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ग्लास्गो में चल रहे COP26 जलवायु सम्मलेन के बीच उत्सर्जन में कटौती पर एक साथ काम करने के लिए अमेरिका और चीन के बीच एक अप्रत्याशित समझौता हुआ है. दुनिया के इन दो शीर्ष कार्बन उत्सर्जक देशों ने इस दशक के अंत तक अपने मीथेन उत्सर्जन को नियंत्रित करने और कम करने की योजना को अंतिम रूप देने के लिए एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया है.
आइये समझते हैं कि यह द्विपक्षीय समझौता खास और अप्रत्याशित क्यों है.
चीनी जलवायु दूत Xie Zhenhua ने ग्लासगो में कहा कि इस द्विपक्षीय समझौते में कार्बनीकरण, मीथेन उत्सर्जन को कम करने और वनों की कटाई से लड़ने में "ठोस और व्यावहारिक" नियमों की बात की गयी है.
दोनों देशों ने कहा कि वो अगले साल विशेष रूप से मीथेन उत्सर्जन को मापने और कम करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक बुलाएंगे.
CO2 उत्सर्जन में कमी पर अमेरिका ने समझौते में रेखांकित किया कि उसकी बिजली उत्पादन वर्ष 2035 तक 100 प्रतिशत कार्बन मुक्त हो जाएगा. इसका मतलब है कि 2035 के बाद अमेरिका में कोयले या गैस के माध्यम से कोई बिजली उत्पन्न नहीं होगी.
अपनी ओर से चीन ने कहा कि वो 2025 से अपनी 15वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कोयले की खपत को चरणबद्ध तरीके से कम करने की पहल करेगा और "इस काम में तेजी लाने के लिए सर्वोत्तम प्रयास करेगा”.
यह समझौता अप्रत्याशित इसलिए है क्योकि बीजिंग पिछले सप्ताह ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में किए गए मीथेन उत्सर्जन में कटौती की प्रतिज्ञा से दूर रहा था. जबकि अमेरिका उन 100 से अधिक देशों में शामिल हो गया था जिन्होंने 2030 तक मीथेन उत्सर्जन में मौजूदा स्तरों से कम से कम 30 प्रतिशत की कटौती करने का वचन दिया गया था.
मीथेन उन छह ग्रीनहाउस गैसों में से एक है जो मुख्य रूप से ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है. अगर मोलेक्यूलर स्तर पर बात करें तो यह कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में बहुत अधिक हानिकारक है.
हालांकि मीथेन CO2 की तुलना में काफी कम समय के लिए वातावरण में रहती है लेकिन यह सबसे व्यापक ग्रीनहाउस गैस है. अगले 20 साल की अवधि में मीथेन में ग्लोबल वार्मिंग की क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना अधिक है. यही कारण है कि COP26 में बैठे देश और उनके तमाम वैज्ञानिक मीथेन उत्सर्जन में कटौती को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ प्रमुख हथियार के रूप में देख रहे हैं.
चीन मीथेन के सबसे बड़े उत्सर्जक देशों में से एक है.
वैश्विक नेताओं और जलवायु विशेषज्ञों ने व्यापक रूप से इस समझौते का स्वागत किया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस कदम को "सही दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम" बताया है.
WWF में US क्लाइमेट पॉलिसी एक्शन के डायरेक्टर जेनेवीव मारिकल ने कहा कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं "सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों से विशाल वित्तीय प्रवाह को अनलॉक करने की शक्ति रखती हैं जो कम कार्बन अर्थव्यवस्था में संक्रमण को गति दे सकती हैं."
यूरोपीय यूनियन की जलवायु नीति के प्रमुख फ्रैंस टिमरमैन ने सहमति व्यक्त की कि इस समझौते ने आशा की गुंजाइश दी है. उन्होंने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि,
क्लाइमेट काउंसिल के रिसर्च हेड डॉ साइमन ब्रैडशॉ ने इस दशक में कार्रवाई में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित करने को "महत्वपूर्ण" बताया.
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