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चीन की शी जिनपिंग (Xi Jinping) सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए बताया कि अब उनके देश में कपल 3 बच्चे पैदा कर सकते हैं. इससे पहले चीन में सिर्फ दो ही बच्चे पैदा करने की इजाजत थी. लेकिन अब आखिर ऐसा क्या हो गया कि दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन ने परिवार नियोजन के अपने सख्त नियमों में छूट दी है. आइए जानते हैं चीन की चाइल्ड पॉलिसी (China Child Policy) के क्या रेगुलेशन रहे हैं और अब इनमें बदलाव क्यों किए जा रहे हैं.
दरअसल चीन की जनसंख्या में असमानता लगातार बढ़ती जा रही है. यहां पर ऐसे लोगों की तादाद काफी ज्यादा हो चुकी है जो बुढ़ापे की तरफ बढ़ रहे हैं, वहीं युवाओं और बच्चों की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है. जिससे चीन सरकार की चिंता लगातार बढ़ती गई और अब आखिरकार कपल्स को 3 बच्चे पैदा करने की इजाजत दे दी गई है.
अब चीन की चाइल्ड पॉलिसी का इतिहास जान लेते हैं. द न्यू-यॉर्क टाइम्स के मुताबिक, चीन में सबसे पहले जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए 1980 में सख्त चाइल्ड पॉलिसी लागू हुई. जिसमें 1 ही बच्चा पैदा करने की इजाजत थी. इसे जनसंख्या नियंत्रण के अलावा इकनॉमी में तेजी लाने की वजह भी बताया गया था. इस पॉलिसी का काफी विरोध भी हुआ, कई कपल्स को अपने दूसरे बच्चे का गर्भपात करना पड़ा.
तमाम विरोध के बावजूद साल 2013 तक चीन में ये पॉलिसी बरकरार रही. लेकिन 2013 में चीनी अधिकारियों की तरफ से सरकार को ये बताया गया कि, उन्हें दो बच्चे पैदा करने की इजाजत दी जाए, जो खुद वन चाइल्ड पॉलिसी के तहत पैदा हुए थे. इसके बाद ये नियम लागू किया गया. हालांकि इसके दो साल बाद 2015 में चीनी सरकार की तरफ से वन चाइल्ड पॉलिसी को पूरी तरह खत्म कर दिया गया. इसके बाद टू चाइल्ड पॉलिसी देश में लागू हुई.
लेकिन पिछले कुछ सालों में कई ऐसे संगठन थे, जिन्होंने चीन में बच्चे पैदा करने पर पाबंदी लगाने का विरोध किया. विरोध तब बढ़ गया जब ऐसी खबरें सामने आने लगीं कि कुछ खास सरकारी लोगों को तीन बच्चे पैदा करने की इजाजत दी जा रही है.
चीन की सरकार ने भले ही अब 3 बच्चे पैदा करने की पॉलिसी को मंजूरी दी हो, लेकिन जानकारों का कहना है कि इससे ज्यादा कुछ बदलने वाला नहीं है. इसके बावजूद चीन की जनसंख्या में आई असमानता को दूर करना काफी ज्यादा मुश्किल है. क्योंकि सरकार ने सिर्फ बच्चे ज्यादा पैदा करने की पॉलिसी बनाई है, लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है. ऐसे में जब ज्यादातर लोग खर्चे और बाकी चीजों को देखते हुए 1 ही बच्चे के पक्ष में हैं तो सरकार का मसकद पूरा होना मुमकिन नहीं दिख रहा है.
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