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चीन के विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीन की तरफ है. हालांकि, भारत पहले ही गलवान घाटी पर चीनी सेना के संप्रभुता के दावे को खारिज कर चुका है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने 15-16 जून की रात गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के लिए एक बार फिर भारत पर दोष मढ़ा है.
भारत में चीनी दूतावास ने गलवान हिंसक झड़प के मामले पर झाओ के हवाले से एक बयान जारी किया है. बयान में दावा किया गया है, ''15 जून की शाम को, कमांडर-स्तरीय बैठक में हुए समझौते का उल्लंघन करते हुए, भारत के अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने, एक बार फिर से जानबूझकर उकसावे के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया, जब गलवान घाटी में स्थिति पहले से ही हल्की हो रही थी, और यहां तक कि बातचीत के लिए वहां गए चीनी अधिकारियों और सैनिकों पर भी हिंसक हमला किया, जिससे भयंकर झड़प हो गई.''
चीन ने दावा किया है, ''इस साल अप्रैल से, भारतीय सैनिकों ने एक एकतरफा तरीके से और लगातार गलवान घाटी में एलएसी पर सड़कें, पुल और दूसरी सुविधाओं का निर्माण किया है. चीन ने कई मौकों पर विरोध जताया, लेकिन भारत एलएसी को पार करने और उकसावे के लिए और भी आगे बढ़ गया.''
बता दें कि इससे पहले चीनी सेना ने गुरुवार को दावा किया था कि गलवान घाटी की संप्रभुता हमेशा चीन से जुड़ी रही है. इस दावे पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत के दौरान तनाव कम करने के संबंध में चीनी और भारतीय सेनाओं के बीच बनी आपसी सहमति का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘‘अनुचित और बढ़ा-चढ़ाकर दावा करना इस आपसी सहमति के खिलाफ है.’’
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