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ईरान के लिए स्ट्रेटजिक प्वाइंट से बेहद अहम चाबहार पोर्ट का रविवार को उद्धाटन होने वाला है. यह चाबहार पोर्ट का फर्स्ट फेज है. इसका नाम शाहिद बेहस्ती पोर्ट है.
इस पोर्ट के जरिए अब अफगानिस्तान से ईरान होते हुए सीधा भारत पहुंचा जा सकेगा. मतलब अब बीच में पाकिस्तान क्रॉस नहीं करना पड़ेगा.
इससे पहले शनिवार को ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ से तेहरान में मुलाकात की थी. दोनों में चाबहार प्रोजेक्ट को लेकर भी चर्चा हुई थी.
क्षेत्र में रेल लाइन बिछाने के लिए भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की रेल कंपनी इरकॉन ईरान के चाबहार बंदरगाह से अफगानिस्तान तक 500 किलोमीटर लंबी रेल लाइन भी बिछाएगी. भारत पहले ही अफगानिस्तान में ईरान सीमा तक रोड निर्माण कर चुका है.
भारत और चीन की क्षेत्रीय वर्चस्व की बाच किसी से छुपी नहीं है. चीन 'मोतियों की माला' रणनीति के तहत भारत के चारों ओर पोर्ट बनाकर स्ट्रेटजिक बढ़त लेने की कोशिश कर रहा है.
ग्वादर पोर्ट की ओर से भारत को सबसे बड़ी चुनौती है. इसी को काउंटर करने के लिए भारत ने चाबहार पोर्ट के जरिए क्षेत्र में दखल बढ़ाने की कोशिश की है. मतलब न केवल ट्रेड बल्कि यह मुद्दा भारत की सुरक्षा से भी संबंधित है.
रिपोर्टों के मुताबिक, ईरान पोर्ट के पहले फेज का मेंटनेंस भारत को सौंपेगा. दूसरी ओर पोर्ट बनने से भारत का ईरान के साथ ट्रेड और मजबूत होगा. खासकर तेल के व्यापार में अब ओमान की खाड़ी में भारत को सहूलियत होगी. यह दोनों पक्षों के संबंधों को और मजबूत करेगा.
लेकिन सबसे ज्यादा फायदा भारत को अफगानिस्तान के साथ एक नए ट्रेड रूट के खुलने की वजह से हो रहा है. अब अफगानिस्तान माल पहुंचाने के लिए पाकिस्तान को बायपास किया जा सकेगा.
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