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चीन का फोकस : बाडोंग काउन्टी में हो रहा है कदम दर कदम विकास

बेडॉन्ग काउंटी में तेज सुधार से यहां रहनेवाले वालों के जीवन स्तर में काफी बदलाव आया है और यह यहां साफ दिखता है

नाथन बेनेट, चाइना पिक्टोरियल
दुनिया
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किंगफान्यूआन कम्युनिटी के घरों का नजारा, यहां 2700 ग्रामीणों के लिए घर बन चुके हैं
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किंगफान्यूआन कम्युनिटी के घरों का नजारा, यहां 2700 ग्रामीणों के लिए घर बन चुके हैं
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भविष्य का निर्माण यूं ही नहीं हो जाता. स्वत: सुधार से स्थितियों में बदलाव आता है. हमेशा से ऐसा होता आया है. जो कुछ हासिल है उसका आधार यही है.

बाडोंग काउन्टी के लिए ऐसा लगता है कि बढ़ते कदम के साथ चीजें अच्छी होने वाली हैं.गुई जियांग अपनी जिंदगी के तीसरे दशक में झेजियांग प्रॉविन्स में करीब एक साल तक निर्माण मजदूर थे. और, अब वे चीनी नववर्ष में हुबेई प्रॉविन्स में अपने गृह शहर बेडॉन्ग काउन्टी लौटे हैं.

पहले वे सुदूर गांव में रहा करते थे. अभी जिस जगह उनका परिवार किंगफान्यूआन कम्युनिटी के अपने नये अपार्टमेंट में रहता है वहां से वह गांव 30 किलोमीटर दूर है.उनकी मां साल भर से यहीं रहती हैं और उनका छोटा भाई और दो बहनें (सभी विवाहित) कहीं और रहते हैं. गुई अभी कुंआरा है. सामाजिक कल्याण के लाभ के बारे में जो बातें दीवार पर चस्पां दिख रही हैं वे स्पष्ट तौर पर उनकी मां के फायदे के लिए है.

किंगफान्यूआन कम्युनिटी के अपने नये पारिवारिक अपार्टमेंट की बालकनी में खड़ा गुईजियायिन. हुबेई प्रॉविन्स के बेडॉन्ग काउन्टी में गरीब ग्रामीणों का पुनर्वास क्षेत्र ( फोटो सौजन्य : चेन जियान) 

अपार्टमेंट धीरे-धीरे आबाद हो रहा है. गुई को केवल पुते हुए घर मिले थे. लेकिन, अब उसने फर्नीचर खरीद लिया है और लकड़ी जैसे लाइनोलियम फ्लोरिंग के लिए भुगतान भी कर चुका है.अक्टूबर 2019 में ये लोग अपार्टमेंट में आए. उन्हें और उनके परिवार को यहां व्यवस्थित होने में बिल्कुल वक्त नहीं लगा.

सरकारी मदद से गरीबों का पुनर्वास हुआ है. इसके साथ-साथ उनका परिवार पर्वतीय हुबेई में खेती-किसानी से भी जुड़ा रहा है. अपने खाने-पीने भर के लिए चावल और दूसरे अनाज भी ये लोग उपजा लेते हैं.

पुनर्वास में बिना सरकारी मदद के यह गरीब लोग और उनका परिवार अब भी हुबेई के पहाड़ों में जीवनयापन के लिए खेती कर रहे होते. वहां वे सिर्फ खुद की खपत के लिए चावल और दूसरी फसलें उगा रहे होते.

कुछ लोग अब भी खेती करते हैं लेकिन ज्यादातर लोग ‘प्रवासी श्रमिकों’ में बदल गये हैं

िंगफान्यूआन कम्युनिटी के कई लोग अब भी खेती से जुड़े हैं. बेडान्ग काउन्टी की ऊंची-नीची पहाड़ियों को ध्यान में रखते हुए यहां खेती ढलानों पर की जाती है.

हालांकि ढलानों की ओर जाने के आसान रास्ते नहीं हैं लेकिन किसान फसल चक्र को पूरा करने और समय बचाने के लिए लोग पहाड़ी की दूसरी ओर ढलान पर कुलांचे मारते हुए पहुंच जाते हैं.

