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चीन से साइबर अटैक का खतरा, उसके काले मंसूबों के एक नहीं, कई सबूत
चीन पर शक है कि अमेरिका, कनाडा जैसे देशों और गूगल, एयरबस जैसी कंपनियों पर भी साइबर हमले किया
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क्या देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बत्ती गुल के पीछे चीन का हाथ था? क्या कोरोना वैक्सीन का उत्पादन कर रहीं कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को चीनी हैकरों से खतरा है. देश इस वक्त इन डरावने सवालों के जवाब पूछ रहा है, क्योंकि एक अमेरिकी कंपनी रिकॉर्डेड फ्यूचर की रिपोर्ट में ऐसा ही दावा किया गया है. केंद्र और चीन ने कहा है कि ऐसा नहीं हुआ. महाराष्ट्र सरकार ने संकेत दिए कि ऐसा हुआ था. वैसे इस बात के कम सबूत नहीं हैं कि हमें चीन से साइबर अटैक का खतरा लगातार बना हुआ है.
अक्टूबर में चीनी हैकर्स ने पांच दिनों में ही भारत के पॉवर ग्रिड, आईटी कंपनियों और बैंकिंग सेक्टर्स पर 40500 बार साइबर अटैक किया था?
जून में गलवान घाटी झड़प के चार महीने बाद 12 अक्टूबर को मुंबई में हुए ब्लैकआउट में चीन का हाथ था?
19 नवंबर को कंप्यूटर इमर्जेंसी रिस्पांस टीम यानी CERT ने देशभर के बिजली आपूर्ति केंद्रों को चीन के शेडो पैड मालवेयर के प्रति अलर्ट किया था.
NCIIPC ने 12 फरवरी को मेल के जरिए सूचित किया था कि चीन सरकार समर्थित हैकर्स समूह, रेड इको समूह ने भारत के क्षेत्रीय बिजली वितरण केंदों व राज्य वितरण केंद्रों के सिस्टम में मालवेयर वायरस भेजकर इसे ठप करने की साजिश रची है.
चीन के काले मंसूबों के सबूत
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में सूचना और प्रसारण मंत्री 2015 में बता चुके हैं कि जिन देशों से भारत की साइबर सिक्योरिटी को खतरा है उसमें चीन शीर्ष पर है.
साइबर खतरों पर काम करने वाली एजेंसी साइफिरमा की 24 जून 2020 की रिपोर्ट बताती है कि पिछले कई दिनों से भारत की साइबर सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है. चीन के हैकर ग्रुप्स भारत के बड़े संस्थानों को टारगेट कर रहे हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया गया है कि चीनी हैकर ग्रुप APT10 ने भारत की कोरोना वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियों सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक पर साइबर हमला किया था.
बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका की एक कम्प्यूटर सुरक्षा प्रदान करने वाली कंपनी के अनुसार कनाडा, भारत, दक्षिण कोरिया, ताइवान, अमेरिका और वियतनाम जैसे देश चीनी साइबर हमले के निशाने पर रहे हैं.
अमेरिका के सांसद फ्रैंक पालोन ने अपने एक ट्वीट में लिखा है कि “अमेरिका को अपने रणनीतिक साझेदार का साथ देना चाहिए और भारत के पावर ग्रिड पर चीन के ख़तरनाक हमले का विरोध करना चाहिए. इस हमले के महामारी के दौरान कारण अस्पतालों में बिजली कट गई और उन्हें जेनेरेटरों का सहारा लेना पड़ा. हम चीन को ताकत और धमकी के बल पर इलाक़े में प्रभुत्व कायम नहीं करने दे सकते.”
टिकटॉक और कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध
जून 2020 में भारत सरकार ने 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था. बाद में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा था कि इन एप्स को भारत की संप्रभुता एवं एकता, सुरक्षा और व्यवस्था के लिए नुकसानदेह होने के कारण प्रतिबंधित किया गया है. भारत के करोड़ों मोबाइल और इंटरनेट यूजर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए ये फैसला किया गया है ताकि इंडिया की साइबर स्पेस की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि उन्हें कई स्त्रोतों से इन एप्स को लेकर शिकायत मिली थी. एंड्रॉयड और आईओएस पर ये एप्स लोगों के निजी डेटा में भी सेंध लगा रहे थे. इन एप्स पर पाबंदी से भारत के मोबाइल और इंटरनेट उपभोक्ता सुरक्षित होंगे.
