता (तीसरे पक्ष के संबंध में)
नॉन-ब्लॉक नेचर यानी BRICS समूह के देशों के रिसर्च सेंटर और बिजनेस ऑर्गनाइजेशन्स, 2010 से वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान अप्रूव की गई योजनाओं के आधार पर BRICS द्वारा बनाए गए फॉर्मेट के मुताबिक सहयोग करते हैं.
2009 से 2014 तक BRICS देशों ने विश्व बैंक और IMF सुधारों सहित आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर सहमति व्यक्त की. ये पर्याप्त संसाधन जुटाने के उपाय करने पर सहमत हुए, जिससे IMF सभी तरह के संकटों से निपटने की अपनी क्षमता को मजबूत कर सके. सदस्य देशों ने BRICS इंटरबैंक को-ऑपरेशन मैकेनिज्म भी बनाया, जो स्थानीय मुद्रा और BRICS एक्सचेंज एलायंस में क्रेडिट सुविधा प्रदान करता है.
BRICS देशों ने कंपनियों के लिए विदेशी विस्तार और संस्थागत निवेशकों के लिए ठोस रिटर्न का स्रोत पेश किया. उन्होंने कुछ क्षेत्रीय मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिनमें लीबिया, सीरिया, अफगानिस्तान और ईरान (उनके स्वदेशी परमाणु कार्यक्रम) से संबंधित समस्याएं शामिल थीं. इसके अलावा BRICS देशों ने अवैध ड्रग्स की तस्करी के खिलाफ संघर्ष, सूचना एवं संचार में प्रौद्योगिकियों की जरूरत काम किया और उपयोग एवं विकास BRICS देशों ने बाधा मुक्त व्यापार के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाने की भी मांग की.
Reuters ने एक रिपोर्ट में कहा कि 2023 शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष दक्षिण अफ्रीका के मुताबिक ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), अर्जेंटीना, अल्जीरिया, बोलीविया, इंडोनेशिया, मिस्र, इथियोपिया, क्यूबा, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, कोमोरोस, गैबॉन और कजाकिस्तान सहित 40 से देशों ने BRICS में शामिल होने की चाहत जताई है.
ये देश, BRICS को पारंपरिक पश्चिमी शक्तियों के प्रभुत्व वाली ग्लोबल बॉडीज के विकल्प के रूप में देखते हैं और उम्मीद करते हैं कि सदस्यता मिलने के बाद डेवलपमेंट फाइनेंस और व्यापार और निवेश सहित कई फायदे होंगे.
समूह की अध्यक्षता हर साल बदलती है. इसका मतलब ग्रुप में शामिल पांचों देश बारी-बारी इसके अध्यक्ष बनते हैं, जो हर साल बदलते हैं.
हर वर्ष इसके अध्यक्ष देश को ही एजेंडा, प्राथमिकताएं और कैलेंडर निर्धारित करना होता है. इस साल 15वें शिखर सम्मेलन की अक्ष्यक्षता दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा (Cyril Ramaphosa) कर रहे हैं. इस बार का एजेंडा ‘BRICS in Africa: Partnership for Mutually Accelerated Growth, Sustainable Development and Inclusive Multilateralism’ (अफ्रीका में ब्रिक्स: पारस्परिक रूप से त्वरित विकास, सस्टनेबल डेवलपमेंट यानी सतत विकास और समावेशी बहुपक्षवाद के लिए साझेदारी) है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन फिजिकल तौर पर शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे. BRICS के सोशल मीडिया हैंडल से किए गए ट्वीट में बताया गया कि पुतिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समिट में शामिल होंगे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके पीछे की वजह- यूक्रेन में कथित युद्ध अपराधों के लिए पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट है.
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