मैंने देखा है कि ज्यादातर ये बूढ़े लोग हैं. ढलान पर काम करने और कम्युनिटी में रह रहे ऐसे लोगों में सबसे जवान व्यक्ति की उम्र भी 50 से ज्यादा है.
किंगफान्यूआन कम्युनिटी पर सरसरी नजर जो 2700 ग्रामीणों का घर बन चुका है ( फोटो सौजन्य : जु जुआन)

बदलाव की गति

जब मैं गरीबी उन्मूलन पर खबरें इकट्ठा करने बेडान्ग काउन्टी आया, तो मैं चाहता था कि किसानों से प्रवासी श्रमिक बन चुके अधिकांश लोगों की स्टोरी करूं, जो वापस मूल स्थान की ओर लौट रहे हैं.“छोड़ दिए गये बच्चों” की कहानी ज्यादातर अमेरिकी जानते हैं. हर महीने वेतन वाली नौकरियों के लिए ऐसे मां-बाप को किसी और शहर जाना होता है चाहे वे फैक्टरी मजदूर हों या निर्माण मजदूर.

यहां रह रहे लोगों के जीवन स्तर में सुधार आया है

मानव इतिहास में हुए दो बदलावों में एक औद्योगिक क्रांति रही है. दूसरे बदलाव ने शिकारी जीवन को व्यवस्थित कृषि जीवन में बदल दिया.बीते 200 सालों से विश्व स्तर पर नागरिक सभ्यता में जारी बदलाव को देखते हुए यह उम्मीद मैं कैसे रख सकता था कि बीते 10 या 20 सालों से जारी गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण विकास के प्रयासों के नतीजे इतनी जल्दी सामने आएंगे? हालांकि अपनी सोच के हिसाब से मैंने यह बदलाव नहीं पाया, मगर मैं निराश भी नहीं हुआ.

पर्वतीय इलाकों में सड़कें तैयार करने, नकदी फसलों के लिए वेतन वाली नौकरियां पैदा करने और संकीर्ण यांग्जी नदी के ऊपर पुलों के बनने से औद्योगिक क्रांति का फल बेडॉन्ग काउन्टी के लोगों को मिलना शुरू हो चुका है.

इस इलाके में रहने वाले लोगों के जीवन में तेजी से बदलाव दिखना शुरू हो गया है. जो लोग कहीं और रह रहे हैं उनके संबंध भी अपने घरों से मजबूत होने शुरू हो गये हैं. वे इंटरनेट से या फिर आवाजाही बढ़ाकर इस संबंध को बनाए हुए हैं. हालांकि ग्रामीण जीवन में लौटना आदर्श बातें लगती हैं लेकिन ग्रामीण पुनरुद्धार बड़ा काम है और यह बेडॉन्ग काउन्टी में हो रहा है.

यातायात में सुधार

यांगरुशन गांव में जीवन गुजारने वाले निवासी चेन कैशुन और गांव के टी गार्डन के मैनेजर ने गांव में हो रहे बदलाव के बारे में विस्तार से बताया.झियाचेंग जिले के उप जिले झाओही से चाय बागान के विकास में मदद मिली. यह झेझियांग प्रॉविन्स के हांग्होऊ सिटी में पड़ता है.

गांव में आने और गांव से बाहर निकलने के रास्ते 2012 में ही कंक्रीट से बना दिए गये. 2013 में पहाड़ की ढलानों पर चाय के पौधे लगाए गये. 2013 से पहले इन ढलानों पर चावल की खेती की जाती थी.

चेन ने बताया कि सड़कें बनने से पहले स्थानीय लोग काउन्टी की ओर साल में एक बार आया करते थे और यहां आने-जाने में पूरा दिन लग जाया करता था.अब लोग एक दिन में तीन बार आ-जा सकते हैं. ऐसा आसान यातायात सुविधाओं के कारण संभव हो सका है. ज्यादातर परिवारों के पास कम से कम एक मोटरसाइकल है. कई के पास कार भी हैं. कृषि से जुड़े उपकरणों के बारे में जिक्र करने की जरूरत नहीं.