भारत को सबसे ज्यादा खतरा चीन से
2018 में ही भारत सरकार के इलेक्ट्रोनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक विभाग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा था कि भारत को साइबर सुरक्षा को सबसे ज़्यादा ख़तरा चीन से है.
नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट और बाक़ी सुरक्षा एजेंसियों को भेजी गई इस रिपोर्ट में यह बताया गया था कि भारत में 35 फीसदी साइबर हमले चीन ने ही किए हैं. चीन के बाद अमेरिका (17%), रूस (15%), पाकिस्तान (9%), कनाडा (7%) और जर्मनी (5%) का नाम इस सूची में मौजूद था.
मैसाचुसेट्स स्थित साइबर सिक्योरिटी कंपनी रिकॉर्डेड फ्यूचर विभिन्न देशों के इंटरनेट के इस्तेमाल का अध्ययन करती है. इस अमेरिकी कंपनी ने अपनी हालिया एक रिपोर्ट में बताया था कि चीनी सरकार से जुड़े एक समूह के हैकर्स ने मैलवेयर के ज़रिए भारत के महत्वपूर्ण पावर ग्रिड को निशाना बनाया था. रिपोर्ट के अनुसार रेडएको नामक एक समूह ने भारतीय पावर सेक्टर को अपना निशाना बनाया था.
इंडियन साइबर सिक्योरिटी रिसर्च और साफ्टवेयर फर्म क्विकहील की ओर से 2018 में जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में हर मिनट 1852 साइबर हमले हुए. इससे प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र, दिल्ली और पश्चिम बंगाल शीर्ष पर थे. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 2018 में पूरी दुनिया में हुए लगभग 20 लाख साइबर हमलों में 3,222 अरब रुपये का नुकसान हुआ. इंटरनेट सोसाइटी ऑनलाइन ट्रस्ट अलाइंस की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2021 तक रैंसमवेयर अटैक से 20 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है.
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सबसे ज्यादा 57% साइबर क्राइम फिशिंग या सोशल इंजीनियरिंग के जरिए होते हैं.
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पिछले साल सरकार ने जारी की थी चेतावनी
पिछले साल जून में इंडियन कंम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम यानी CERT-In ने अपने ट्वीट में कहा था - '' महामारी की आड़ लेकर लोगों की निजी और वित्तीय जानकारियों में सेंधमारी हो सकती. शरारती तत्वों द्वारा 21 जून से ई-मेल के जरिये धोखाखड़ी शुरू की जा सकती है और यह संदेहास्पद मेल सरकार की नाम वाली ई-मेल आईडी (ncov2019@gov.in) से भेजा जा सकता है. ये हमले विश्वनसीय इकाइयों के नाम पर किए जा सकते हैं.और लोगों को ई-मेल या मैसेज खोलने के लिए मजबूर कर सकते हैं. इसके बाद व्यक्ति के लिंक पर क्लिक करने से मालवेयर इंस्टॉल हो सकता या फिर सिस्टम फ्रीज हो सकता है.''
इस अलर्ट में चीन का नाम तो नहीं था लेकिन ये उसी दौरान आया था जब लद्दाख बॉर्डर पर झड़प को लेकर भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर था.
संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय के प्रमुख ने कहा था कि 2020 की पहली तिमाही में साइबर अपराध के मामलों में तेज उछाल आया है और साइबर अपराधियों द्वारा फर्जी ईमेल भेजकर निजी जानकारी चुराने या फिशिंग में 350 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
भारत पर हुए बड़े साइबर हमले
तमिलनाडु के कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केकेएनपीपी) में साइबर अटैक हुआ था. यह बात खुद सरकार ने स्वीकार की थी. दरअसल एआईएडीएमके AIADMK के राज्यसभा सदस्य एके सेल्वाराज ने सरकार से कुडनकुलम पावर प्लांट में हुए साइबर हमले की जानकारी और इसका ब्योरा मांगा था. इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 28 नवंबर 2019 को राज्यसभा में कुडनकुलम पावर प्लांट में साइबर हमले की बात स्वीकारी थी. कंप्यूटर तथा सूचना सुरक्षा सलाहकार समूह और CERT ने इस हमले का ऑडिट किया था. इसमें पता चला था कि यह साइबर अटैक कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के प्रशासनिक नेटवर्क पर किया गया था और यहीं तक सीमित था. कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के प्रशासनिक नेटवर्क में मालवेयर इंफेक्शन की पहचान की गई थी.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया था कि पुणे के कॉसमॉस कॉपरेटिव बैंक में 11 अगस्त 2018 को दोपहर 3 बजे बैंक के सर्वर में मालवेयर अटैक हुआ था. इस इस साइबर बैंक डकैती में हैकर्स ने पुणे की कॉसमॉस बैंक का सर्वर हैक कर 94 करोड़ 42 लाख रुपये लूट लिए थे. इस साइबर अटैक के पीछे उत्तर कोरिया का हाथ बताया गया था.
