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दुनियाभर में कोरोना वायरस के कुल कन्फर्म मामले साढ़े 8 लाख से ज्यादा हो गए हैं. अमेरिका में संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. संक्रमण के शुरुआती दौर में अमेरिका पर ये आरोप लगे कि देश में टेस्टिंग कम हो रही है. संसद से रिलीफ बिल पास होने के बाद यूएस में टेस्टिंग में तेजी आई है. एक और देश में बड़े स्तर पर टेस्टिंग की जा रही है और वहां से जो आंकड़े सामने आए हैं, वो वायरस के इतना ज्यादा फैलने का कारण साफ कर सकते हैं.
आइसलैंड में काफी समय से बड़े स्तर पर कोरोना वायरस की टेस्टिंग चल रही है. दुनियाभर के हेल्थकेयर प्रोफेशनल भी कह रहे हैं कि संक्रमण रोकने का अहम तरीका ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग ही है. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, साढ़े तीन लाख की आबादी वाले आइसलैंड में अब तक करीब 18,000 लोगों का टेस्ट किया जा चुका है.
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, deCODE Genetics ने अबतक 9000 लोगों को टेस्ट किया है और इनमें से 1% से भी कम की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. कंपनी ने CNN को बताया कि जिन लोगों को पॉजिटिव पाया गया है, उनमें से करीब 50% ने बताया था कि उन्हें कोई लक्षण महसूस नहीं होते हैं.
यूरोप और एशिया के लगभग सभी देशों में लॉकडाउन जैसे कई कड़े कदम उठाए गए हैं. हालांकि आइसलैंड ने 100 या उससे ज्यादा लोगों के जमा होने पर पाबंदी लगा रखी है, लेकिन लॉकडाउन नहीं किया गया है. अधिकारियों का कहना है कि उन्हें लॉकडाउन की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि वो पहले से ही तैयार थे.
आइसलैंड में टेस्टिंग फरवरी की शुरुआत में ही शुरू हो गई थी. देश में संक्रमण से पहली मौत इसके कई हफ्तों बाद हुई थी. आइसलैंड में अबतक 1000 से ज्यादा कन्फर्म मामले सामने आ चुके हैं. देश में करीब 900 लोग आइसोलेशन में हैं.
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