बेडान्ग काउन्टी के जांगरुशन गांव के चायबागान में ग्रामीण. (फोटो : चेन जियान)
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ग्रामीणों और बच्चों के लिए गांव लौटना हुआ आसान

पक्की सड़कें होने से भारी वाहनों का नियमित आना-जाना आसान हो गया है. इससे ईंधन की आपूर्ति आसान हो गयी है जो आधुनिक कृषि संयंत्रों के लिए मददगार है. आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग बगैर ईंधन के असम्भव है. चेन ने बताया कि सबसे नजदीकी गैस स्टेशन 8 किमी दूर है. स्थानीय लोग सुविधानुसार यहां गैस भरा सकते हैं. खेती से जुड़े पशुओं के मुकाबले मशीनें कठिन काम लंबे समय तक कर सकती हैं. इन्हें न आराम की जरूरत है और न ही अधिक समय की. प्रजनन के लिए भी इन्हें समय नहीं चाहिए.

चेन ने परिवार की आवाजाही पर भी इस बदलाव का असर बताया. अब दूसरे शहरों में काम करने वाले ग्रामीणों और 12 किलोमीटर तक बोर्डिंग स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बहुत आसान हो गया है कि वे चीनी नववर्ष पर छुट्टियों में अपने परिवार के साथ वक्त बिताएं. 

चेन ने संकेत दिया कि यांगरुशन के 2200 निवासियों में से आधे गांव से बाहर काम करते हैं. इनमें 400 बेडान्ग काउन्टी के बाहर रहते हैं और करीब 700 काउन्टी के भीतर.अगर यांगरुशन गांव में हर कोई ‘अपने घर’ लौटने का लक्ष्य रखता है तो यह तुरंत होता नजर नहीं आता.

बहरहाल सड़क सुविधा में नाटकीय तरीके से आए सुधार के बाद गांव से बाहर रह रहे छात्रों और श्रमिकों के लिए चीनी नववर्ष या दूसरी छुट्टियों के वक्त गांव लौटना आसान हो गया है.चेन ने विस्तार से बताया कि कई छात्र और प्रवासी श्रमिक अपने गांव कभी नहीं लौट कर आए क्योंकि यहां आने में काफी समय और ऊर्जा चाहिए होती थी जो परेशान करने वाली थी.

यांगरुशन गांव के चाय बागान पर एक नजर ( फोटो सौजन्य तस्वीर : जु जुआन) 

आर्थिक आधार

ग्रामीण इलाकों की वास्तविकता को देखकर मुझे लगा कि वास्तविक विकास के लिए मजबूत आर्थिक आधारों का होना जरूरी है. नौकरियां हवा में पैदा नहीं की जा सकतीं. वास्तविक जरूरतों के अनुरूप ही इसकी जरूरत पैदा की जा सकती हैं.

मैंने देखा कि बेडॉन्ग नॉंग्स ई कॉमर्स कंपनी लिमिटेड के वेयरहाउस में सही दिशा में ठोस कदम उठाए गये थे. कुछ महिलाएं नारंगियों को एक बक्से में पैक कर रही थीं. इसे पूरे चीन में भेजा जाना था.

संतरों के उत्पादन से घरेलू खर्च के लिए महिलाओं की आमदनी बढ़ी

मैंने पैकिंग पर लगे लेबल देखे जहां टियानजिन, शंघाई, गुआंगजोऊ, चोंगकिंग और शेनहेन लिखे हुए थे. जब मैं वहां पहुंचा वे लोग औसत आकार वाले बक्सों में पैकिंग कर रही थीं. बस लेबल चिपकाया जाना था और उसके बाद संतरों को जहाज से भेजा जाना था.

ऑरेंज प्लान्टिंग इंडस्ट्री में वेतन वाली नौकरियां हैं जिससे प्रवासी श्रमिकों को अपने गांवों में लौटने मदद मिल रही है. संतरे पैक करने वाली ज्यादातर महिलाएं मां हैं. इससे पहले इनमें से कई दूसरे शहरों की फैक्टरियों या फिर निर्माण क्षेत्र में काम कर चुकी हैं.

.बेडान्ग काउन्टी के वुलीडुई गांव स्थित संतरे के बागीचे से ताजा फल इकट्ठा करते ली शेंगलॉंग(फोटो सौजन्य : चेन जियान)

संतरे पैक करने वाली ज्यादातर महिलाएं मां हैं. इससे पहले इनमें से कई दूसरे शहरों की फैक्टरियों या फिर निर्माण क्षेत्र में काम कर चुकी हैं.सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक संतरों की पैकिंग वेयरहाउस में होती है. बच्चों की देखभाल के लिए माता-पिता में से किसी एक को रहने की अनुमति होती है.

