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ब्रिटेन (Britain) के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने पिछले दिनों अवैध प्रवासियों पर नकेल कसने के लिए अवैध प्रवासन विधेयक (Illegal Migration Bill) लाने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि इस विधेयक का उद्देश्य छोटी नावों में अंग्रेजी चैनल पार करने वाले हजारों प्रवासियों को देश में आने से रोकना है. यह विधेयक अब विवादित हो चुका है. ब्रिटेन को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इस विधेयक के बारे में सुनक सरकार की ओर से क्या कहा गया है, इस बिल पर देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या प्रतिक्रिया आ रही है और यह बिल कानूनी तौर पर सही है या नहीं?
फ्रांस पहुंचें ऋषि सुनक ने शुक्रवार, 10 मार्च को पेरिस के एक एंग्लो-फ्रेंच शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति इमैनुएल मौक्रॉन से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि छोटे नाव की क्रॉसिंग रोकने के लिए फ्रांस के साथ अधिक पैसा खर्च करना एक समझदारी भरा निवेश है.
अपनी बैठक से पहले बोलते हुए, सुनक ने कहा कि फ्रांस को उसके समुद्र तटों पर पुलिसिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रति वर्ष 63 मिलियन पाउंड देने से ब्रिटेन को लाभ मिल रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि यह यूके में घरेलू प्रवासियों को भुगतान करने से बेहतर था.
ब्रिटेन की सरकार को उम्मीद है कि इंग्लिश चैनल को पार करने वाले प्रवासियों को रोकने के यूके-फ्रांसीसी प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए शिखर सम्मेलन का उपयोग किया जाएगा. लेकिन दोनों देशों के ब्रिटेन से फ्रांस पहुंचने वाले प्रवासियों की वापसी पर किसी समझौते पर पहुंचने की उम्मीद नहीं है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री के प्रवक्ता ने कहा कि हम EU-UK रिटर्न समझौता चाहते हैं और इसे आगे बढ़ाएंगे. लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि इन सर्दियों के महीनों में भी हम जो क्रॉसिंग देख रहे हैं उसे रोकने के लिए अभी जमीन पर काम हो रहा है.
Gulf News की रिपोर्ट के मुताबिक अवैध प्रवासन विधेयक, अवैध रूप से छोटी नावों पर चैनल पार करने वाले प्रवासियों पर रोक लगाने की हिमायत करता है. जो लोग भी अवैध तरीके से ब्रिटेन में आ रहे हैं, उन्हें निर्वासित किया जाएगा. इसके अलावा भविष्य में ब्रिटेन में आने पर बैन लग जाएगा.
उन्हें ब्रिटेन की एक मौजूदा योजना के तहत घर या "सुरक्षित तीसरे देश" जैसे रवांडा में भेज दिया जाएगा. कानूनी चुनौतियों या मानवाधिकारों के दावों को उस देश में सुना जाएगा. आवेदकों को ब्रिटिश कानूनों का उपयोग करने से अयोग्य घोषित किया जाएगा.
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल पूरे चैनल से आने वाले लोगों की संख्या 45 हजार से ज्यादा दर्ज की गई थी. 2023 में अब तक 3,150 लोग यात्रा कर चुके हैं.
Gulf News की रिपोर्ट के मुताबिक आंतरिक मंत्री सुएला ब्रेवरमैन (Suella Braverman) का कहना है कि इस साल के आखिरी तक आने वाले लोगों की संख्या 80 हजार से ज्यादा हो सकती है और शरण सिस्टम की वजह से ब्रिटेन के टैक्स पेयर्स का 3 बिलियन डॉलर सलाना खर्च हो रहा है.
नवंबर 2021 में, कम से कम 27 लोग डूब गए. लेकिन सरकार का कहना है कि कई प्रवासी शरण की जरूरतों के बजाय आर्थिक वजहों से भी आ रहे हैं.
बता दें कि पिछले साल, सबसे बड़ा दल अल्बानिया से आया था, जो अपने अवैध प्रवासियों को वापस लेने के लिए ब्रिटेन के साथ वापसी नीति पर पहले ही सहमत हो चुका है.
जब 2020 के दौराना कोरोना महामारी ने रेल, हवाई और जहाज यात्रा को पूरी तरह से रोक दिया. इसके साथ ही माल परिवहन को भी बाधित कर दिया. इसके बाद तस्करों ने प्रवासियों को हवा वाली छोटी नावों और अन्य छोटी नावों में डालना शुरू कर दिया.