2017 में भारत समेत दुनिया भर में रैनसमवेयर वायरस का हमला हुआ था. इस हमले में आंध्र प्रदेश पुलिस डिपार्टमेंट के सिस्टम्स पर रैनसमवेयर अटैक का मामला सामने आया था. चित्तूर, कृष्णा, गुंटूर, विशाखापट्टनम और श्रीकाकुलम जिलों में 18 पुलिस डिपार्टमेंट्स के कम्प्यूटर ठप्प पड़ गए थे.
चीन ने किन देशों पर किए हैं साइबर हमले:
2010 में गूगल ने दावा किया था कि उसपर कई साइबर हमले चीनी हैकरों की तरफ से किए गए थे.
2013 में अमेरिकी प्रशासन ने पहली बार चीन पर साइबर हमले करने का खुला आरोप लगाया था. ओबामा प्रशासन का कहना था कि चीनी सेना ने ये हमले अमेरिकी सरकार के कंप्यूटर सिस्टम और रक्षा विभाग के ठेकेदारों पर किए हैं. पेंटागन द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि उस समय अमेरिका पर किए गए लगभग 90 फीसदी साइबर हमलों को चीन से अंजाम दिया गया है
पिछले साल ट्रंप के कार्यकाल में चीन पर कोविड-19 वैक्सीन की जानकारी चुराने के आरोप लगे थे. सीएनएन को बताया गया था कि डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज पर हर दिन साइबर अटैक हो रहे हैं. तब अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा था कि चीन के साइबर हमलों से अपने संसाधनों को बचाना बेहद अहम है.
सितंबर 2020 में अमेरिकी न्याय विभाग ने 5 चीनी नागरिकों पर अमेरिका और भारत सरकार के कंप्यूटर नेटवर्क समेत दुनिया की 100 से ज्यादा कंपनियों और संस्थानों पर साइबर अटैक कर डाटा तथा कारोबार संबंधी सूचनाएं चुराने का आरोप लगाया था. अमेरिकी के उप अटॉर्नी जनरल जेफ्री रोसेन ने कहा था कि 5 चीनी नागरिकों ने कंप्यूटर सिस्टम को हैक किया.
2011 में कनाडा सरकार हैकिंग का शिकार हुई थी तब स्थानीय मीडिया द्वारा चीन पर आरोप लगाए थे.
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने जून में बताया था कि ऑस्ट्रेलिया एक बड़े साइबर हमले का शिकार हुआ है. इस हमले का शक भी चीन पर गया था.
मई 2013 में एबीसी न्यूज ने एक रिपोर्ट में बताया था कि चीन ने ऑस्ट्रेलियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस ऑर्गनाइजेशन के हेडक्वॉटर का ब्लूप्रिंट चुराने का आरोप लगाया था.
यूरोपीय विमान निर्माता कंपनी एयरबस पर साइबर हमले का मामला 2019 में सामने आया था. इस हमले में चीन का संबंध होने की आशंका जताई गई थी.
2020 में चीनी हैकर्स पर वेटिकन नेटवर्क को हैक करने का आरोप भी लगाया गया था.
पिछले साल अगस्त में ताइवान ने चीन पर साइबर हमला करने के गंभीर आरोप लगाए थे. ताइवान ने कहा था कि चीन की सरकार से जुड़े हैकिंग ग्रुप्स ने उसकी कम से कम 10 सरकारी एजेंसियों और सरकारी अधिकारियों के लगभग 6 हजार ईमेल अकाउंट्स पर साइबर हमले किए हैं.