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चीन के राजदूत लुओ झाहुई इन दिनों भारत में हैं और उन्होंने डोकलाम विवाद को लेकर सकारात्मक बयान दिया है.
अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में दर्शन करने पहुंचे लुओ ने डोकलाम पर कहा, ''वो पन्ना पहले ही पलटा जा चुका है. हम भविष्य की ओर देखने के लिए सहमत हुए हैं. मैं खुश हूं और हमारे द्विपक्षीय संबंधों को लेकर सकारात्मक भी हूं.’’
डोकलाम विवाद की वजह से भारत और चीन के रिश्तों में कड़वाहट आई है. लेकिन इस तरह के बयानों से स्थिति सुधरती दिख रही है.
अप्रैल में चीन के वुहान में पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी. वहां भी दोनों देशों के रिश्तों सुधारने पर बात की गई थी. मुलाकात में सीमावर्ती इलाकों में शांति बरकरार रखने और विश्वास बहाली के लिए मिलकर काम करने पर जोर दिया गया था.
डोकलाम विवाद को लेकर पिछले 2 महीने से ज्यादा वक्त तक सैन्य गतिरोध चला था.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा में महीने की शुरुआत में डोकलाम को लेकर बयान दिया. उन्होंने कहा था कि डोकलाम मुद्दा ‘परिपक्व कूटनीति' के माध्यम से सुलझाया जा चुका है और इसके बाद से संबंधित क्षेत्र में पहले जैसी ठीक स्थिति बरकरार है. इसके बाद कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर इस मामले में देश को गुमराह करने का आरोप लगाया था.
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ये दावा किया था कि दक्षिणी डोकलाम क्षेत्र में चीन की ओर से आर्मी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सड़क बनाई जा रही है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री ने इस पर चुप्पी साध ली है. सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी की और उत्तरी-दक्षिणी डोकलाम में चीनी सैन्य निर्माण के बारे में कुछ साफ नहीं किया.
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