2018 में सिर्फ 300 लोग ही इस तरह ब्रिटेन पहुंचे थे. 2020 में यह संख्या बढ़कर 8,500 हुई, 2021 में 28 हजार और 2022 में यह संख्या बढ़कर 45 हजार हो गई.
प्रवासियों के समूह समुद्र तटों पर या इंग्लैंड के दक्षिणी तट के साथ जीवनरक्षक नौकाओं में लगभग हर रोज आते हैं.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (United Nations High Commissioner for Refugees) का कहना है कि बिल "शरण प्रतिबंध" के बराबर है और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन का स्पष्ट उल्लंघन है.
यूएन शरणार्थी संगठन के मुताबिक अनेक लोग शरण पाने के इरादे से, अपनी जान जोखिम में डालते हुए छोटी नावों पर सवार होकर, इंग्लिश चैनल समेत अन्य मार्गों से होकर ब्रिटेन में अनियमित ढंग से प्रवेश करते हैं. अगर ये नया कानूनी प्रस्ताव लागू किया जाता है तो ऐसे सफर करके ब्रिटेन पहुंचने वाले लोग, शरणार्थी संरक्षण पाने के अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगे.
यूएन एजेंसी ने इस पर चिंता जाहिर की है कि ऐसी स्थिति में शरण पाने के इच्छुक लोगों की व्यक्तिगत परिस्थितियों की जांच किए बिना ही, उन्हें हिरासत में रखा या फिर देश निकाला दिया जा सकता है.
UNHCR ने बताया कि यह शरणार्थी सन्धि का एक ऐसा उल्लंघन होगा, जिसकी वजह से लंबे वक्त से चली आ रही एक मानव कल्याण परंपरा प्रभावित होगी, जिस पर ब्रिटिश लोगों को ही गर्व है.
Identity and Immigration Think-Tank British Future के प्रमुख सुंदर कटवाला (Sunder Katwala) ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि चैनल पार करने वाले सभी लोगों को हिरासत में लेने और हटाने की बात अगले दो सालों में सम्मानित होने की कोई उम्मीद नहीं दिखाती है.
ब्रिटेन 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन का एक हस्ताक्षरकर्ता है, जो उत्पीड़न या युद्ध से भाग रहे लोगों के प्रति देशों के लिए कई जिम्मेदारियां निर्धारित करता है.
यूके बिल की आलोचना करते हुए, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि सम्मेलन स्पष्ट रूप से लोगों को अपनी मातृभूमि से भागने और पासपोर्ट या अन्य कागजात के बिना कहीं और शरण का दावा करने की अनुमति देता है.
लोगों को यातना या अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार के अन्य रूपों के जोखिम में डालने से बचने के लिए ब्रिटेन के मानवाधिकारों पर यूरोपीय सम्मेलन (ECHR-European Convention on Human Rights) के तहत भी दायित्व हैं. देश का अपना 1998 का मानवाधिकार अधिनियम भी शरण चाहने वालों को तमाम तरह की सुरक्षा देता है.
आंतरिक मंत्री सुएला ब्रेवरमैन का कहना है कि ड्राफ्ट कानून अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करता है. लेकिन 66 पन्नों के बिल की शुरुआत में सांसदों को लिखे एक नोट में, उन्होंने स्वीकार किया कि वह यह आकलन करने में असमर्थ थीं कि इसके प्रावधान ईसीएचआर (European Convention on Human Rights) के अनुकूल हैं.
क्रॉस-चैनल माइग्रेशन पर नकेल कसने के लिए पेश किए गए बिल के बाद कई कंजर्वेटिव सांसदों और अखबारों ने इसका समर्थन किया है. लेकिन ब्रिटेन के अधिकार समूहों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों सहित आलोचकों ने गहरी चिंता व्यक्त की है.
शरणार्थी परिषद (Refugee Council) ने कहा है कि यह काम करने वाला नहीं है और नावों को नहीं रोक सकेगा. इसके अलावा डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (Doctors Without Borders) चैरिटी ने इसे क्रूर और अमानवीय करार दिया है.
मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी चाहती है कि इसके बजाय क्रॉस-चैनल ट्रैफिक के पीछे आपराधिक गिरोहों पर कार्रवाई के लिए पैसा खर्च किया जाए.
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