50 साल की बूढ़ी मां शी चांग्झू संतरों की पैकिंग से साल में 20 हज़ार युआन (करीब 2900 डॉलर) कमाती हैं. उनकी एक संतान कॉलेज में है और दूसरा मिडिल स्कूल में है. इसी नौकरी की वजह से वह सीधे तौर पर अपने छोटे बच्चे का अधिक ख्याल रख पाती हैं.

बेडॉन्ग नॉंग्स ई कॉमर्स कंपनी लिमिटेड के वेयरहाउस में काम करते श्रमिक. (फोटो सौजन्य : जु जुआन) 

ग्रामीण विकास का एक और पहलू है हाई स्पीड इंटरनेट और लाइव स्ट्रीमिंग. गुआंग्जी सेवेन ऑरेन्ज कंपनी के स्थानीय उत्पाद के विज्ञापनों में संतरे को छीलने और खाने का मनोरम लाइव स्ट्रीम प्रदर्शन दिखता है.

आधुनिक ई कॉमर्स और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग वीडियो से उत्पादकों और उपभोक्ताओं को एक-दूसरे को खोजने में मदद मिल रही है. इससे चीन के विकसित शहरी इलाकों से कम विकसित ग्रामीण इलाकों तक आर्थिक विकास की मुहिम चल पड़ी है.

हेडान्ग काउन्टी स्थित गुआंग्जी सेवेन ऑरेंज कंपनी में लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान नाथन बेनेट महिला एंकर के साथ संतरे का प्रमोशन करते हुए . ( फोटो सौजन्य : जु जुआन)

संतरे के बक्से भारी होते हैं और इसलिए बेडान्ग काउन्टी स्थित बीहड़ पहाड़ियों और चौड़ी यांग्जी नदी व इसकी सहायक नदियों में कार्गो परिवहन मुश्किल हो जाता है.

अतीत में छोटे कार्गो को ले जाने के लिए भी नदी पार करने में पूरा दिन लग जाया करता था : पहाड़ियों से उतरना, नौका खोजना, नौका पर माल चढ़ाना, नदी पार करना, नाव से माल उतारना और फिर नदी तट के दूसरी ओर पहाड़ी पर जाना.

सिदु रिवर ब्रिज, किसी समय में अपने किस्म का सबसे ऊंचा था, से माल लदे ट्रक को गुजरने में बमुश्किल एक मिनट लगता था

सिदु रिवर ब्रिज का नजारा जो दो पहाड़ों के बीच है, जहां 560 मीटर गहरी घाटी है.  ( फोटो सौजन्य : जु जुआन)

भविष्य के गर्भ में क्या है?

झजियांग में निर्माण मजूदर गुई जियायिन शायद स्थायी रूप से बेडांग काउन्टी लौटें भी या नहीं भी. उन्हें नहीं पता कि वे इस बारे में चाहते क्या हैं.

बहरहाल उनकी मां के पास रहने के लिए एक आधुनिक अपार्टमेंट है और अब वह दूर के पहाड़ी इलाकों में जाना नहीं चाहता क्योंकि उसके लिए यात्रा करना मुश्किल काम है.

बहरहाल चीनी नव वर्ष का मजा थोड़ा कम हो गया है क्योंकि कई शहरों में आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है फिर भी छुट्टियों के जरिए परिवार और मित्रों को एकजुट करने का मूलभाव जीवित है और इसमें सुधार हुआ है.भविष्य का निर्माण यूं ही नहीं हो जाता.

स्वत: सुधार से स्थितियों में बदलाव आता है. हमेशा से ऐसा होता आया है. जो कुछ हासिल है उसका आधार यही है. बेडॉन्ग काउन्टी के लिए ऐसा लगता है कि बढ़ते कदम के साथ चीजें अच्छी होने वाली हैं.

झेजियांग प्रॉविन्स के तटीय क्षेत्र में साल भर काम करने के बाद किंगफान्यूआन कम्युनिटी में लियु जियानफेंग और उसकी पत्नी लेई याकी अपने परिवार के साथ(फोटो सौजन्य : जु जुआन) 

(यह सामग्री बीजिंग स्थित चाइना पिक्टोरियल की ओर से उपलब्ध करायी गयी है.)

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Published: 25 Jan 2020,12:31 PM IST

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